आयुष्मान गरीबों के लिए वरदान, कई को मिला जीवनदान
दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हो चुकी है। कई लोगों को इस योजना के तहत जीवनदान मिल चुका है।
जमशेदपुर [अमित तिवारी]। दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना 'आयुष्मान भारत योजना' भले ही अभी जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र में पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर सकी है लेकिन साढ़े चार हजार से अधिक लोगों ने इस अल्प अवधि में इसका लाभ उठाया है। यह योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हो चुकी है। कई लोगों को इस योजना के तहत जीवनदान मिल चुका है। शहर के बड़े निजी अस्पतालों में भी इस योजना के तहत कुछ गरीब लोगों की कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की भी सर्जरी की जा चुकी है। इसलिए इस योजना के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है।
इस संसदीय क्षेत्र की जिस हुरुलुंग पंचायत के लुपुंगडीह गाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑनलाइन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का उद्घाटन किया था, वहा के ग्रामीणों के जीवन में बदलाव आया है, यह एक अच्छा और सुखद संकेत है, लेकिन कई गावों के लोग इस योजना से अब भी अनजान हैं। वैसे, विभाग का दावा है कि पूर्वी सिंहभूम जिले यानी जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र में अबतक 4588 लोगों का आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराया गया है। लोकसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र में यह योजना मील का पत्थर साबित हो सकती है। लोकसभा क्षेत्र की आबादी करीब 22 लाख है।
दैनिक जागरण ने ली लोगों की राय
दैनिक जागरण ने जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र के 11 प्रखंडों जमशेदपुर, घाटशिला, पोटका, पटमदा, बहरागोड़ा, डुमरिया, धालभूमगढ़, चाकुलिया, मुसाबनी, गुड़ाबाधा व बोड़ाम में प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के बारे में इन इलाकों के 330 लोगों से राय ली। इनमें से 135 लोगों ने इस योजना को केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं से महत्वपूर्ण, जनोपयोगी और प्रभावी योजना बताया। लोगों की राय थी कि इस योजना को जन-जन तक पहुंचाने के लिए गाव-गाव में जागरूकता अभियान चलाया जाए।
आयुष्मान योजना से ऐसे बदल रही पंचायत की सेहत
हुरुलुंग पंचायत की आबादी छह हजार है। चार महीने में 729 लोगों का इलाज हुआ है। गाव के 85 फीसद लोगों के पास पीएम पत्र मौजूद। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खुलने से पूर्व यहा मेडिकल सुंिवधा नहीं थी। गंभीर अवस्था में भी मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पाते थे। अब सूरत बदली है। 729 मरीजों का अभी भी इलाज चल रहा है। इनके परिवार में भी कई लाभावित हुए हैं। इसमें अधिकतर उच्च रक्तचाप व मधुमेह के रोगी हैं। यह बीमारी गैर संचारी श्रेणी में आती है। वहीं गंभीर मरीजों को तत्काल एंबुलेंस की मदद से हायर सेंटर रेफर किया जाता है। सेंटर खुलने से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर, हार्ट जैसी बीमारियों का इलाज शुरुआती दौर में ही होने लगता है। पहले नहीं होता था।
सफलता का कारण
- प्रधानमंत्री ने इस पंचायत में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का उद्घाटन किया था। इसीलिए शासन का ध्यान रहता है।
