आरक्षित सीट पर नामांकन नहीं लेने वाले स्कूलों के खिलाफ जांच का आदेश
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने जमशेदपुर के स्कूलों में आरक्षित सीट पर प्रवेश कक्षा में नामांकन न लेने के मामले को गंभीरत से लिया है। इस मामले में उपायुक्त को जांच का आदेश दिया गया है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कमजोर एवं अभिवंचित वर्ग के बच्चों को विभिन्न स्कूलों द्वारा नामांकन न लेने के मामले को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने गंभीरता से लिया है। इस मामले में आयोग ने उपायुक्त से जांच कराने का आदेश दिया है। आयोग ने इस संबंध में जमशेदपुर अभिभावक संघ का एक पत्र संलग्न किया है। इस पत्र में निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को प्रवेश कक्षा की आरक्षित सीट पर नामांकन हेतु बच्चों के जन्म प्रमाण के अभाव में अभिभावक द्वारा बच्चे को जन्म के संबंध में की गई आयु की घोषणा को बच्चों के जन्म का दस्तावेज नहीं माने की जाने की बात कही गई है। जबकि ऐसा कहीं पर नियम नहीं है। इसके अलावा आरटीई अधिनियम 2009 की धारा 14 की उप धारा के प्रावधान के अनुसार स्कूल बच्चे जन्म प्रमाण पत्र के अभाव में नामांकन लेने से मना नहीं कर सकते हैं। झारखंड सरकार स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा जारी एक और अधिसूचना 237 की कंडिका 7 के प्रावधान के अनुसार अभिवंचित एवं कमजोर वर्ग के अभिभावक के बच्चे का स्कूल प्रवेश कक्षा की आरक्षित सीट में नामांकन की आयु सीमा न्यूनतम एवं अधिकतम क्रमश: 3 वर्ष 6 माह से 4 वर्ष 6 माह होनी तय की गई है। सत्र 2018-2019 के लिए निजी स्कूलों द्वारा यह आयु सीमा नहीं मानी जा रही है। डीएसई सह नोडल पदाधिकारी पूर्वी सिंहभूम जमशेदपुर के कार्यालय में आवेदन करने के बाद कार्यालय द्वारा आवेदनों की जांच के बाद आवेदित स्कूल को भेजने के बाद भी आवेदनों को लौटा दिया जा रहा है। इसको लेकर अभिभावक संघ के अध्यक्ष डॉ. उमेश ने डीबीएमएस हाई स्कूल, आरवीएस एकेडमी मानगो, आरएमएस स्कूल, केरला पब्लिक स्कूल मानगो के खिलाफ आयोग में मामला दर्ज कराया था। इसी मामले के आलोक में उपायुक्त को जांच कराने का आदेश आया है।