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Irregularity in PF: इंकैब कर्मियों के पीएफ में गड़बड़ी, यूनियन ने पूछा - कहां गया पैसा

Irregularity in PF of Incab employees.कभी एशिया की अग्रणी केबुल निर्माता कंपनी में शुमार रही शहर की इंकैब इंडस्ट्री पिछले बीस वर्षों से बंदी की मार झेल रही है। कंपनी की रिवाइवल और नीलामी की कानूनी लड़ाई के बीच घोटाले भी सामने आ रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 19 Dec 2020 08:35 AM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 08:35 AM (IST)
Irregularity in PF:  इंकैब कर्मियों के पीएफ में गड़बड़ी, यूनियन ने पूछा - कहां गया पैसा
इंकैब कर्मियों के पीएफ मामले में ट्रस्टी सवालों के कटघरे में खड़ा है।

जमशेदपुर, जासं।  करीब 20 वर्ष से बंद इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल) कर्मियों के पीएफ मामले में गड़बड़ी का आरोप लगा है। कंपनी के यूनियन नेता ने पीएफ में भारी गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए मामले की जांच कराने की मांग की है।

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करीब एक हजार कर्मचारियों के मामले में यूनियन नेताओं ने सीएम को पत्र लिखकर सीबीआई जांच कराने की मांग की है। पीएफ का मामला हाईकोर्ट में लंबित है। इस पर केबुल वर्कर्स यूनियन ने सवाल खड़ा किया है कि आखिर यह पैसा कहां गया। यूनियन नेता हंसनाथ यादव, योगेंद्र यादव, कल्याण शाही ने पीएफ का पैसा कर्मचारियों तक नहीं पहुंचने के मामले को उठाया है।

पीएफ ट्रस्‍ट ने ट्रांसफर नहीं किया पैसा

बताया है कि पीएफ ट्रस्ट के बैलेंसशीट के अनुसार वर्ष 1993 से 2009 तक मजदूरों का तीन करोड़ 70 लाख रुपये कंपनी पर बकाया है। प्रबंधन ने एक करोड़ 29 लाख रुपये पीएफ ट्रस्ट को दिया। लेकिन ट्रस्ट ने इन पैसों को कर्मचारियों के खाते में ट्रांसफर नहीं किया। इस मामले में ट्रस्टी सवालों के कटघरे में खड़ा है। हालांकि, यह मामला झारखंड हाईकोर्ट पहुंच गया है। 2011 में पीएफ ट्रस्टी समाप्त हो गया फिर इसे सरकार के अधीन  किया गया।

चार अप्रैल-2000 को बीमार घोषित हुई कंपनी

कभी एशिया की अग्रणी केबुल निर्माता कंपनी के रूप में शुमार रही शहर की इंकैब इंडस्ट्री पिछले बीस वर्षों से कुप्रबंधन और घोटालों की वजह से बंदी की मार झेल रही है। कंपनी की रिवाइवल और नीलामी की कानूनी लड़ाई के बीच घोटाले भी सामने आ रहे हैं। इंकैब इंडस्ट्री चारअप्रैल 2000 को बायफर में बीमार कंपनी के रूप में सूचिबद्ध हुई। कंपनी के वर्ष 1999 के बैलेंसशीट के मुताबिक बाजार में कंपनी का ग्राहकों के पास 54 करोड़ रुपये बकाया दिखाया गया?  इसके अलावा कंपनी में करोड़ों रुपये का तैयार माल (केबुल), कच्चा माल और स्क्रैप भी उपलब्ध था। बंदी के दौरान प्रबंधन ने बाजार से बकाये की वसूली भी किया, करोड़ों रुपये का स्क्रैप बेचा गया। लेकिन वेतन के बिना आर्थिक तंगी से जूझ रहे मजदूरों को एक पैसा भी नहीं मिला। बायफर के मिनट्स में इस बात का जिक्र है कि 30 करोड़ रुपये कंपनी के खाते में आया है लेकिन कंपनी के रिकार्ड में इसका जिक्र नहीं है।


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