टाटा वर्कर्स यूनियन विवाद हुआ रोमांचक, महासचिव ने कराया बैंक खाता फ्रीज, अध्यक्ष ने हस्ताक्षर
tata workers union. टाटा वर्कर्स यूनियन में एमएन कुमार प्रकरण को लेकर अध्यक्ष आर रवि प्रसाद और महासचिव सतीश कुमार सिंह के बीच शह और मात का खेल रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया है।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। टाटा वर्कर्स यूनियन में एमएन कुमार प्रकरण को लेकर अध्यक्ष आर रवि प्रसाद और महासचिव सतीश कुमार सिंह के बीच शह और मात का खेल रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया है। महासचिव द्वारा एमएन कुमार के वेतन पर हस्ताक्षर से इंकार के बाद अध्यक्ष आर रवि प्रसाद और कोषाध्यक्ष प्रभात लाल कर्मचारियों के वेतन पर संयुक्त हस्ताक्षर किए और यूको बैंक जाकर वेतन जारी करने के लिए चेक जमा किया। वहीं, पीछे से महासचिव सतीश कुमार ने इस भुगतान पर आपत्ति जताते हुए यूनियन के उक्त चालू खाते को ही फ्रीज करा दिया।
खाता फ्रीज कराने के बाद अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने कैंसर रेस्टहाउस में कमेटी मेंबरों को बुलाकर महासचिव के वित्तीय अधिकार को सीज करने के लिए कमेटी मेंबरों से हस्ताक्षर लेना शुरू किया। अध्यक्ष खेमे के ऑफिस बियरर का दावा है कि अब तक 198 में से 165 कमेटी मेंबरों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं और उनका लक्ष्य शत-प्रतिशत कमेटी मेंबरों का हस्ताक्षर लेना है। वहीं, महासचिव खेमे के कमेटी मेंबरों ने दावों को खोखला बताते हुए कहा कि अब तक अध्यक्ष खेमा कमेटी मेंबरों को डरा-धमका कर मात्र 60 से 70 कमेटी मेंबरों से ही हस्ताक्षर करा पाई है।
रेस्ट हाउस में जमे रहे ऑफिस बियरर
अध्यक्ष के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान को लेकर ऑफिस बियरर सुबह से शाम तक कैंसर रेस्ट हाउस में ही जमे रहे। इस दौरान ऑफिस बियरर अपने समर्थक कमेटी मेंबरों को फोन कर करके रेस्ट हाउस बुलाया और महासचिव के खिलाफ हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान टाटा स्टील, विजलेंस की टीम के सदस्य भी कैंसर रेस्ट हाउस के आसपास घूमते नजर आए।
110 से ज्यादा हस्ताक्षर हुए तो सीज हो सकता है पावर
वर्तमान में 214 में से पांच पद रिक्त हैं। ऐसे में ऑफिस बियरर सहित हाउस में कुल कमेटी मेंबर व ऑफिस बियरर की संख्या 209 है। इनमें से महासचिव के वित्तीय पावर को सीज करने के लिए अध्यक्ष खेमे को 110 कमेटी मेंबरों के हस्ताक्षर चाहिए। लेकिन आठ ऑफिस बियरर की जी तोड़ मेहनत के बावजूद वे 70 से ज्यादा कमेटी मेंबरों के हस्ताक्षर जुटा नहीं पाई। ऐसे में अध्यक्ष खेमे द्वारा शनिवार को भी हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। कुछ कमेटी मेंबरों का दावा है कि अध्यक्ष पक्ष के ऑफिस बियरर ने कमेटी मेंबरों से हस्ताक्षर के लिए क्रम संख्या सौ ही से बनाया है ताकि बाद में हस्ताक्षर के लिए आने वालो को क्रम संख्या से अध्यक्ष के जीतने का रूख मालूम चल जाए। लेकिन शनिवार को यह विफल हुआ तो सबसे ज्यादा हंसी के पात्र कौन होगा? यह सभी जानते हैं।
डरा-धमका कर कराया जा रहा है हस्ताक्षर
महासचिव खेमे के कमेटी मेंबरों ने दावा किया कि अध्यक्ष खेमे के पदाधिकारी कमेटी मेंबरों को डरा-धमका कर जबदस्ती हस्ताक्षर करा रहे हैं। उनके विभाग में आरओ समझौता नहीं करने, किसी कर्मचारी के बच्चों के लिए में स्कूल दाखिले की पैरवी नहीं करने या टीएमएच में किसी तरह की मदद नहीं करने के लिए डराया जा रहा है। लेकिन जब उनसे आधिकारिक रूप से नाम के साथ आरोप प्रकाशित करने को कहा गया तो वे अपनी नौकरी का हवाला देते नाम उजागर नहीं करने की अपील की।
यूनियन के पास 33 करोड़ की संपत्ति
टाटा वर्कर्स यूनियन के पास 33 करोड़ की संपत्ति है जो सात बैंक खातों से संचालित होता है। इनमें एसबीआई पर्सनल ब्रांच, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बडौदा, विजया बैंक, यूनियन बैंक, यूको बैंक व आइसीआइसीआइ बैंक शामिल है। इनमें से यूको व आइसीआइसीआइ बैंक में यूनियन का चालू खाता है जिनसे ही कर्मचारियों का वेतन जाता है। महामंत्री ने यूको बैंक की ही खाते को फ्रीज कराया है जिससे 22 कर्मचारियों को वेतन जाता है।
...तो अध्यक्ष को मिल जाएंगे पूरा अधिकार
ऑफिस बियरर द्वारा अध्यक्ष के नाम एक आवेदन लिखा गया है जिसमें कहा गया है कि यूनियन की वर्तमान परिस्थिति में उन्हें संविधान की धारा पांच उपधारा पांच, छह व दस के तहत प्राप्त विशेषाधिकार के लिए प्राधिकृत किया जाता है। वहीं, कमेटी मेंबर व ऑफिस बियरर अध्यक्ष को यह अधिकार देता है कि वे यूनियन के दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों का संचालन करे। साथ ही यूनियन की कुल जमा राशि का संचालन भी वे कोषाध्यक्ष के साथ स्वयं करें। इस आवेदन के नीचे सभी कमेटी मेंबरों के हस्ताक्षर लिए जा रहे हैं।
प्रबंधन ले सकती है संज्ञान
चर्चा है कि इस पूरे मामले में कंपनी प्रबंधन शनिवार को स्वयं संज्ञान ले सकती है। इसके लिए टॉप-थ्री यूनियन नेताओं को बुलाकर मामले का समाधान करने का दबाव दे सकती है।
कर्मचारियों की समस्या जस की तस
इस पूरे मामले में यूनियन कर्मचारियों की समस्या जस की तस बनी हुई है। हस्ताक्षर होने के बाद शनिवार को भी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला पाएगा। ऐसी स्थिति में टाटा स्टील प्रबंधन 2005 की तरह कर्मचारियों को वेतन दे सकती है या यूनियन अध्यक्ष क्लब बुकिंग से प्राप्त कोष से कर्मचारियों को वेतन जारी कर सकते है।