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शराब पीकर बैठे तो स्टार्ट नहीं होगा वाहन

इसरो का भ्रमण करने वाली धालभूमगढ़ कस्तूरबा की छात्रा मांतू पाणि ने अपने मॉडल के माध्यम से बताया कि शराब पीकर बैठने पर आपका वाहन स्टार्ट ही नहीं होगा।

By Edited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 11:00 AM (IST)
शराब पीकर बैठे तो स्टार्ट नहीं होगा वाहन
शराब पीकर बैठे तो स्टार्ट नहीं होगा वाहन

जमशेदपुर, वेंकटेश्वर राव। कोल्हान स्तरीय इंस्पायर अवार्ड प्रदर्शनी मंगलवार को न्यू बाराद्वारी स्थित पीपुल्स अकादमी उच्च विद्यालय परिसर में लगाई गई। इसमें 239 बाल वैज्ञानिकों ने प्रतिभा का परिचय दिया। इसमें पूर्वी सिंहभूम से 171, पश्चिम सिंहभूम के 38 एवं सरायकेला-खरसावां जिला के 30 प्रदर्श (मॉडल) प्रदर्शित किए गए। इसमें विद्यार्थियों ने प्रतिभा का प्रदर्शन किया। किसी ने जुगाड़ तंत्र से ऊर्जा संरक्षण तो किसी ने नदियों की सफाई पर जोर दिया।

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इसरो का भ्रमण करने वाली धालभूमगढ़ कस्तूरबा की छात्रा मांतू पाणि ने अपने मॉडल के माध्यम से बताया कि शराब पीकर बैठने पर आपका वाहन स्टार्ट ही नहीं होगा। सबसे ज्यादा लोग इस मॉडल का अवलोकन कर रहे थे। मॉडल के बारे में मांतू ने बताया कि वाहन में एक सेंसर लगा हुआ है, सेंसर को मोबाइल नंबर से जोड़ दिया गया है। शराब पीकर चढ़े तो वाहन स्टार्ट ही नहीं होगा। सिर्फ यही नहीं इसका एसएमएस निकटवर्ती पुलिस स्टेशन में चला जाएगा। यदि आपने शराब नहीं पी है तो वाहन के स्टार्ट होने में कोई परेशानी नहीं होगी।

मकई के सहारे बताई पानी शुद्धिकरण की विधि 

पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित मंझारी प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय पिलिका की कक्षा नवम की छात्रा रानी सोरेन ने मकई के माध्यम से पानी के शुद्धिकरण की विधि बताई। इसके लिए उन्होंने पांच बकेट (बाल्टी) को लेकर स्टैंड के साथ इसे जोड़ दिया। सबसे पहले बकेट में पानी डाल दिया। उसके नीचे के बकेट में मकई डाल दी। मकई के छिद्र में गंदा पानी जमा होने लगा। चौथी बकेट में तारकोल डाला गया। यहां शुद्धिकरण होकर शुद्ध पानी सबसे अंतिम बकेट में जमा होता है।

ड्रोन से खेतों की निगरानी

घाटशिला कस्तूरबा की छात्रा पारुल सिंह ने अपने मॉडल के माध्यम से कैसे ड्रोन के माध्यम से खेतों की निगरानी की जा सकती है, इसकी जानकारी दी। बताया कि गांव में फसलों की चोरी होते रहती है, इसी को बचाने के लिए यह मॉडल बनाया गया है। ड्रोन को घर के मोबाइल सिस्टम से जोड़कर इसे खेतों में छोड़ दिया जाता है। कोई खेत में घुसने पर अलार्म घर में बैठे लोग आराम से सुन सकते हैं।

जैविक विधि से नदियों को रखा जा सकता है स्वच्छ

राजस्थान विद्या मंदिर उच्च विद्यालय साकची की छात्रा रिया चौधरी ने बताया कि उनका मॉडल जैविक विधि से नदियों को स्वच्छ रखने के बारे में बताता है। इसमें कच्चे नारियल के छिलके धान का भूसा, क्रशर मशीन, पाइप, फिल्टर पेपर का उपयोग किया गया। कारखानों के दूषित जल को कच्चे नारियल के छिलके के चूर्ण एवं धान के भूसे द्वारा उपचारित करने पर 90 प्रतिशत से अधिक भारी धातुएं अधिशोषित हो जाती हैं। इस तरह कम खर्च में नदियों का जल प्रदूषण मुक्त हो जाता है।

