फसल खराब हुई तो दो साल दौड़े, मिला मात्र 53 रुपये मुआवजा
दो साल तक दौड़ लगाने के बाद बीमा कंपनी ने नौ दिसंबर को किसानों के खाते में महज 53 रुपये हस्तांतरित किए। यानि 413.27 रुपये प्रति एकड़ दिए।
घाटशिला(पूर्वी सिंहभूम), मंतोष मंडल। इसे मजाक नहीं तो और क्या कहा जाए। 413.27 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से इस भरोसे पर बीमा कराया कि फसल खराब होने पर प्रति एकड़ 20 हजार 913 रुपये क्षतिपूर्ति मिलेगी। फसल खराब हुई तो एड़ियां घिस डालीं। दो साल तक दौड़ लगाने के बाद बीमा कंपनी ने विगत नौ दिसंबर को किसानों के खाते में महज 53 रुपये हस्तांतरित किए। यानि 413.27 रुपये प्रति एकड़ दिए। दो साल दौड़े, 20 हजार की जगह मिले 53 रुपये। यह है पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड अंतर्गत जोड़िशा पंचायत के किसानों के लिए फसल बीमा की हकीकत।
फसल चौपट होने का दंश, किसानों में आक्रोश
इसके अगले वर्ष 2017 में भी जोड़सा पंचायत के किसानों ने लैंपस के माध्यम से बीमा कराया। इस बार प्रति एकड़ 526 रुपये प्रीमियम दिए जिसके एवज में लगभग 26 हजार 299 रुपया बीमा राशि निर्धारित की गई। वर्ष 2016-17 में फेसाई चक्रवात से किसानों के 60 प्रतिशत से अधिक फसल की बर्बाद हो गई। किसानों ने मुआवजा मांगना शुरू किया। लगभग दो वर्ष बीत जाने के बाद इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा किसानों को 53 रुपया बीमा की राशि भेज दी गई। किसानों में आक्रोश है और वे अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। मामले पर सांसद प्रतिनिधि काल्टू चक्रवर्ती के नेतृत्व में किसानों ने घाटशिला अधिकारी राजेंद्र प्रसाद से मुलाकात कर शिकायत की। सीओ ने बीसीओ के पास जाने को कहा। सांसद प्रतिनिधि ने बीसीओ प्रकाश राय से दूरभाष पर किसानों को उचित मुआवजा दिलवाने की मांग रखी।
बीसीओ से मांगी गई जानकारी
बीमा से संबंधित मामले को लेकर बीसीओ से जानकारी मांगी गई है। आपदा से क्षतिपूर्ति होने पर आवेदन के आधार पर अंचल से जांच कराई जाती है। हाल में हुए वर्षा से फसल बर्बाद होने पर मुआवजे के लिए आवेदन दिए गए हैं। आवेदन के आधार पर जांच कराई जाएगी।
- राजेंद्र प्रसाद, सीओ, घाटशिला।
जांच के बाद होगी कार्रवाई
जोड़शा के किसानों ने फसल बीमा की मुआवजा राशि कम दिए जाने की शिकायत दूरभाष पर मिली है। फिलहाल मैं अवकाश पर हूं। किसानों से बीसीओ को आवेदन करते हुए मुङो भी कॉपी देने को कहा है। उसके आधार पर आगे जांच कराई जाएगी।
- पतित पावन घोष, प्रभारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारी।
ये कहते सांसद प्रतिनिधि
क्षतिपूर्ति के रूप में 53 रुपया देना किसानों के साथ मजाक और पूरी तरह से विभागीय अधिकारी के लापरवाही का नमूना है। मामले के जांच की मांग कर किसानों को तत्काल उचित मुआवजा देने की मांग की गई हैं।
- काल्टू चक्रवर्ती, सांसद प्रतिनिधि।