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आटोमेटेड फिटनेस सेंटर से कामर्शियल वाहनों का फिटनेस लेना होगा अनिवार्य

ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर से अब वाहन मालिकों को फिटनेस प्रमाण पत्र लेने में आसानी होगी। पूर्वी सिंहभूम के हाइवे में पहले इसका केंद्र नहीं था। अब गालूडीह थाना क्षेत्र के आमचुरिया में यह सेंटर खुल गया। सीधे यहां से वाहन मालिक प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 01:43 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 01:43 PM (IST)
आटोमेटेड फिटनेस सेंटर से कामर्शियल वाहनों का फिटनेस लेना होगा अनिवार्य
फिटनेस के तरीके को बताती यह प्रतीकात्मक तस्वीर

जमशेदपुर, जासं। केंद्र सरकार के परिवहन मंत्रालय ने 25 सितंबर 2021 से कामर्शियल वाहनों का फिटनेस टेस्ट ऑटोमेटेड (स्वचालित) टेस्टिंग सेंटर में कराना और सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए झारखंड में चार ऐसे ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटरों को मान्यता दी गई है जिनमें से जमशेदपुर में एक ,धनबाद में एक और दो रांची में है। पूर्वी सिंहभूम जिले के लिए यूनिवर्सल ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर को अधिकृत ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर घोषित किया गया है। जहां स्वचालित मशीन से वाहनों की जांच कर सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसके लिए वाहन मालिकों को 1000 से 1500 रुपये देने होंगे।

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पूर्वी सिंहभूम के गालूडीह में खुला है यह सेंटर

जमशेदपुर स्थित सेंटर गालूडीह से सात किलोमीटर पहले आमुचरिया के पास स्थित है जहां लाइट, मीडियम व हैवी कार्मिशयल वाहनों की जांच शुरू हो गई है। इस सेंटर के खुलने से का वाहन मालिकों को काफी सहूलियत होगी। उन्हें स्वचालित मशीनों से वाहन की जांच के लिए कहीं भटकना नहीं होगा और वाहन की तकनीकी खामियों का भी आसानी से पता चल जाएगा। जिससे वाहन दुर्घटना होने से बच जाएगी। कामर्शियल वाहन मालिकों को आठ साल की अवधि में हर दो साल में एक बार और आठ साल पुराने वाहनों का हर साल फिटनेस कराना अनिवार्य होगा।

ऑटोमेटेड टेस्टिंग के कई फायदे

कामर्शियल वाहनों की ऑटोमेटेड टेस्टिंग के कई फायदे हैं। पहले तो इसमें समय की काफी बचत हो जाती है। इसके अलावा सारी जांच प्रक्रिया मशीनों के जरिए होती है। वाहन की हालत के बारे में सटीक जानकारी वाहन मालिक को मिल जाती है। साथ में ऑटोमेटेड टेस्टिंग सेंटर में टेस्ट कराने का शुल्क भी काफी कम है जिससे यह किफायती भी है। वाहनों की सभी त्रुटियां जो सड़क दुर्घटना का कारण बन सकती हैं, उन्हें उजागर किया जाता है। जो वाहन सड़क पर चलने योग्य हैं और उन्हें ही सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। वाहन की फिटनेस सही रहने से सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी। साथ ही इससे सरकार को भी राजस्व प्राप्त होगा।


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