- पीएम पत्र होने से लोग तुरंत अस्पताल पहुंच जाते हैं। पाच लाख रुपये तक की चिंता नहीं होती।
- नियमित रूप से सेंटर खुलता है। पहले सुविधा नहीं थी। भवन बनाकर छोड़ दिया गया था।
- ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी है। कुछ भी होने पर तत्काल सेंटर पहुंचते हैं।
- गाव में ही पहली बार उच्च रक्तचाप, हार्ट, मधुमेह, कैंसर व अन्य गैर संचारी बीमारियों की जाच व इलाज शुरू होना।
कुछ लोगों की राय
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खुलने से इलाज आसान हो गया है। कुछ भी होने पर लोग शीघ्र सेंटर पर चले जाते हैं। पहले हमें 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था।
-गंगाधर भूमिज
- प्रधानमंत्री की योजना से लोगों की सोच बदली है। अधिकतर लोगों के पास पीएम पत्र है। इससे इलाज की सुविधा मिल रही है। ग्रामीणों का हौसला बढ़ा है।
- उत्तम सिंह।
- सुबह 9 से दोपहर तीन बजे तक सेंटर पर एक सीएचओ व फार्मासिस्ट तैनात रहते हैं।प्रधानमंत्री ने 24 घटे केंद्र खोलने की घोषणा की थी। शासन-प्रशासन को इसपर ध्यान देना चाहिए।
- झुरी भूमिज।
- जो लोग पहले ओझा-गुनी के पास जाते थे, अब इलाज कराने अस्पताल जाने लगे हैं। यह अच्छी योजना है। - दुर्गा सिंह।
गोबरघुसी पंचायत के गावों में नहीं पहुंच पाई योजना
हुरुलुंग पंचायत से करीब 30 किलोमीटर दूर गोबरघुसी पंचायत में आयुष्मान भारत योजना पूरी तरफ से फेल है। चार हजार की आबादी वाले इस गाव में अबतक किसी को योजना का लाभ नहीं मिला है। यहा लोगों के पास न तो पीएम पत्र है और न ही योजना की जानकारी है। बीमारी के साथ लोग घर में ही दुबके पड़े हैं। किसी को टीबी है, तो कोई खून की कमी से जूझ रहा है। गाव में न तो चिकित्सा की सुविधा है और न ही दवा की पहुंच। गोबरघुसी पंचायत के अंतर्गत काशीडीह गाव, लोढ़ाई डुंगरी, कमार डुंगरी व कुआराम गाव आते हैं।
विफलता के कारण
पंचायत में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर नहीं है। सो, प्रशासन का ध्यान नहीं है।
- प्रचार-प्रसार की कमी के कारण लोग इस योजना से वाकिफ नहीं।
- स्वास्थ्य विभाग की तरफ से गाव में अबतक पीएम पत्र नहीं बंटा है।
- शिक्षा का अभाव। ग्रामीणों को कोई जानकारी देनेवाला कोई नहीं है।
- सुबह होते मजदूरी की तलाश में घर से निकल जाते हैं लोग।
ग्रामीणों की राय
-टीबी से ग्रस्त हूं। शासन-प्रशासन कोई पूछने वाला नहीं है। सिंतबर से दवा नहीं मिली है। घर में ही पड़ा हुआ हूं।
- फुलचंद्र सबर।
- तीन साल से खासी है। शरीर में दर्द रहता है। कुछ भी काम करने में असमर्थ हूं। आयुष्मान भारत योजना की जानकारी नहीं है।
- ईस्टा सबर।
- अचानक शरीर जोर से कापने लगता है। दर्द होता है। कुछ काम नहीं कर पाती हूं। सिर्फ दिनभर खटिया पर बैठी रहती हूं। इलाज के लिए पैसे नहीं हैं।
- मालती देवी।
- लंबे समय से खासी है। एनीमिया से भी ग्रस्त हूं। पेड़ से गिरने के बाद कमर टूट गई, तब से इसी ही स्थिति में हूं। चलने-फिरने में असमर्थ हूं। इलाज के लिए पैसे नहीं हैं।
- योगेंद्र सबर।
मां की गोद में आयुषी। सरायकेला-खरसावां जिले के बासुरदा से है। इसका जन्म 23 सितंबर को जमशेदपुर के सदर अस्पताल में हुआ था।
पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला के दीघा गांव के सिंगरी सामद के पैरोटिड ग्लैंड ट्यूमर कैंसर का ऑपरेशन आयुष्मान योजना के तहत हुआ।