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तार कंपनी में लगा भारत का पहला ग्रेफीन पाउडर प्लांट, जानिए क्‍या है खासियत

Indias first graphene powder plant. ग्रेफीन पाउडर का इस्तेमाल टीएमटी सरिया के उपर कोटिंग के रूप में होता है। पेंट में मिलाकर लोहे या स्टील में प्रयोग करने से उसकी मजबूती और बढ़ जाती है। रड लोहा तार या स्टील पर प्रयोग करने से उस पर जंग नहीं लगेगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2020 11:22 AM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2020 11:22 AM (IST)
तार कंपनी में लगा भारत का पहला ग्रेफीन पाउडर प्लांट, जानिए क्‍या है खासियत
जमशेदपुर स्थित टाटा स्‍टील की अनुषंगी इकाई तार कंपनी। फाइल फोटो

 जमशेदपुर,  अरविंद श्रीवास्तव। टाटा स्टील की सहायक कंपनी आइएसडब्ल्यूपी (तार कंपनी) में भारत का पहला ग्रेफीन पाउडर प्लांट लगाया गया है। काफी खोज के बाद यहां अत्याधुनिक पाउडर बनना शुरू हुआ है जिसके प्रयोग से (कोटिंग ) लोहे या स्टील में जंग नहीं लगेगा और लंबे समय तक मजबूत रह पाएगा।

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30 करोड़ के इस प्रोजेक्ट का काम आज भी जारी है। हालांकि, इस प्लांट का उद्घाटन एक दिन पूर्व हो गया है लेकिन विधिवत व पूरी रफ्तार में जनवरी से ही उत्पादन शुरू होगा। कंपनी परिसर में ही दस हजार वर्गफीट में नए प्लांट लगाए गए हैं, जिसमें आज भी काम हो रहा है।

क्या है इस पाउडर का इस्तेमाल

कोरोना काल के बीच इस प्लांट का लगना काफी सुखद है। धीरे-धीरे उत्पादन भी रफ्तार पकड़ेगी। कंपनी में तैयार पाउडर का इस्तेमाल टीएमटी सरिया के उपर कोटिंग के रूप में होता है। पेंट में मिलाकर लोहे या स्टील में प्रयोग करने से उसकी मजबूती और बढ़ जाती है। कंपनी में बनने वाले रड, लोहा, तार या स्टील पर प्रयोग करने से उस पर जंग नहीं लगेगा। कंप्यूटर, टीबी, फ्रीज, अलमीरा, बिल्डिंग पेंट समेत अन्य जगह पर भी इसका प्रयोग किया जाता है।

फिलहाल 50 कर्मी करते हैं काम, आगे बढ़ेगी संख्या

आइएसडब्ल्यूपी प्रबंधन को भारत सरकार से अत्याधुनिक पाउडर बनाने का लाइसेंस मिला है। तार कंपनी में स्थापित ग्रेफिन प्लांट को 100 टन का लाइसेंस मिला है। धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ने के बाद कंपनी का टर्नओवर भी बढ़ेगा। टाटा स्टील इसे नई तकनीक के जरिए पाउडर बनाने का काम शुरू किया है। वहीं तार कंपनी कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर पाउडर बनाने की सीख दी गई है। फिलहाल यहां कंपनी के ही 50 कर्मचारियों को लगाया गया है। इसे लेकर कंपनी ने अंदर से ही कर्मचारियों का चयन किया है। पूर्ण रूपेण कंपनी चलने के बाद यहां और कर्मचारियों की संख्या बढ़ेगी।

प्रति ग्राम पाउडर की कीमत होगी आठ हजार

कंपनी में निर्मित पाउडर काफी महंगा होगा जो प्रति ग्राम के हिसाब से बिकेगा। एक ग्राम पाउडर की कीमत 8000 होगी। कंपनी को एक वर्ष में एक सौ टन पाउडर बनाने की क्षमता है। पाउडर का बाजार का काफी विस्तार होने लगा है। इसका दूसरे देशों में भी काफी डिमांड है।

क्‍या है ग्रेफीन 

ग्रेफीन एसपी 2-बंधित कार्बन परमाणुओं की एक-परमाणु के बराबर पतली झिल्ली होती है। इसमें कार्बन परमाणु हनीकंब क्रिस्टल लैटिस में अत्यन्त सघन रूप में पैक होते हैं। इसका नाम 'ग्रेफाइट' के 'ग्रेफ' में 'ईन' जोड़कर बना है।


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