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क ख ग घ.. से लेकर इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई, पढिए जेल की कालकोठरी में उजाले की कहानी

बाल सुधार गृह के बाल बंदियों के बीच शिक्षा की अलख जगाने का काम शुरू कर दिया गया है। एक बाल बंदी ने तो बाल सुधार गृह में रहकर ही टाटा स्टील अप्रेंटिस की परीक्षा पास कर ली।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 30 Nov 2018 12:22 PM (IST)Updated: Fri, 30 Nov 2018 12:22 PM (IST)
क ख ग घ.. से लेकर इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई, पढिए जेल की कालकोठरी में उजाले की कहानी
क ख ग घ.. से लेकर इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई, पढिए जेल की कालकोठरी में उजाले की कहानी

जमशेदपुर [मनोज सिंह]। जेल की कालकोठरी में उजाला।  यह उजाला है शिक्षा का उजाला। इस उजाले की रोशनी में मुरझाए चेहरे खिल रहे हैं और नई इबारत लिख रहे हैं। किसी ने सामान्य डिग्री तो किसी ने तकनीकी डिग्री हासिल कर दामन पर लगे  दाग धो लिए हैं। यह सब हो रहा है झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर में ।

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आमतौर पर जेल, बाल सुधार गृह या संप्रेक्षण गृह में बंद बंदियों व उसके परिवार से आम लोग दूर ही भागते हैं। मदद करना तो दूर उनसे बात भी करना पसंद नहीं करते। ऐसे में इन बंदी बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। ऐसे बच्चों का भविष्य बनाने का बीड़ा उठाया है बाल सुधार गृह/ संप्रेक्षण गृह की प्रभारी दुर्गेश नंदनी की टीम ने।दुर्गेश नंदनी कहती हैं कि बाल बंदियों के अंधकारमय भविष्य को उज्जवल करने के लिए बाल सुधार गृह व संप्रेक्षण गृह में रह रहे बंदियों को ए बी सी डी.., क ख ग घ.. से लेकर कंप्यूटर, इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई कराई जा रही है।

आज के समय में हालात यह है कि बाल सुधार गृह व संप्रेक्षण गृह में के बाल बंदियों के बीच शिक्षा की अलख जगाने का काम शुरू कर दिया गया है। एक बाल बंदी ने तो बाल सुधार गृह में रहकर ही टाटा स्टील अप्रेंटिस की परीक्षा पास कर ली।उसकी पढ़ाई में शिक्षक अंजनी कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने पढ़ाई के लिए लाइब्रेरी के साथ ही उसे बाहर से खुद पुस्तक उपलब्ध कराया। बाल सुधार गृह में डिजीटल शिक्षा के साथ ही कंप्यूटर की भी पढ़ाई कराई जा रही है।

एक से बढ़कर एक हुनर

बाल सुधार गृह में पांच दर्जन से अधिक बाल बंदी हैं। अधिकांश बच्चे पढ़ाई तो कर ही रहे हैं, बल्कि बच्चे कौशल विकास के क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। एक बाल बंदी इंटर में पढ़ाई कर रहा है। उसका सपना है वह बीपीएससी कर प्रशानिक अधिकारी बनें और जनता की सेवा करें। कक्षा दस का एक लड़का है जो किसी भी विषय पर बैठे-बैठे कविता रच देता है। कक्षा दस का एक अन्य लड़का इंजीनियर बनना चाहता है, वह बाल सुधार गृह में पढ़ाई करता रहता है। कक्षा दस का ही एक लड़का जो डाक्टर बनना चाहता है। इस तरह यहां हर दूसरा छात्र कुछ न कुछ अपनी जिंदगी में बनना चाहता है।

पेंटिंग भी करते

छोटे-छोटे बच्चें को कौशल विकास की शिक्षा देने के लिए संयुक्ता व कल्पना शिक्षा देती हैं। बच्चे एक से बढ़कर एक पेंटिंग बनाते हैं, गाना गाते हैं और नाटक प्रस्तुत कर अपने हुनर का जलवा बिखेर रहे हैं। 15 अगस्त, 26 जनवरी को बच्चे अपने हुनर दिखाते हैं। यही नहीं संप्रेक्षण गृह के अधीक्षक दुर्गेश नंदनी भी बच्चों को आचरण के साथ ही पढ़ाई पर ध्यान देने को प्रेरित करती हैं।

सुधार गृ‍ह से शिक्षा लेकर जाते बाहर

बाल सुधार गृह में जो भी बच्चे आते हैं, वह शिक्षा लेकर ही बाहर जाते हैं। यहां खाना, स्वास्थ्य से लेकर सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। कुछ ऐसे भी बाल बंदी हैं जो अपने घर नहीं जाना चाहते।

-दुर्गेश नंदनी, प्रभारी बाल संप्रेक्षण गृह, जमशेदपुर। 

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