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NIT के पुस्तकालय शुल्क में अनियमितता का मामला सीवीसी के हवाले, विलंब शुल्क जमा करने में हुई थी गड़बड़ी

Irregularity in NIT. आदित्यपुर स्थित एनआइटीजमशेदपुर के पुस्तकालय में छात्रों के विलंब शुल्क की राशि जमा करने के मामले में वित्तीय अनियमितता पर निर्णय सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) लेगा। तत्कालीन पुस्तकालय अध्यक्ष नीता भारती पर रुपये की गड़बड़ी का आरोप है

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 08:47 AM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 04:26 PM (IST)
NIT के पुस्तकालय शुल्क में अनियमितता का मामला सीवीसी के हवाले, विलंब शुल्क जमा करने में हुई थी गड़बड़ी
आदित्‍यपुर स्थित एनआइटी जमशेदपुर का मुख्‍य प्रशासनिक भवन। फाइल फोटो

आदित्यपुर (संवाद सहयोगी)। आदित्यपुर स्थित एनआइटी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी) जमशेदपुर के पुस्तकालय में छात्रों के विलंब शुल्क की राशि जमा करने के मामले में वित्तीय अनियमितता पर निर्णय सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) लेगा।

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एनआइटी गर्वनिंग बॉडी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसमें तत्कालीन पुस्तकालय अध्यक्ष नीता भारती पर करीब आठ लाख रुपये की गड़बड़ी का आरोप है, लिहाजा उन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इस सबंध में बताया जाता है कि सेंट्रल विजिलेंस कमीशन को मामले पर निर्णय लेने का अधिकार प्रदान किया गया है। सीवीसी को मामला सौंपे जाने की पुष्टि करते हुए एनआइटी के रजिस्ट्रार कर्नल एके राय ने कहा कि इसको लेकर प्रकिया शुरू कर दी गई है। सीवीसी द्वारा जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद मामले पर जल्द फैसला आ जाएगा।

क्या है मामला

एनआइटी के पुस्तकालय में छात्रों के विलंब शुल्क की राशि जमा करने में हुई गड़बड़ी का मामला सितंबर में ही सामने आया था। संस्थान के खाते में विलंब शुल्क जमा ही नहीं हुआ था। मामले की जानकारी होने पर संस्थान ने मामले की जांच बीएचयू (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी) के रजिस्ट्रार से कराई थी। उसमें पुस्तकालय के अध्यक्ष नीता भारती पर लगे आरोप पूरी तरह से सही पाए गए थे। कुल आठ लाख रुपए की वित्तीय अनियमितता हुई थी। अब सीवीसी के रिपोर्ट आने के बाद मामले में पुस्तकालयाध्यक्ष पर पदावनति या बर्खास्तगी के अलावा आर्थिक दंड लग सकता है।

इनके द्वारा की गई अनियमितताएं भी ठंडे बस्ते में

एनआईटी में पूर्व के समय से ही कई तरह की वित्तीय अनियमितताओं के मामले पर अबतक किसी तरह का निर्णय नहीं लिया जा सका है। इसमें बताया जाता है कि पूर्व के प्रोफेसर ए के खान, अखिलेश्वर मिश्रा के अलावा भी अन्य कई मामलों की जांच सीवीसी के द्वारा किया जा रहा है, लेकिन आजतक उसमें निर्णय नहीं लिया जा सका है।


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