घाघीडीह जेल में सब्जियों वाले प्लास्टिक के बोरे से रस्सी बनाकर बंदी ने की थी खुदकशी Jamshedpur News
जमशेदपुर के घाघीडीह स्थित केंद्रीय कारा में 22 अगस्त 2017 को विचाराधीन बंदी मंगल नाथ की खुदकशी के मामले में जेल प्रशासन की कोई भूमिका नहीं है।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सवाल पर जेल प्रशासन ने सौंपी है रिपोर्ट
- मामला जमशेदपुर के घाघीडीह केंद्रीय कारा में विचाराधीन बंदी मंगल नाथ की मौत का
राज्य ब्यूरो, रांची । prisoner committed suicide In Ghaghidih Jail जमशेदपुर के घाघीडीह स्थित केंद्रीय कारा में 22 अगस्त 2017 को विचाराधीन बंदी मंगल नाथ की खुदकशी के मामले में जेल प्रशासन की कोई भूमिका नहीं है।
बंदी मंगल नाथ ने जेल में पहुंचने वाली सब्जियों के प्लास्टिक के बोरे से रस्सी बनाकर खुदकशी की थी। बाहर से प्लास्टिक की रस्सी जेल में नहीं पहुंची थी। यह निष्कर्ष है सरकार की गृह विभाग का। इससे संबंधित रिपोर्ट राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजी गई है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस संबंध में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी और सवाल उठाया था कि जेल के भीतर प्लास्टिक की रस्सी कैसे पहुंची? आयोग ने मृतक के आश्रित को मुआवजा देने के बिंदु पर भी निर्णय लेने का आदेश दिया था।
जेल प्रशासन ने गृह विभाग को जो बताया
घाघीडीह केंद्रीय कारा प्रशासन की रिपोर्ट पर कारा महानिरीक्षक ने गृह विभाग को पूरी जानकारी दी थी। घाघीडीह जेल केंद्रीय कारा है। यहां औसतन 1950 विचाराधीन बंदी रहा करते हैं। कारा के भीतर निर्माणशाला है। यहां वस्त्र की बुनाई के लिए कच्चा धागा, साबुन निर्माण के लिए कच्चे सामान की आपूर्ति व हरी सब्जियों की आपूर्ति जालीदार प्लास्टिक के बोरे में की जाती है। पाकशाला में सब्जियों के उपयोग के बाद जालीदार प्लास्टिक के बोरे व हरी सब्जियों के कचड़े को पाकशाला से हटाकर अन्य स्थानों पर एक गड्ढे में रख दिया जाता है। आशंका है कि बंदी ने रद्दी प्लास्टिक के जालीदार बोरे को ही रस्सी का रूप देकर आत्महत्या के लिए उपयोग किया है। प्लास्टिक की रस्सी जेल में भीतर नहीं गई है।