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MGM : गर्भ में शिशु की चली गई जान, निकालने में डॉक्‍टरों को लग गए 12 घंटे Jamshedpur News

प्रसव के लिए भर्ती महिला का शिशु दुनिया नहीं देख सका और गर्भ में ही साथ छोड़ गया। हद तो यह हो गई कि मृत शिशु को पेट से निकालने में ही 12 घंटे लग गए।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 08:38 PM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 08:38 PM (IST)
MGM : गर्भ में शिशु की चली गई जान, निकालने में डॉक्‍टरों को लग गए 12 घंटे Jamshedpur News
MGM : गर्भ में शिशु की चली गई जान, निकालने में डॉक्‍टरों को लग गए 12 घंटे Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। जी हां। यह कोल्‍हान का सबसे बड़ा सरकारी चिकित्‍सालय महात्‍मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्‍पताल है। यहां की व्‍यवस्‍था तमाम कवायदों, निरीक्षणों के बावजूद पटरी पर नहीं चढ़ पा रही है। हालात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि प्रसव के लिए भर्ती महिला का शिशु दुनिया नहीं देख सका और गर्भ में ही साथ छोड़ गया।

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हद तो यह हो गई कि गर्भ में मृत शिशु को महिला के पेट से निकालने में ही यहां के चिकित्‍सकों को एक-दो नहीं बल्कि पूरे 12 घंटे लग गए। वह तो गनीमत रही कि 12 घंटे बाद ही सही महिला का ऑपरेशन कर दिया गया और उसकी जान बच सकी। इस बीच महिला के परिजनों ने काफी दौड़-भाग की अनुनय-विनय किया। थक-हारकर हंगामे पर उतर आए। इस अंदेशे में कि कहीं महिला की भी जान न चली जाए। उन्‍हें चिकित्‍सकों से गुहार लगाने  के साथ ही अस्‍पताल के अधीक्षक व उपाधीक्षक से गुहार लगानी पड़ी। 

मुसाबनी निवासी दिनेश लोहार की पत्नी ममता लोहार को प्रसव पीड़ा होने पर मंगलवार की रात करीब एक बजे एमजीएम अस्पताल लाया गया। परिजनों का आरोप है कि यहां पर गर्भवती को सही ढंग से देखा भी नहीं गया और बच्चे को मृत बता दिया गया। परिजनों को काफी दुख हुआ लेकिन अब उन्‍होंने आगे की सोची और महिला की जान बच जाए, इस उम्‍मीद को लेकर बच्चे को निकालने की मांग करने लगे। परिजनों के अनुसार बार-बार गुहार लगाने के बावजूद मौके पर तैनात डॉक्‍टर उनसे यही कहते रहे कि होगा...होगा। वे टालमटोल करते रहे और बुधवार की सुबह के दस बज गए।

उस समय भी महिला को देखने कोई डॉक्‍टर नहीं आया। इतनी देर हो जाने के बावजूद मरीज का इलाज शुरू नहीं हुआ तो परिजनों का गुस्सा फुट पड़ा। और कोई रास्‍ता नहीं देख वे हंगामा करने लगे। परिजनों ने अस्पताल की सिस्टम पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यहां पर न तो कोई कुछ बताने वाला और न ही मदद करने वाला है। परिजनों ने डॉक्‍टरों के पीछे दौड़ने के  साथ ही अधीक्षक डॉ. संजय कुमार व उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी के पास पहुंचे और उनसे पूरे मामले की शिकायत की।

आखिर 12 घंटे बाद महिला की सर्जरी कर मृत बच्‍चे को बाहर निकाला गया। वहीं इस संदर्भ में महिला एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अंजली श्रीवास्तव से जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा कि बीएचटी पेपर देखने के बाद ही मरीज की स्थिति बताया जा सकता है। वहीं उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी का कहना है कि शिकायत मिलने के बाद जब वह वार्ड में जांच करने पहुंचे तो मरीज की सर्जरी शुरू हो चुकी थी। परिजनों का आरोप है कि गर्भ से मृत बच्चे को निकालने में 12 घंटे लग गया। अगर, वे लोग हंगामा नहीं करते तो और देरी से बच्चे को निकालते।


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