National Handloom Day 2020 : आधुनिकता की चकाचौंध में गुम होने लगी हस्तकरघा की खट-खट की आवाज Jamshedpur News
किसी जमाने में अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाला हस्तकरघा उद्योग इन दिनों बेहाल है। आधुनिकता की चकाचौंध और योजना के अभाव में बुनकर केंद्रों की स्थिति दयनीय हो गई है।
जमशेदपुर (दिलीप कुमार) । किसी जमाने में अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाला हस्तकरघा उद्योग इन दिनों बेहाल है। आधुनिकता की चकाचौंध और योजना के अभाव में बुनकर केंद्रों की स्थिति दयनीय हो गई है। जमशेदपुर प्रखंड सह अंचल कार्यालय के समीप गंूजने वाला हस्तकरघा की खट-खट की आवाज अब गुम हो गई है। करघा पर जमी धूल उसके मृत प्राय होने की कहानी बयां कर रहे हैं। एक समय था जब इस केंद्र में बुने गए कपड़े की मांग देश-विदेश में थी। गोदामनुमा भवन में चलने वाले बुनकर प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र में बेडशीट, चादरें, गमछे, शर्टिग क्लॉथ, साडिय़ां, ड्रेस मटीरियल, दरी, आसनी आदि बनते थे। हस्तकरघा हस्तशिल्प एवं रेशम निदेशालय रांची से संचालित इस केंद्र पर अब बंदी का संकट मंडरा रहा है।
झारक्राफ्ट बना था संजीवनी
बुनकर प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र 1989 से चल रहा है। पहले महिलाएं सीखने के बाद जो उत्पाद तैयार करती थी उसे स्थानीय बाजार में बेचा जाता था। इस केंद्र के लिए झारक्राफ्ट संजीवनी बनकर आया था। झारक्राफ्ट ने जब विपणन की जिम्मदारी संभाली और केंद्र को बाजार उपलब्ध कराया तब इस केंद्र ने एक वित्तीय वर्ष में एक लाख 20 हजार तक का कारोबार किया था।
पहले थी मारामारी, अब वीरान
जमशेदपुर प्रखंड परिसर में स्थित बुनकर प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र में प्रशिक्षण के लिए 24 सीट आरक्षित हैं। कुछ साल पूर्व तक यहां प्रशिक्षण लेने के लिए मारामारी होती थी। प्रशिक्षुओं को छात्रवृत्ति के रूप में एक हजार रुपये प्रतिमाह दी जाती है। ऐसे में दिनभर काम करने के बाद उन्हें मेहनताना भी नहीं मिलता है। कम राशि मिलने के कारण युवती और महिलाएं प्रशिक्षण लेने में कम रूची दिखाने लगे। प्रशिक्षण के लिए महिलाओं के नहीं आने के कारण अब केंद्र वीरान होने लगा है।
बुनकर प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र में 24 महिलाओं को हथकरघा प्रशिक्षण के लिए चुना जाता है। करीब एक साल प्रशिक्षण के बाद उन्हें यहीं काम पर लगाया जाता है। कम पैसे मिलने के कारण महिला कारीगरों ने काम करना धीरे-धीरे बंद कर दिया। दूसरी योजनाओं में उन्हें अधिक रुपये मिल रहे हैं। यहां कुल 31 हस्तकरघा और दो प्रशिक्षक है। आधे से अधिक हस्तकरघा खराब हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में 24 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया था। इस वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना के कारण प्रशिक्षण के लिए अबतक किसी का भी नामांकन नहीं हुआ है। अप्रैल से केंद्र बंद है। इसके लिए विभाग से किसी प्रकार का दिशा निर्देश भी नहीं आया है। - विजय कुमार ठाकुर, प्रशिक्षक