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IED BLAST : आइईडी ब्लास्ट की खुफिया रिपोर्ट के बावजूद फंस गई पुलिस, हुआ कुछ ऐसा

BLAST. कोल्हान में आइईडी ब्लास्ट की पहले से ही खुफिया रिपोर्ट थी। इसके बावजूद पुलिस नक्सली के जाल में फंस गए।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 29 May 2019 02:29 PM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 02:29 PM (IST)
IED BLAST : आइईडी ब्लास्ट की खुफिया रिपोर्ट के बावजूद फंस गई पुलिस, हुआ कुछ ऐसा
IED BLAST : आइईडी ब्लास्ट की खुफिया रिपोर्ट के बावजूद फंस गई पुलिस, हुआ कुछ ऐसा

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता।  कोल्हान खासकर सरायकेला-खरसावां जिले के खरसावां में मई माह में आइईडी विस्फोट, चौका और चांडिल में पोस्टरबाजी के बाद मंगलवार को कुचाई में आइईडी विस्फोट ने सुरक्षा बलों की रणनीति पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। कोल्हान में आइईडी ब्लास्ट की पहले से ही खुफिया रिपोर्ट थी। इसके बावजूद पुलिस नक्सली के जाल में फंस गए।

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खुफिया विभाग ने पूर्व में ही कोल्हान में आइईडी ब्लास्ट के संबंध में पुलिस को सचेत किया था। चुनाव के संबंध में कोल्हान के तीनों जिले के एसपी ने चुनाव ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मियों व सीआरपीएफ जवानों को बकायदा आइईडी ब्लास्ट से बचने का उपाय भी बताया था। खुफिया रिपोर्ट में भी अंदेशा जताया गया था कि चुनाव के दौरान नक्सली जिले के कुछ इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं। बढ़ रहे नक्सली गतिविधियों के मद्देनजर विशेष सतर्क रहने को कहा गया था। 

क्या होता है आइईडी ब्लास्ट 

आइईडी यानी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) यह एक तरह का बम होता है जो सेना के बमों से अलग होता है। इस तरह के बम को खासकर नक्सली सड़क के किनारे लगाने में उपयोग करते हैं। इन बमों को बहुत ही काम चलाऊ तरीके से बनाया जाता है। इस बम में घातक जहरीले, पटाखे बनाने वाले व आग लगाने वाले केमिकल का प्रयोग किया जाता है। इन्हें इस तरह से बनाया जाता है कि इसपर पांव पडऩे या गाड़ी का पहिया पडऩे से ही ये फट जाते हैं जिसके चपेट में आने से बड़ा हादसा हो जाता है। 

आइईडी से बचाव के उपाय

  •  उग्रवाद या नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पैदल चलें व परंपरागत रास्तों को छोड़कर सतर्कता पूर्वक आइईडी एंबुश की जांच करते हुए आगे बढ़ें 
  • कच्चे रास्तों तथा ताजा मरम्मत की हुई मिट्टी, पुआल, टहनियां जमा रखे स्थान, चमकीली वस्तु, सड़क के किनारे तार के टुकड़े नजर आए उससे दूर रहें
  • बारूदी सुरंग मुख्य रूप से रास्ते में चढ़ाई शुरू होने वाले स्थान, तीखे मोड़ या ऐसे स्थान पर बिछाई जाती है जहां वाहन की गति स्वत: कम हो जाती है। ऐसे स्थानों से काफिला गुजरने से पहले जांच कर के ही आगे बढ़ें
  • वाहन से जाने के समय हुड पर एक जवान को दूर से स्थिति पर नजर रखने के लिए अवश्य रखें तथा सभी जवान तैयार व सतर्क रहें। 
  • लौटने के समय जवान दूसरे रास्ते का उपयोग करें, यदि एक ही रास्ता है तब कुछ दूरी तक गाड़ी चलाकर रोक लें और उतर कर सड़क के दोनों तरफ तार की तलाशी करते हुए आगे बढ़ें। 
  •  एंबुस होने पर गाड़ी से तुरंत उतरें और आड़ लेते हुए एंबुस की दिशा में धावा बोलकर फायर करें। 
  • मतदान केंद्र व उसके आसपास उपद्रवियों की गतिविधि पर पैनी नजर रखें और मतदान केंद्र पर किसी भी तरह के हमले की दशा में त्वरित कार्रवाई करें। 
  • नक्सल इलाके में जाने से पूर्व चालक को संभावित खतरों, रास्तों के बारे में पूरी तरह अवगत करा दें। 
  • पुलिस के अधिकारी अपने मूवमेंट गुप्त रखें एवं इसकी चर्चा किसी से न करें, यहां तक की चालक से भी न करें, अचानक मूव करें। 
  • कच्चे रास्तों पर पडऩे वाले नाला, पुलिया, नदी आदि में 50 मीटर पहले से ही रास्ता छोड़कर बाएं या दाहिने दूर होकर पार करें
  • लैंड माइंस विस्फोट होने पर जमीन पर लेट जाएं
  •  दूर दराज के इलाकों में चापाकल में इस प्रकार विस्फोटक लगाए जाते हैं कि चापाकल का प्रयोग करते ही वह विस्फोट कर जाए, इससे सतर्क रहने की जरुरत है। 

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