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इंकैब मामले में आरआर काबेल ने मांगी मोहलत

इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अधिग्रहण संबंधी मामले पर कोलकाता स्थित एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में सुनवाई हुई।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 04 Oct 2018 03:51 PM (IST)Updated: Thu, 04 Oct 2018 03:51 PM (IST)
इंकैब मामले में आरआर काबेल ने मांगी मोहलत
इंकैब मामले में आरआर काबेल ने मांगी मोहलत

जमशेदपुर (जासं)।  पूर्वी सिंहभूम के जिला मुख्यालय जमशेदपुर के गोलमुरी स्थित इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अधिग्रहण संबंधी मामले पर कोलकाता स्थित एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में सुनवाई हुई, जिसमें आरआर काबेल ने पक्ष रखने के लिए एक सप्ताह की मोहलत मांगी। टाटा स्टील ने एनसीएलटी में आवेदन दिया था कि वह इंकैब इंडस्ट्रीज का अधिग्रहण करना चाहती है, लिहाजा उसे कंपनी चलाने की अनुमति दी जाए। टाटा स्टील ने याचिका में कहा है कि उसे सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के बाद अधिग्रहण के पक्ष में निर्णय दिया है। बीआइएफआर (बोर्ड फॉर इंडस्ट्रीयल एंड फिनांशियल री-कंस्ट्रक्शन) अस्तित्व में नहीं है, वरना उसे अनुमति मिल जाती। अब वह कहां जाए। इस पर एनसीएलटी ने सात अगस्त को सुनवाई करते हुए इंकैब प्रबंधन से एक सप्ताह में जवाब मांगा था। इसी मामले पर एनसीएलटी में सुनवाई हुई, लेकिन प्रबंधन की ओर से आरआर काबेल ने कोर्ट से एक सप्ताह का समय मांगा। चूंकि बीच में दुर्गापूजा की छुट्टी होने वाली है, लिहाजा कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 22 नवंबर की तारीख निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान इंडियन केबुल वर्कर्स यूनियन के महामंत्री रामविनोद सिंह उपस्थित थे।

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18 साल से बंद है कंपनी

ज्ञात हो कि इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड की जमशेदपुर इकाई वर्ष 2000 से बंद है। इसके अधिग्रहण मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में साढ़े चार वर्ष और सुप्रीम कोर्ट में करीब दो वर्ष सुनवाई चली। मामला बीआइएफआर कोर्ट में भी चला था, लेकिन दिसंबर 2016 में इसका अस्तित्व समाप्त हो गया।  

चार में दो निदेशक ने दिया इस्तीफा

इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड लिमिटेड में फिलहाल चार निदेशक थे, जिसमें दो ने इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने वालों में केएन अमरिया व एमबी शाह हैं, जबकि दूसरे निदेशकों में रमेश गोवानी व मलेशिया की लीडर यूनिवर्सल होल्डिंग बरहाड है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को इसकी सूचना दी गई है। उधर, आरआर काबेल का कहना है कि उसने मलेशिया की कंपनी के शेयर खरीद लिया है। लिहाजा अब कंपनी पर उसी का अधिकार है।  


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