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बढ़ रही महिलाओं की धमक, दुर्गा लाइन से वाहन निर्माण क्षेत्र में सशक्त हो रही नारी शक्ति की पहचान

बढ़ रही महिलाओं की भागीदारी टाटा मोटर्स प्रबंधन ने बताया कि महिलाओं की लगन व कार्य दक्षता देखकर दुर्गा लाइन महिलाओं के लिए समर्पित है। कंपनी का लक्ष्य कार्यस्थल पर महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी बढ़ाने का है।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalPublished: Mon, 03 Oct 2022 08:42 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 08:42 PM (IST)
बढ़ रही महिलाओं की धमक, दुर्गा लाइन से वाहन निर्माण क्षेत्र में सशक्त हो रही नारी शक्ति की पहचान
पुणे की तर्ज पर शुरू हुई दुर्गा लाइन।

अरविंद श्रीवास्तव, जमशेदपुर : आमतौर पर पुरुषों के वर्चस्व का क्षेत्र माने जाने वाले वाहन निर्माण उद्योग में अब महिलाओं की भी धमक दिखने लगी है। टाटा मोटर्स ने छोटी पैसेंजर कारों से लेकर भारी वाहनों के निर्माण में महिलाओं की भूमिका बढ़ाई है। जमशेदपुर में महिलाओं को सशक्त करने के उद्देश्य से टाटा मोटर्स ने प्रोडक्शन प्रोसेसिंग यूनिट की एक लाइन में सिर्फ महिला कर्मियों को तैनात किया है। इस लाइन का नाम दुर्गा लाइन रखा गया है। फिलहाल ड्राइव लाइंस ट्रांसमिशन की इस दुर्गा लाइन में 50 महिलाएं काम कर रही हैं। कंपनी की  वरीय अधिकारी किरण नरेंद्रन की देखरेख में यह लाइन चलती है। इस लाइन में महिलाएं गियर बाक्स के पार्ट्स तैयार करती हैं। एक सप्ताह पहले इसका उद्घाटन टाटा मोटर्स के वीपी (आपरेशंस) एबी लाल ने किया था। महिलाओं की दक्षता को देखते हुए भविष्य में अन्य विभागों में भी इसे लागू करने की योजना है।

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कभी सुधा मूर्ति ने जेआरडी टाटा को लिखा था पत्र

टाटा मोटर्स में कभी महिला कर्मचारियों की संख्या काफी कम थी। हाल यह था कि जब इंजीनियरों की नियुक्ति के लिए अखबारों में विज्ञापन निकलता था तो सिर्फ वह पुरुषों के लिए हुआ करता था। बताया जाता है कि इस संबंध में इंफोसिस की सह संस्थापक सुधा मूर्ति ने जेआरडी टाटा को पत्र लिखा था। सुधा मूर्ति ने जब जेआरडी को पत्र लिखा था, तब वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर नौकरी की तलाश में थी। उस वक्त नियुक्ति विज्ञापन में महिलाओं के लिए जगह नहीं देखकरउन्होंने पत्र लिखा था। पत्र पढ़कर जेआरडी को गलती का अहसास हुआ और इसके बाद टाटा मोटर्स में महिलाओं के प्रवेश का रास्ता खुल गया। जमशेदपुर प्लांट में कभी महिलाओं से सिर्फ कार्यालय संबंधी काम ही लिए जाते थे। धीरे-धीरे कंपनी ने इन्हें शाप फ्लोर पर उतारा। महिलाओं की लगन व कार्य दक्षता देखकर प्रबंधन ने महिला सशक्तीकरण की पहल को आगे बढ़ाते हुए एक असेंबली लाइन महिलाओं को समर्पित कर दिया।

पुणे की तर्ज पर शुरू हुई दुर्गा लाइन

टाटा मोटर्स पुणे प्लांट की तर्ज पर ही जमशेदपुर में भी दुर्गा लाइन की शुरुआत की गई। पुणे की कार प्लांट में एक एसेंबली लाइन हैं, जहां तीनों पाली में 1500 महिलाएं काम करती हैं। टाटा ग्रुप ने हाल ही में घोषणा की है कि वह कंपनी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएगी। टाटा कमिंस में भी महिलाओं की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।

टाटा आटो कंपोनेट में भी शत प्रतिशत महिलाएं करती हैं काम

टाटा मोटर्स कैंपस से टाटा हिताची के खड़गपुर स्थानांतरित होने के बाद यहां टाटा आटो कंपोनेंट कंपनी संचालित होती है। यहां शत-प्रतिशत महिलाएं ही काम करती हैं। यहां बड़े वाहनों के लिए महिला कर्मियों द्वारा इलेक्ट्रिकल वायर हार्नेसिंग का काम होता है।

बढ़ रही महिलाओं की भागीदारी

अन्य कंपनियां भी महिलाओं की संख्या बढ़ा रही हैं। हीरो मोटोकार्प्स में 1,500 महिलाएं कार्यरत हैं, जबकि एमजी मोटर ने दिसंबर, 2023 तक कुल कर्मियों में 50 प्रतिशत महिलाएं शामिल करने का लक्ष्य रखा है। बजाज आटो में बाइक निर्माण के लिए एक असेंबली लाइन महिलाओं के लिए ही है।


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