जागरण फिल्म फेस्टिवल रहा हाउसफुल
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जागरण फिल्म फेस्टिवल का आठवां संस्करण का समापन रविवार को हा
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
जागरण फिल्म फेस्टिवल का आठवां संस्करण का समापन रविवार को हो गया। इसने दर्शकों की भीड़ के मामले में पिछले सभी रिकार्ड को तोड़ दिया। वैसे तो शुक्रवार व शनिवार को भी आइलेक्स में दर्शक भरे रहे, जबकि अंतिम दिन सुबह से रात तक हाउसफुल रहा। सीट नहीं मिलने से कई दर्शकों को निराश होकर लौटना भी पड़ा, जबकि कुछ ने सीढि़यों पर बैठकर पूरी फिल्म देखी।
फिल्मोत्सव के तीसरे दिन रविवार को सबसे पहले सुबह 10.30 बजे निर्देशक गुलजार की फिल्म 'अचानक' दिखाई गई, जबकि दोपहर 12.30 बजे से निर्देशक जेम्स अर्सकिन की 'सचिन : ए बिलियन ड्रीम्स' दिखाई गई। इसी कड़ी में दोपहर तीन बजे से 'अनारकली ऑफ आरा' प्रदर्शित हुई, जिसे दर्शकों का सबसे ज्यादा प्यार मिला। दर्शक तब गदगद हो गए, जब थियेटर में फिल्म के निर्देशक अविनाश दास और अभिनेता इश्तियाक आरिफ खान पहुंचे। उनके साथ दैनिक जागरण के फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज भी मुंबई से पधारे थे। दर्शकों ने जी भर के संवाद किया, जिसमें ज्यादातर सवाल अविनाश दास से ही रहे। फिल्मोत्सव का समापन निर्देशक शूजीत सरकार की 'पिंक' से हुआ। इसमें दर्शकों ने बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन को अलग अंदाज में देखा। इनमें से कई दर्शक ऐसे थे, जिन्होंने तीनों दिन फिल्मोत्सव का लुत्फ उठाया।
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अविनाश ने सुनाई पत्रकार से फिल्मकार बनने की कहानी
फिल्म 'अनारकली ऑफ आरा' के निर्देशक अविनाश दास जब दर्शकों से रूबरू हुए, तो उनसे कई सवाल इसी पर पूछे गए कि आखिर पहली बार में ही इतनी बेहतरीन फिल्म कैसे बनाई। सवालों का जवाब देते-देते अविनाश ने पूरी कहानी सुना दी। उन्होंने बताया कि दरभंगा में जन्म लेने के बाद उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा भी वहीं हुई, फिर रांची आ गए। वहां एक दैनिक अखबार से पत्रकारिता शुरू की। फिर पटना आए, लेकिन उनमें कुछ अलग करने की चाहत थी। मोहल्ला ब्लॉग चलाया, तो वर्ष 2004 में फिल्मों का संघर्ष शुरू हुआ। अभिनेता मनोज वाजपेयी ने इस फिल्म के निर्देशक से उन्हें मिलाया, जो इससे पहले फिल्म 'जुगाड़' बनाकर चर्चित हुए थे। उन्होंने कहानी सुनी, तो उछल पड़े। इसके बाद फिल्म की पटकथा बुनी गई। वह फिल्म की शूटिंग आरा में ही करना चाहते थे, लेकिन निर्माता इसके पक्ष में नहीं थे। उन्होंने इसकी शूटिंग अमरोहा (उत्तर प्रदेश) में की। इस स्थान का चयन भी संयोग ही रहा। वह गजरौला से गुजरते हुए कार से जा रहे थे, तो अमरोहा में अचानक उनकी जब आंख खुली तो जो चौराहा दिखा, उससे लगा कि वे आरा पहुंच गए हैं। बस फिर क्या था, वहीं शूटिंग की। उन्होंने ट्रक से आरा के रिक्शे समेत अन्य सामान मंगाए। पहले उन्होंने इसकी कहानी गैंग्स ऑफ वासेपुर की अभिनेत्री ऋचा चड्ढा को ध्यान में रखकर लिखा था, लेकिन स्वरा भास्कर को लिया। उन्होंने फिल्म की कहानी यूट्यूब पर ताराबानो फैजाबादी की एक इरोटिक गाने को सुनकर की, जिसमें गायिका का चेहरा भावशून्य था। जब वह इसकी तह में गए, तो तारा बानो, चांद-बिजली, हरियाणा की सपना चौधरी जैसी गायिकाओं-नृत्यांगनाओं के चेहरे घूम गए। बस एक काल्पनिक किरदार को ध्यान में रखकर पूरी पटकथा लिखी।
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इम्तियाज ने गले से लगा लिया
अविनाश दास ने बताया कि जब उन्होंने इस फिल्म के प्रीमियर में इम्तियाज अली को बुलाया, तो उन्होंने कहा कि वह उनकी फिल्म टिकट लेकर थियेटर में देखेंगे। वह अपनी फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' को लेकर व्यस्त थे। दूसरे दिन उन्होंने फोन किया कि वह अंधेरी के सिटी मॉल में उनकी फिल्म देख रहे हैं। मैं भी उनसे मिलने पहुंच गया। इम्तियाज अपने मॉम-डैड के साथ फिल्म देख रहे थे। फिल्म खत्म होते ही, उन्होंने जैसे देखा तो गले मिले और पांच मिनट तक गले से लगाए रखा। मेरे लिए इससे खुशी की बात क्या हो सकती है।
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हीरामन ने सुनाया बुंदेलखंड का लोकगीत
संवाद के दौरान फिल्म अनारकली के अहम किरदार हीरामन बने इश्तियाक खान ने एक दर्शक की मांग पर बुंदेलखंडी लोकगीत सुनाया। इसी क्रम में इश्तियाक ने बताया कि हीरामन जैसा किरदार हर आदमी के जीवन में कहीं ना कहीं मिलता है। उनका भी अनारकली से इंसानियत का रिश्ता था। राम-रहीम का उदाहरण सामने है। दो लड़कियों ने हाई प्रोफाइल बाबा को कहां पहुंचा दिया, यह बताने की जरूररत नहीं है। उन्हें भी कुछ हीरामन मिले होंगे, तभी यह संभव हुआ होगा। समाज में हीरामन अलग-अलग रूप में प्रकट होते हैं। उन्होंने बताया कि फिल्म के लिए उन्होंने मोबाइल पर सहायक निर्देशक जीतू से रिकार्ड कराकर और सुनकर भोजपुरी का लहजा सीखा।
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दर्शक ही फिल्म को बनाते बड़ा : ब्रह्मात्मज
संवाद के दौरान संचालक की भूमिका निभाते हुए फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज ने कहा कि दर्शक ही फिल्म को बड़ा बनाते हैं। फिल्म सिर्फ बजट या स्टारकास्ट से बड़ी नहीं होती, जब तक दर्शकों को पसंद ना आए। इसी बीच अविनाश दास ने बताया कि उनकी यह फिल्म 3.5 करोड़ में बनी और निर्माता को 18 करोड़ आ चुके हैं। उन्होंने फिल्म बनाते समय सिर्फ कहानी पर ध्यान दिया, बजट का नहीं।
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इन्होंने पूछे सवाल
निरंजन नायक, बाबूलाल चक्रवर्ती, रवींद्र सिन्हा, सच्चिदा त्रिपाठी, विजय लक्ष्मी, रश्मि चौबे, विशाखा, प्रेम, गीता सिंह, दीप्ति सरकार, श्याम ठाकुर, जयवर्द्धन, बबलू राज, कुमार कुणाल व विजय शर्मा।