खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाकर बना रहे ज्ञानी
सरकारी स्कूलों में खेल-खेल में बच्चों की पढ़ाई रोचक बनाकर प्रभाशंकर मणि तिवारी ने नई इबारत गढ़ दी है। उनकी कहानी बेहद दिलचस्प है।
अभय लाभ, गम्हरिया : सरकारी स्कूलों में खेल-खेल में बच्चों की पढ़ाई रोचक बनाकर प्रभाशंकर मणि तिवारी ने अनूठी इबारत लिखी है। शून्य खर्च पर सरकारी शिक्षण व्यवस्था में सुधार वाले उनके इस नवाचार को झारखंड समेत 22 राज्यों में लागू करने की योजना है। मल्टी लेवल टीचिंग फार मल्टी ग्रेडेड चाइल्ड आधारित इस नवाचार को श्री अरविंदो सोसायटी ने झारखंड बुक ऑफ बेस्ट प्रैक्टिसेज में प्रकाशित किया है। अब यह पुस्तिका 22 राज्यों के स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन का ज्ञान बढ़ाएगी। राची एआरटीसी ट्रेनिंग केंद्र में भी इस पर चर्चा हो चुकी है।
खेल-खेल में शिक्षा के इस आइडिया के लिए इसी माह राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने 44 वर्षीय प्रभाशकर को राजभवन में बुलाकर सम्मानित किया था। प्रभाशंकर सरायकेला खरसावां जिले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पालूबेड़ा गम्हरिया में शिक्षक हैं। प्रारंभिक शिक्षा काड्रा तथा उच्च शिक्षा जमशेदपुर में ग्रहण करने वाले प्रभाशंकर वर्ष 2004 में शिक्षक बने। पिता दलसिंगार चक्रधरपुर रेल मंडल में स्टेशन प्रबंधक रह चुके हैं।
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ऐसे आया आइडिया
प्रभाशंकर का स्कूल पहाड़ों की तलहटी में जंगल के बीच है। बच्चों के पास खेल का मैदान नहीं है। कक्षा एक से आठ तक के लिए मात्र दो शिक्षक हैं। अवकाश पर जाने या विभागीय कार्य से बाहर जाने के बाद स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक रह जाता है। ऐसे में सभी बच्चों को एकसाथ बैठा कर खेल-खेल में गतिविधि के माध्यम से पठन पाठन का कार्य शुरू हुआ। बच्चों पर इसका अच्छा असर दिखा। छात्रों की रूचि पढ़ाई में बढ़ गई। कक्षा में उपस्थिति बढ़ने लगी। गणित से व्याकरण तक की पढ़ाई भी खेल खेल में होने लगी। शिक्षक एक साथ बहुस्तरीय कक्षाओं को पढ़ाने लगे। बच्चों को खेल मैदान की कमी का एहसास नहीं हो पाता है।
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कोट --
खेल-खेल में सीखना व समझना बच्चों की स्वाभाविक प्रक्रिया है। ऐसे में पढ़ाई आनंदमय लगने लगता है। बच्चे सहयोग, समन्वय, मित्रता, दया, करुणा, अनुशासन, प्रेम, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का गुण अपनाते हैं।
- प्रभाशंकर मणि तिवारी, शिक्षक, उत्क्रमित मध्य विद्यालय पालूबेड़ा गम्हरिया