तनाव की चपेट में 50 फीसद युवा
भागदौड़ की जिंदगी में मनोरोगी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें तनाव के मर
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : भागदौड़ की जिंदगी में मनोरोगी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें तनाव के मरीज सबसे अधिक है। आज के समय में करीब 50 फीसद युवा तनाव के चपेट में हैं। इस पर नियंत्रण करना काफी जरूरी है।
उक्त बातें रविवार को कोलकाता के डॉ. अनिर्बन ने कहीं। मौका था इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी, झारखंड शाखा की ओर से नेशनल हाइवे स्थित एक होटल में आयोजित कांफ्रेंस का। इस मौके पर उन्होंने कहा कि तनाव कई बीमारियों की जड़ है। इसके प्रति सभी को जागरूक होने की जरूरत है। आज के समय में हर कोई अपने आप में व्यस्त है। माता-पिता भी अपने आप में व्यस्त रहते हैं। बेटा-बेटी क्या कर रहे हैं, इसकी जानकारी किसी को नहीं होती। नतीजा होता है कि बच्चे तनाव में आ जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जीन से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। इसमें कई दवाइयां मरीज पर असर नहीं करतीं। ऐसे में डॉक्टरों को चाहिए कि पहले मरीजों की जीन टेस्ट करवा लें, इसके बाद ही दवाइयां दें, ताकि मरीज पर असर कर सके। वहीं रांची के डॉ. उज्जवल राय ने बताया कि न्यूरो व मनोरोग के कई लक्षण एक दूसरे से मिलते-जुलते हैं। ऐसे में डॉक्टरों को यहां पर काफी धैर्य से काम लेना चाहिए। बीमारी पहचान नहीं होने से इलाज में काफी परेशानी होगी। उन्होंने कहा कि अगर किसी डॉक्टर के पास लकवा, मिर्गी, ब्रेन से संबंधित मरीज आता है तो सबसे पहले उसकी बेहतर ढंग से जांच व काउंसलिंग करनी चाहिए। ताकि मरीज का इलाज सही ढंग से हो सके। उन्होंने कहा कि न्यूरोलॉजी व मोनोरोग विभाग में काफी नजदीकी संबंध रहता है।
इस अवसर पर डॉ. वासुदेव, डॉ. दीपक गिरी, डॉ. महेश हेम्ब्रम, डॉ. निशांत गोयल, डॉ. मशरूर जहां, डॉ. संजय अग्रवाल, डॉ. मनोज साहू, डॉ. प्रमिला सहित अन्य डॉक्टर उपस्थित थे।
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दो डॉक्टरों को किया गया सम्मानित
शहर के दो डॉक्टरों को सम्मानित किया गया। इसमें वरिष्ठ डॉक्टर किशोर व डॉ. एके गुप्ता शामिल हैं।
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