साइकिल से चलता है स्मार्ट वाटर पंप 

उत्क्रमित उच्च विद्यालय माटीगोड़ा मुसाबनी के छात्र बिट्टू दास ने ऊर्जा संरक्षण के इरादे से स्मार्ट वाटर पंप का मॉडल प्रदर्शित किया। इस पंप को साइकिल के पैडल से जोड़ दिया गया है। घूर्णन के माध्यम से यह पंप संचालित होता है। घूर्णन के कारण मोटर चलते रहता है और एकत्रित किया गया पानी पाइप के माध्यम से दूसरे स्थान पर स्टोर किया जाता है। इस वाटर पंप को बिजली या किसी अन्य ऊर्जा संसाधन की आवश्यकता नहीं होती है। यह नदियों, तालाबों, कुओं और इसी तरह के अन्य जल स्रोतों से जल के परिवहन के लिए सक्षम है यह गरीब किसानों के लिए सिंचाई का उत्तम साधन है।

स्विच बंद करेंगे तो होगी ऊर्जा की बचत

एसएन हाई स्कूल आदित्यपुर दसवीं के छात्र नीतेश कुमार ने ऊर्जा संरक्षण का मॉडल प्रस्तुत करते हुए बताया कि लोग आलस के कारण रिमोट या मोबाइल से घरों के विद्युतीय उपकरणों को बंद करते हैं, लेकिन उसका मेन स्वीच बंद करना भूल जाते हैं। रात भर स्विच ऑन रहने से ऊर्जा की खपत होती है। इस कारण स्विच को हर हाल में बंद करना चाहिए। इस छात्र ने किस तरह से घरेलू उपकरणों में विद्युतीय ऊर्जा की खपत होती है यह प्रदर्शित किया और एक अच्छा संदेश दिया।

जुगाड़ तंत्र से हो सकता है नदियों की सफाई

कस्तूरबा गम्हरिया की छात्रा संगीता हांसदा ने कबाड़ से तालाब और नदियों को आसानी से साफ करने की विधि बताई। बीयर की बोतले व अन्य कबाड़ व पाइप को एक मोटर से जोड़ा गया। मोटर के आगे चुंबकीय प्लेट लगा दी । इस मोटर के पानी में घुमने से कूड़ा-कचरा प्लेट में फंस जाता है। ऐसा होने पर तालाब व नदिया साफ हो सकती है।

कबाड़ से बनी वाशिंग मशीन रही आकर्षण का केंद्र

आदिवासी हाई स्कूल बोड़ाम की छात्रा छोटी प्रमाणिक व भारती प्रमाणिक ने पूरी तरह कबाड़ से स्वनिर्मित वाशिंग मशीन बनाई है। इसे हाथ से घुमाने पर कपड़े आसानी से धुल सकते हैं। इसका प्रयोग भी छात्रों ने जजों व शिक्षकों के सामने किया। सोनाझुरी फल का प्रयोग कर स्वनिर्मित वाशिंग मशीन द्वारा कपड़े की धुलाई की जाती है।

सीढि़यों या उबड़ खाबड़ रास्ते में चल सकती है यह ट्रॉली

टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय कदमा की छात्रा हेमा घोष ने स्टेयर क्लाइंबिंग ट्रॉली का मॉडल प्रदर्शित किया। आमतौर पर दैनिक जीवन में सामान, बक्सों और गैस सिलेंडरों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की आवश्यकता होती है और सामान्यत: यह कार्य ट्रालियों के द्वारा किया भी जाता है, लेकिन यह ट्रॉली तब विफल हो जाती है, जब सामान को सीढि़यों या उबड़ खाबड़ जगह ले जाने की आवश्यकता होती है। इसी विफलता को सफलता को बनाने के लिए यह ट्रॉली इस इस छात्रा ने बनाई। ताकि आसानी से लोग अपने सामानों और बुजुर्गो तथा दिव्यांगों को ले जा सके। छात्रा ने बताया कि स्कूल की विज्ञान शिक्षिका शिप्रा ने इस मॉडल को बनाने के लिए प्रेरित किया।


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