मांगलिक कार्यों के लिए अभी करना होगा इंतजार, जानिए क्या है वजह
इस वर्ष गुरु के अस्त होने के कारण दिसंबर माह में शादी के सिर्फ तीन ही मुहुर्त हैं आठ दिसंबर, 10 दिसंबर व 15 दिसंबर।
जमशेदपुर,जेएनएन। कार्तिक शुक्ल एकादशी वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी होती है। क्योंकि, इस दिन चातुर्मास का समापन होता है और भगवान विष्णु चार महीने के विश्राम के बाद पुन: जगत का कार्यभार संभालने के लिए जाग उठते हैं। इस दिन से ही चार महीने से बंद मांगलिक कार्य, विवाह आदि पुन: प्रारंभ हो जाते हैं। इस एकादशी को देवउठनी एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित रमा शंकर तिवारी ने बताया कि शास्त्रों में इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। इस एकादशी का व्रत करने का तो अपना महत्व है ही, सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए कई तरह के उपाय भी किए जाते हैं। क्योंकि भगवान विष्णु अपनी शैया से जागते ही भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए आतुर रहते हैं। उन्होंने बताया कि वृश्चिक राशि में सूर्य का प्रवेश होने के बाद ही विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन व यज्ञोपवीत संस्कार तथा अनेक मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
12 नवंबर को गुरु हो जाएंगे अस्त
इस वर्ष 16 नवंबर अर्थात शुक्रवार को सूर्य का वृश्चिक राशि में प्रवेश हो रहा है तथा सोमवार 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी है। पंडित रमा शंकर ने बताया कि देवउठनी के बाद मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। परंतु 12 नवंबर को गुरु के अस्त हो जाने के कारण मांगलिक कार्यक्रम नहीं हो पाएंगे। सात दिसंबर को गुरु का उदय होगा। इस कारण इस वर्ष देवउठनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्य के लिए इंतजार करना पड़ेगा। इस वर्ष गुरु के अस्त होने के कारण दिसंबर माह में शादी के सिर्फ तीन ही मुहुर्त हैं आठ दिसंबर, 10 दिसंबर व 15 दिसंबर।