इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष एके श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र
इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कामर्स जमशेदपुर शाखा के अध्यक्ष एके श्रीवास्तव ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है जिसमें उन्हें राज्य व सरकार की बेहतरी के लिए कुछ सलाह दिए हैं। यह पत्र भी हेमंत सरकार के एक वर्ष पूरा होने के अवसर पर लिखा गया है।
जमशेदपुर : इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कामर्स, जमशेदपुर शाखा के अध्यक्ष एके श्रीवास्तव ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है, जिसमें उन्हें राज्य व सरकार की बेहतरी के लिए कुछ सलाह दिए गए हैं। यह पत्र भी हेमंत सरकार के एक वर्ष पूरा होने के अवसर पर लिखा गया है। राज्य सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल 29 दिसंबर को पूरा हो रहा हैं। स्वाभाविक हैं कि एक वर्ष का लेखा-जोखा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी जनता के सामने पेश करेंगे।
श्रीवास्तव ने लिखा है कि कोरोना में बहुत सी मजबूरियों के बावजूद सरकार ने कुछ सार्थक काम किया हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता हैं।
एक सप्ताह पहले वर्तमान सरकार ने किसानो को 50,000 रुपये तक का कर्ज माफ़ करने की घोषणा की हैं। हालांकि घोषणा में एक शर्त है कि एनपीए खाताधारक को यह सुविधा नहीं मिलेगी। लेकिन ख़ुशी की बात हैं कि सरकार इस पर भी मंथन कर रही हैं और ज्यादा उम्मीद हैं कि एनपीए वालोंं को भी यह सुविधा उपलब्ध होगी। वर्तमान में किसानो का आंदोलन देखते हुए यह सरकार का उचित कदम हैं। 29 दिसंबर को एक वर्ष का लेखा-जोखा के साथ सरकार कुछ आगामी योजनाओंं की भी घोषणा करेगी और उस समय समझा जाएगा कि क्या घोषणा हो रही हैं। जिस रफ़्तार से उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही हैं उम्मीद हैं आगामी वर्ष में झारखंड में भी अधिक से अधिक रोजगार मुहैया होगा। सरकार ने भी यह घोषणा की हैं कि जिन-जिन कार्यालयों में सरकारी नौकरी का पद खाली है, वो सब पद सरकार एक योजनाबद्ध तरीके से यथाशीघ्र बहाल करेगी। स्वाभाविक हैं कि इसमें काफी लोगों को नौकरी मिलने की भी संभावना है।
कपड़ा, साइकिल व ट्रैक्टर उद्याेग की संभावना
जहां तक कोरोना से पीड़ित झारखंड से बाहर यानी मुंबई, अहमदाबाद समेत अन्य शहरोंं से मजदूर आए, उन्हें झारखंड में रोजगार या नौकरी कराने का विषय हैं। मैंंने भी आदित्यपुर में जो संभावना हैं, उस संबंध में थोड़ा बहुत सोच विकसित किया है, क्योंकि आदित्यपुर या पूरे झारखंड में इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज काफी हैंं। विशेषकर बड़े-बड़े कारखानों पर आधारित अनुषंगी उद्योग और इस तरह के कारखानों में जो काम होता हैं, वह तकनीकी होता हैं। बाहर में जो मुंबई, अहमदाबाद में जो काम करने वाले मजदुर हैं, वो मूल रूप से उपभोक्ता व्यवसाय में काम करते हैंं। अहमदाबाद में हीरा उद्योग या कपड़ा उद्योग में काम करते हैंं, उसमें उन्होंंने तकनीकी ज्ञान हासिल किया हैं और उस तरह का उद्योग यहां नहीं हैं, इसलिए वहां से आने वालों को रोजगार में यहां कुछ देरी लग सकती है।यह मज़बूरी है। इसमें मेरी सलाह होगी कि सरकार को कपडा उद्योग में डाइवर्ट करना चाहिए। मैं अपने अनुभव के आधार पर सरकार को सलाह देना चाहूंगा कि औद्योगिक नीति यहां के उद्योगपतियों की सलाह और अनुशंसा पर ही बननी चाहिए। जब झारखंड का गठन हुआ था तो जितने उद्योग थे, उनके प्रतिनिधियों को बुलाकर सरयू राय की अध्यक्षता में औद्योगिक नीति बनी थी, उनका कार्यान्वयन नहीं हुआ। यहां साइकिल और ट्रैक्टर उद्योग स्थापित करने पर भी सरकार को ध्यान देना होगा, क्योंकि इसमें कभी मंदी नहीं आती।
औषधीय उद्योग की संभावना
झारखंड तो औषधीय पदार्थो का खजाना हैं। अभी कोरोना में सरकार ने कुछ योजना बनाई कि यहां के जो वनोत्पाद हैंं, उनका प्रोसेसिंग प्लांट यहां लगाया जाए। यह कहां तक सफल हाेगा, कहना मुश्किल है, लेकिन यदि इसे लैम्पस से जोड़ दिया जाए तो काफी लोगों को रोजगार मिलेगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को काफी मजबूत किया जा सकता है। झारखंड में हर्रे-बहेरा व आंवला का काफी उत्पादन होता है, लिहाजा बड़ी आयुर्वेदिक कंपनियों को यहां निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
इंडस्ट्रियल टूरिज्म की संभावना
झारखंड प्रकृति की गोद में बसा है, जिससे यह राज्य पर्यटन की असीम संभावना रखता है। यहां के पहाड़, नदी व झरने तो आकर्षण के केंद्र हो ही सकते हैं, इंडस्ट्रियल टूरिज्म की भी काफी संभावना है। इसके माध्यम से हम काफी संख्या में पर्यटकों को यहां बुला सकते हैं। अफसोस की बात है कि इस पर कभी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। मेरा अपना मानना हैं कि आगामी वर्ष उत्पादन के मामले में, रोजगार के मामले में, नौकरी के मामले में, सामाजिक और आर्थिक स्थिति के सुधार के मामले में काफी प्रगति वाला होगा। उम्मीद है कि सरकार का भी इस ओर ध्यान होगा।