नक्सली से बातचीत और चुनाव में मदद लेने के आरोप से जमशेदपुर के पूर्व सांसद डॉ अजय कुमार बरी
नक्सली से बातचीत और चुनाव में मदद लेने के आरोप के मामले में रांची सिविल कोर्ट के विशेष न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश कुमार ने बुधवार को फैसला सुनाते जमशेदपुर के पूर्व सांसद डॉ अजय कुमार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। अदालत ने फैसला आनलाइन सुनाया।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। नक्सली से बातचीत और चुनाव में मदद लेने के आरोप के मामले में रांची सिविल कोर्ट के विशेष न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश कुमार ने बुधवार को फैसला सुनाते जमशेदपुर के पूर्व सांसद डॉ अजय कुमार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। अदालत ने फैसला आनलाइन सुनाया। इसमें बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू, विमल कुमार, बबीता जैन और विक्रम सिंह शामिल हुए। 24 अगस्त को डॉ अजय कुमार उन पर लगे आरोप पर अदालत में उपस्थित होकर धारा 313 दंड प्रक्रिया के तहत बयान दर्ज कराते हुए खुद को बेगुनाह बताया था।
मामला एक जुलाई 2011 लोकसभा उपचुनाव से जुड़ा हुआ है। डॉ अजय कुमार झारखंड विकास मोर्चा के टिकट से जमशेदपुर लोकसभा संसदीय सीट पर चुनाव लड़ा था। दिनेशानंद गोस्वामी भाजपा प्रत्याशी थे। एक जुलाई को दिनेशानंद गोस्वामी ने डॉ अजय कुमार और प्रभात भुइयां के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। डाक्टर अजय कुमार पर नक्सली समरजी से मदद लेने व मतदाताओं को प्रभावित करने का आरोप लगाया था। वहीं बातचीत की सीडी भी पुलिस को उपलब्ध कराई गई थी जिसमें कहा गया था कि डाक्टर अजय और समरजी की बातचीत रिकार्ड है। आयोग को दी गई शिकायत के आधार पर साकची थाना में डॉ अजय कुमार और प्रभात भुइयां के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। वहीं डॉ अजय कुमार की शिकायत पर साकची थाना में जुलाई 2011 को तत्कालीन सरयू राय और दिनेशानंद गोस्वामी के खिलाफ गैर कानूनी तरीके से उनका फोन रिकार्ड कर दस्तावेज प्राप्त करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उपचुनाव में डॉ अजय कुमार ने भारी मतो से दिनेशानंद गोस्वामी को हराकर जमशेदपुर लोकसभा के सांसद निर्वाचित हुए थे।
ये कहा डाॅक्टर अजय के वकील ने
अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने बताया डॉ अजय कुमार के खिलाफ दर्ज मामले को सीआइडी (अपराध अनुसंधान विभाग) को सौंप दिया गया था। सीआइडी ने डाक्टर अजय कुमार और प्रभात भुइयां के खिलाफ दर्ज मामले को साक्ष्य विहीन बताते मामले में फानइल रिपोर्ट दाखिल कर दिया था, लेकिन जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने सीआइडी की रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए दोनों के विरुद्ध दर्ज मामले में संज्ञान लिया था। न्यायालय से समन मिलने पर डॉ अजय कुमार अदालत में उपस्थित हुए। इनके विरुद्ध आरोप गठन किया गया। इसके बाद अभियोजन पक्ष की ओर से चार गवाहों में मात्र दो की गवाही हुई। प्राथमिकी के सूचक दिनेशानंद गोस्वामी और सरयू राय गवाही को उपस्थित नहीं हुए। न्यायालय ने डॉ अजय कुमार का बयान दर्ज किया था। मामले के अन्य आरोपित प्रभात भुइयां कभी अदालत में उपस्थित नहीं हुआ जिस कारण डॉ अजय के मामले से प्रभात भुइयां को अलग कर दिया गया। वहीं डॉ अजय कुमार के दर्ज मामले में सरयू राय और दिनेशानंद गोस्वामी को अदालत ने बरी कर दिया था।