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पांच साल में 640 बच्चों की तस्करी

मो. तकी, चाईबासा : पश्चिम ¨सहभूम से बच्चों की तस्करी का सिलसिला बदस्तूर जारी है। यहां पिछले

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 08:00 AM (IST)
पांच साल में 640  बच्चों की तस्करी
पांच साल में 640 बच्चों की तस्करी

मो. तकी, चाईबासा : पश्चिम ¨सहभूम से बच्चों की तस्करी का सिलसिला बदस्तूर जारी है। यहां पिछले पांच वर्षो के दौरान करीब 640 मासूमों की तस्करी हो चुकी है। केवल इस वर्ष की बात करें तो अगस्त 2018 तक 125 मासूम तस्करों के हत्थे चढ़ चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष हर माह जिले से 15 से अधिक मासूमों की तस्करी हो रही है। यहां दर्ज 125 मामले इसकी तस्दीक करते हैं।

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जानकार बताते हैं कि जिले में इससे कई गुना अधिक बच्चों की तस्करी होती है, पर मामले कई कारणों से थाने तक नहीं पहुंच पाते हैं। पश्चिम सिंहभूम के चक्रधरपुर, गोईलकेरा, सोनुवा, मनोहरपुर, आनंदपुर, गुदड़ी, टोंटो, खुंटपानी प्रखंडों में सबसे ज्यादा मानव तस्करी की घटनाएं हो रही हैं। दैनिक जागरण ने इसी वर्ष मार्च में इस मामले को उठाया था। बावजूद प्रशासन ने सुध नहीं ली। सो, मानव तस्कर गांव गांव में अब भी सक्रिय हैं। रविवार को पंजाब के कारखाने में बाल मजदूरी कर रहे जिले के 38 मासूम छुड़ाए गए। 14 वर्ष से कम उम्र के ये मासूम भी इन्हीं प्रखंडों के रहने वाले हैं। दरअसल, इन प्रखंडों के पास से मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, मद्रास, बेंगलुरु लुधियाना समेत अन्य शहरों के लिए ट्रेनें गुजरती हैं। इससे तस्करों को बच्चों को दूसरी जगह ले जाने में आसानी होती है।

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अशिक्षा व गरीबी बनती है वजह

दरअसल, पश्चिम ¨सहभूम में अशिक्षा व गरीबी का बोलबाला है। इस कारण गरीब अपने बच्चों को लालच में आकर तस्करों के हवाले कर देते हैं। 80 फीसद मामलों में बच्चों को तस्करों के हाथ में देने वाले परिवार के जानकार ही होते हैं। शहर ले जाने के बाद तस्कर बच्चों को गिरोह के जरिए खरीद-बिक्री करते हैं। ----इनसेट ---

किस वर्ष कितने मामले

2014 --------- 103

2015 ---------- 88

2016 ---------- 118

2017 ---------- 205

2018 अगस्त तक-- 125

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पुलिस करती है रेस्क्यू

जिले में बाल संरक्षण समिति व चाइल्ड लाइन बच्चों की तस्करी रोकने को गठित है। जब भी ऐसे मामले सामने आते हैं तो टीम बच्चों को कब्जे में लेकर परिजन को सौंपती है। उनका काउंसिलिंग करती है। बावजूद तस्करी का नहीं रुकना चिंता की बात है। पंजाब में कारखाने से छुड़ाए गए मासूमों को लाने के लिए आहतू थाना प्रभारी बनारसी राम टीम के सदस्यों के साथ सोमवार को पंजाब रवाना हुए हैं।


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