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इनकम टैक्स नहीं देते हैं तो खतरे में डाल सकती है ये पांच खरीददारी, नोटिस से बचने के लिए करें यह काम

अगर आप इनकम टैक्स में अधूरी जानकारी देते हैं तो आपको पेनाल्टी भरना पड़ सकता है। पांच बड़ी खरीददारी में क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग म्यूचुअल फंड में निवेश बांड या डिबेंचर में पैसा लगाना और प्रापर्टी की खरीद बिक्री शामिल है।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 01:50 PM (IST)
इनकम टैक्स नहीं देते हैं तो खतरे में डाल सकती है ये पांच खरीददारी, नोटिस से बचने के लिए करें यह काम
इनकम टैक्स नहीं देते हैं तो खतरे में डाल सकती है ये पांच खरीददारी

जमशेदपुर : यदि आप इनकम टैक्स नहीं देते हैं तो आपको पांच खरीददारी खतरे में डाल सकती है। यदि खतरे से बचना है तो हम बताते हैं उपाय। यदि आप यह कर लेते हैं तो इनकम टैक्स की नोटिस से बच सकते हैं। यदि आप 30 लाख रुपये से अधिक की प्रॉपर्टी खरीदे हैं तो आइटीआर में आपको उसकी जानकारी देनी होगी।

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यह पांच खरीददारी की देनी होगी जानकारी

किसी बड़ी रकम में की गई खरीददारी आपको खतरे में डाल सकती है। यदि खरीददारी करते हैं तो इसकी जानकारी आइटीआर में इसका जिक्र जरुर करें। कई लोग या तो भूल जाते हैं या बताने से बचते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि उन्हें इनकम टैक्स से नोटिस मिल जाता है। नोटिस मिलने के बाद उसका जवाब देना भारी पड़ जाएगा। पांच बड़ी खरीददारी में क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग, म्यूचुअल फंड में निवेश, बांड या डिबेंचर में पैसा लगाना और प्रापर्टी की खरीद बिक्री शामिल है।

एक साल में 10 लाख कैश डिपॉजिट की देनी होगी जानकारी

अगर आप खरीददारी करते हैं तो आपको इनकम टैक्स रिटर्न में इसकी जानकारी देनी चाहिए। अगर किसी तरह की टैक्सी देनदारी बनती है तो उसे चुकाना चाहिए। इसमें यदि नाकाम होते हैं तो आयकर विभाग की तरफ से नोटिस आ सकता हैै।

क्या होता है वैल्यू ट्रांजेक्शन

आइए जानते हैं कि हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन क्या है। जिसकी जानकारी देना जरुरी है और यदि नहीं दिया है तो क्या कार्रवाई हो सकती है। यदि बैंक में एक साल के अंदर 10 लाख रुपये कैश डिपोजिट किया हैं तो इसकी जानकारी देना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं करते हैं तोइनकम टैक्स विभाग की ओर से नोटिस के लिए तैयार रहें। बैंकों की ओर से टैक्स विभाग को जानकारी मिलती रहती है कि आप किस तरह का ट्रांजेक्शन या खरीददारी कर रहे हैं। इसलिए यह नहीं मान सकते कि आयकर विभाग को आपके जमा पूंजी की जानकारी नहीं होगी।

क्रेडिट कार्ड से खरीददारी - यदि आप क्रेडिट कार्ड से दो लाख रुपये से ज्यादा की खरीददारी करते हैं तो इसकी जानकारी आइटीआर में देनी होगी। ऐसा नहीं करने पर इनकम टैक्स की तरफ से नोटिस मिल सकता है। क्रेडिट कार्ड जिस बैंक से जुड़ा होगा उस बैंक के खाते से आपका पैन कार्ड भी अचैट होगा। ऐसे में आयकर विभाग को ऐसी खरीददारी का पता चल जाएगा। ऐसी खरीददारी कर टैक्स से बचने के बारे में सोचना गलत है। रिटर्न फाइल करें तो ऐसी खरीददारी को जरूर ध्यान में रखें।

म्यूचुअल फंड में निवेश - हाई रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छी बाज है। यह भी अच्छी बात है कि दो लाख या उससे उपर तक निवेश किया जाए, लेकिन अच्छी बात यह नहीं है कि इसकी जानकारी इनकम टैक्स विभाग को न दी जाए। आप ऐसा भी नहीं सोच सकते है कि इनकम टैक्स विभाग को इसकी जानकारी नहीं होगी। यदि आप दो लाख रुपये या उससे अधिक का निवेश किया है तो आईटीआर में जरूर बताऐं।

बांड या डिबेंचर की खरीदारी - जैसा नियम दो लाख या उससे अधिक का म्यूचुअल फंड की खरीदारी पर है, वैसा ही नियम बांड या डिबेंचर की खरीदारी पर है। फर्क सिर्फ खरीदारी के रकम का होता है। बांड और डिबेंचर में यह राशि पांच लाख की रखी गई है। कोई व्यक्ति एक साल में अगर पांच लाख का बांड या डिबेंचर खरीदता है तो उसेे इनकम टैक्स विभाग को जानकारी देनी होगी।

पांच से 30 लाख से ज्यादा की प्रापर्टी की खरीददारी - यदि आप 30 लाख रुपये या उससे अधिक की खरीदते या बेचते हैं तो उस पर वेल्थ टैक्स देना होगा। 30 लाख रुपये से जितनी अधिक राशि होगी उस पर एक प्रतिशत के हिसाब वेल्थ टैक्स चुकाना होगा। यदि इनकम टैक्स विभाग को इसकी जानकारी नहीं देते हैं या इस प्रापर्टी पर वेल्थ टैक्स नहीं चुकाते हैं तो आयकर विभाग का नोटिस मिल सकता है। इस संपत्ति में जमीन, पुराने मकान, कार, आभूषण, एंटिक या आर्ट पेंटिंग शामिल है।

नोटिस मिलने पर क्या करें

नोटिस मिलने पर परेशान न हो बल्कि उसकी वजह पर गौर करें। एसेसिंग आफिसर तक ऑनलाइन अपनी बातें रखें। वित्तीय वर्ष समाप्त होने के छह महीने के अंदर स्क्रूटनी नोटिस भेजा जाता है। कभी-कभी पुराने मामले में भी नोटिस आ जाते हैं। जो नोटिस मिला है उसकी कॉपी बना लें। उसमें जिन कागजातों की मांग की गई है उसे जमा करा दें और उसके साथ एक कवरिंग लेटर भी दे दें। ऐसेसिंग आफिसर इसके लिए एकनॉलेजमेंट लेटर मांग लें ताकि आगे आपको अपनी बात रखने में सुविधा हो।


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