धूल की वजह से मजदूर को हुई बीमारी तो प्रबंधन देगा इलाज का खर्च Jamshedpur News
कारखाना निरीक्षक कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जोजोबेड़ा स्थित टाटा पावर के सभागार में सिलिकोसिस पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। किसी भी कंपनी में अगर वहां उत्सर्जित होने वाले धूल-कण से कोई कर्मचारी व्यवसायिक बीमारी से ग्रसित होता है तो उसके इलाज का पूरा खर्च कंपनी प्रबंधन को उठाना होगा। यदि कर्मचारी की मौत हो जाती है तो प्रबंधन को मुआवजे के तौर पर चार लाख रुपये देने होंगे।
कारखाना निरीक्षक कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जोजोबेड़ा स्थित टाटा पावर के सभागार में सिलिकोसिस पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसे संबोधित करते हुए उप मुख्य कारखाना निरीक्षक बीए कुमार व कारखाना निरीक्षक, जमशेदपुर विनीत कुमार ने यह जानकारी दी। बीए कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का भी वैधानिक आदेश है कि जहां भी सिलिकोसिस होने की संभावना है वहां प्रबंधन को ही इंजीनियङ्क्षरग कंट्रोल जैसे बैग फिल्टर, डस्ट कैचर या पानी का छिड़काव करना होगा। साथ ही जिन स्थानों पर ज्यादा धूलकणों का उत्सर्जन हो रहा है वहां कार्यरत कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से प्रबंधन को आधुनिक सुरक्षा उपकरण जैसे नोज मास्क, चश्मा व दस्ताने देना होगा।
वहीं विनीत कुमार ने आसपास की कंपनियों से आए 60 कर्मचारियों को बताया कि वे अपने स्वास्थ्य का ख्याल स्वयं रखे। साथ ही प्रबंधन को भी सभी कर्मचारियों के नियोजन से पहले और प्रति छह माह में स्वास्थ्य जांच करने को कहा। अगर कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है तो अगले पांच वर्षो तक उसके स्वास्थ्य रिपोर्ट को भी अपडेट रखने की जिम्मेदारी कंपनी प्रबंधन की होगी ताकि इस बीच कर्मचारी को कोई गंभीर बीमारी होती है तो उसका इलाज प्रबंधन को ही करना होगा। इस मौके पर टाटा पावर से विजयन, न्युवोको से श्रीकांत सिंह व डॉ. एस खुंटिया भी उपस्थित थे।