हेमंत सोरेन सरकार के कार्यक्रम का सामाजिक बहिष्कार करेगा हो समाज Jamshedpur News
हेमंत सरकार को किसी भी हो समाज के कार्यक्रम में नहीं किया जायेगा आमंत्रित। मंत्रिमंडल में हो विधायकों की अनदेखी से समाज के लोग हुए खफा।
चाईबासा (जागरण संवाददाता)। हो समाज ने हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में अपने समाज की अनदेखी को गंभीरता से लिया है। समाज ने यह निर्णय लिया है कि हेमंत सोरेन सरकार को किसी भी हो' समाज के कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जाएगा। साथ ही हेमंत सोरेन सरकार के कार्यक्रम को सामाजिक रूप से बहिष्कार किया जाएगा।
इस निमित्त बुधवार को आदिवासी क्लब भवन हरिगुटु में सुखलाल पूर्ति की अध्यक्षता में आदिवासी हो समाज महासभा की बैठक हुई। बैठक में मुकेश बिरुवा ने जानकारी देते हुए कहा की 2014 में यूपीए सरकार के विरुद्ध माहौल के कारण देश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही थी, फिर भी नरेंद्र मोदी के चाईबासा में सभा करने के बावजूद विधानसभा चुनाव में हो' आदिवासियों ने, दो पूर्व मुख्यमंत्री, एक पूर्व मंत्री एवं एक पूर्व गृह सचिव को हराते हुए कोल्हान को भाजपा मुक्त कर दिया था।
उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में पूरा झारखंड झूम रहा था, लेकिन हो' आदिवासियों ने पहले राउंड से लेकर अंतिम राउंड तक भाजपा को पीछे धकेलते हुए कांग्रेस को कोल्हान की यह सीट दिया था। पुनः 2019 का विधानसभा चुनाव में कोल्हान के पारंपरिक 7 विधानसभाओं के अलावा पूरे 12 विधानसभा में हो समाज के लोगों ने अपने मताधिकार से भाजपा को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सोचनीय बात यह है कि मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र में संथाल समाज की जनसंख्या बमुश्किल 8- 10 हजार है, लेकिन उसके बावजूद हो लोगों ने एक संथाल बहन को जिता कर विधानसभा भेजा। चक्रधरपुर विधानसभा में उराँव समाज से बमुश्किल 6-7 हजार लोग ही होंगे, फिर भी हो समाज के लोगों ने एक उरांव भाई को विधानसभा भेजा।
सरायकेला विधानसभा में हो समाज के 42000 से ज्यादा मतदाता
सरायकेला विधानसभा में हो समाज के 42000 से ज्यादा मतदाता हैं। घाटशिला विधानसभा में 80000 से ज्यादा हो' मतदाता है। मझगांव विधानसभा में ईसाई समाज के बमुश्किल डेढ़ दो हजार मतदाता हैं, लेकिन फिर भी हो' समाज ने ईसाई समाज के निरल पुरती को विधानसभा भेज देती है।
हेमंत सोरेन सरकार द्वारा हो' समाज के विधायकों को मंत्रिमंडल के लायक नहीं समझना, यह हो' समाज के लिए बहुत ही अपमानजनक बात है। और आदिवासी हो समाज इसे गंभीरता से लेते हुए आगे कड़ी सामाजिक कार्रवाई करने का निर्णय लेती है। आश्चर्य की बात है कि महिला आरक्षण के नाम पर सबसे संगठित आदिवासी समुदाय हो' समाज को ही बलि का बकरा बनाया गया। जनगणना के आंकड़ों से भी यह स्पष्ट देखा जा सकता है कि हो' समाज देश के अन्य आदिवासी समाज से बहुत सारे मामलों में ज्यादा संगठित और एकजुट है।
समाज के कार्यक्रम में नहीं करेंगे आमंत्रित
अंत में यह निर्णय लिया गया कि हेमंत सोरेन सरकार को किसी भी हो' समाज के कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जाएगा। साथ ही हेमंत सोरेन सरकार के कार्यक्रम को सामाजिक रूप से बहिष्कार किया जाएगा।
आज की बैठक में सुखलाल पुरती, चैतन्य कुंकल, शिवचरण कलुण्डिया, बंदु राम सोए, रामेश्वर संवैया, सिध्देश्वर बिरुली, मोचीराम जेराई, लेबा गागराई, संगीता बानरा, राधिका हेम्ब्रम, अस्मिता बिरुवा, सुभाष हेम्ब्रम, सत्यव्रत बिरुवा, विक्रम बारी, निकिल पिंगुवा, योगेश पाट पिंगुवा, जगमोहन हेम्ब्रम, वसिष्ठ पाट पिंगुवा, विकास चतोम्बा, आशीष तिरिया, सुरेश तिरिया और मुकेश बिरुवा आदि उपस्थित थे।