जज्बे को सलाम: लॉकडाउन में कई बाधाओं को पार कर पाठकों तक अखबार पहुंचा रहे कर्मयोगी
Positive India. कोरोना का डर भूल अपना कर्तव्य निभाने में दृढ़ता दिखा रहे अखबार वितरक। कई बाधाओं को पार कर पाठकों तक अखबार पहुंचा रहे हैं।
जमशेदपुर, जासं। Corovirus India Lockdown लॉकडाउन के बीच जैसे ही हमारे अखबार वितरक (कर्मयोगी) तड़के पांच बजे अखबार लेकर बिष्टुपुर सर्किट हाउस एरिया पहुंचे, अखबार का इंतजार कर रहे बुजर्ग श्याम किशोर बोले- लाओ भैया आपका अखबार। अखबार पढ़े बिना तो चैन ही नहीं आता है।
इस अखबार से ही मैंने कोरोना से जुड़ी सारी खबरें पढ़कर खुद के अपडेट किया है। इससे यह पता चलता है कि झारखंड में कोरोना को लेकर क्या हो रहा है और कोई मरीज मिला या नहीं। यह अच्छी खबर है कि झारखंड में कोरोना के सभी संदिग्ध मरीज निगेटिव मिले हैं। श्याम किशोर हमारे वितरक से करीब आधे घंटे तक बात करते रहे। कर्मयोगी को दूसरी जगह भी अखबार डालने जाना था, बावजूद इसके उन्होंने अपने पाठक की पूरी बातें सुनीं। उन्होंने अपने काम के समय में से आधा घंटा बस बुजुर्ग पाठक की बात सुनने के लिए खास तौर पर दिया। खैर, रोज-रोज तो ऐसे पाठक से मुलाकात होती नहीं।
बहरहाल, पाठक को अलविदा कहकर वे अपनी ड्यूटी में लग गए। अखबार वितरक का मासिक शुल्क लेने का समय तो आ ही गया है। इस कारण अखबार वितरक के ऑनलाइन एकाउंट या नकद रुपये अगर पाठक अखबार वितरक को दे देंगे तो वे अखबार के सेंटर में रुपये जमा कर अखबार पाठकों तक खुशी -खुशी पहुंचा सकेंगे। अखबार वितरकों को प्रतिदिन नकद रुपये देकर अखबार के सेंटरों से अखबार लेना होता है और एक माह अखबार पाठकों को पढ़ाने के बाद ही पाठको से मासिक शुल्क लेते हैं। ऐसे में अखबार वितरक की आर्थिक स्थित भी खराब हो जाती है।
अखबार के सेंटर में नकद रुपये देने के लिए अखबार वितरकों को कभी कभी अपनी नन्ही परी के चुक्के को तोड़कर भी रुपये सेंटर में जमा कर अखबार लेना पड़ता है। ऐसे में कई परेशानियों को झेलते हुए अखबार वितरक गणोश लहरी, एमएन हलधर, सोनू मजूमदार व सुरेंद्र कुमार सिंह को पाठकों के घर तक सुबह सुबह अखबार पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इनके जज्बे को सलाम।