Hindu New Year: नववर्ष की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का हुआ शुभारंभ, भारतीय संस्कृति के अनुसार कैसे मनाएं यहां जानिए
Hindu New Year सनातन संस्था की क्षिप्रा जुवेकर ने इस अवसर पर कहा हिंदू नववर्ष को भारत में राज्य के अनुसार अलग अलग नामों से संबोधित किया जाता है। हिंदू नववर्ष के समय हम प्रकृति का परिवर्तन अनुभव करते हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही हिंदू नववर्ष क्यों मनाना चाहिए।
जमशेदपुर, जासं। विक्रम संवत 2079 का शुभारंभ शनिवार दो अप्रैल से हो गया। चारों ओर कलश स्थापना के साथ मां दुर्गे की आराधना हो रही है। ऐसे में आम लोगों को यह जानना चाहिए कि नववर्ष किस तरह मनाना चाहिए। इसका क्या महात्म्य है। हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने कहा कि हिंदू बांधव भारतीय संस्कृति के अनुसार नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात गुड़ीपाड़वा मनाएं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की निर्मिति हुई, इसलिए यह केवल हिंदू धर्मियों का ही नहीं, अपितु अखिल सृष्टि का प्रारंभ दिन है, यह ध्यान रखना चाहिए। भारत पर अंग्रेजों की सत्ता थी, तब एक जनवरी को नववर्षारंभ दिन कहा गया। यह अनुचित धारणा बनाने के कारण स्वतंत्र भारत में भी अधिकांश लोग एक जनवरी को ईसाई नववर्ष मनाकर पश्चि मी संस्कृति का अंधानुकरण कर रहे हैं। शास्त्र समझकर भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्षारंभ मनाना, यह प्राकृतिक, ऐतिहासिक, आध्यात्मिक आदि सभी दृष्टि से श्रेयस्कर और लाभदायक है। इस संदर्भ में हिंदू जनजागृति समिति द्वारा देशभर के विविध राज्यों में इंटरनेट मीडिया समेत अन्य संचार माध्यमों से लोगों में जनजागृति की जा रही है।
हिंदू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को क्यों मनाना चाहिए
हिंदू जनजागृति समिति द्वारा ‘हिंदू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को क्यों मनाना चाहिए?’ इस विषय पर समिति की ओर से आनलाइन विशेष संवाद आयोजित किया गया, जिसमें बिहार के वर्ल्ड एस्ट्रो फेडरेशन के एशिया चैप्टर चेयरमैन आचार्य अशोक कुमार मिश्र ने कहा कि ‘जिस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की निर्मिति की, उस शुभ दिन को हिंदू नववर्ष मनाया जाता है। इस दिन नववर्ष मनाना वैज्ञानिक, प्राकृतिक और सामाजिक दृष्टि से उचित है तथा ज्योतिष की दृष्टि से भी उत्तम है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नववर्ष मनाने का कोई ठोस आधार नहीं है। दिल्ली के वैज्ञानिक, विचारक और लेखक डा. ओमप्रकाश पांडे ने कहा कि हिंदू नववर्ष के दिन शुभसंकल्प किया जाता है। कालचक्र का अध्ययन करने पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष क्यों मनाया जाता है, यह ध्यान में आएगा। सनातन संस्था की क्षिप्रा जुवेकर ने इस अवसर पर कहा, हिंदू नववर्ष को भारत में राज्य के अनुसार अलग अलग नामों से संबोधित किया जाता है। हिंदू नववर्ष के समय हम प्रकृति का परिवर्तन अनुभव करते हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही हिंदू नववर्ष क्यों मनाना चाहिए, यह समझकर हिंदू बंधु समाज और अपने हिंदू धर्मबंधुओं का उद्बोधन करें।