चार सदस्यों के चुनाव लड़ने पर रोक, फिर विवादों में राम मंदिर चुनाव
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बिष्टुपुर राम मंदिर चुनाव को लेकर दो गुटों में चले लंबे विवाद के थ
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बिष्टुपुर राम मंदिर चुनाव को लेकर दो गुटों में चले लंबे विवाद के थमने के बाद अब इसमें एक नया पेच आ गया है। इससे एक बार फिर मंदिर चुनाव को लेकर माहौल गरमाने लगा है। दरअसल, अब तदर्थ समिति का समर्थन करने वाले चार सक्रिय सदस्यों को चुनाव नहीं लड़ने दिए जाने की बात सामने आ रही है। इसकी पुष्टि निर्वाचन पदाधिकारी टी आदिनारायण राव ने भी की है। टी आदिनारायण ने बताया कि एसवी दुर्गा प्रसाद, प्रभाकर राव, सीएच रमणा, सत्या राव पर विभिन्न आरोपों के तहत केस चल रहा है और इस कारण वे चुनाव नहीं लड़ सकते। वे चुनाव तो नहीं ही लड़ सकते, उन्हें मतदान भी नहीं करने दिया जाएगा। राम मंदिर के क्वार्टरों में रहने वाले वैेसे लोग जो मुकदमा लड़ रहे हैं, वे भी इस चुनाव की प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते हैं। निर्वाचन पदाधिकारी के इस खुलासे के बाद अब मंदिर में एक बार फिर विवाद बढ़ने के आसार बढ़ गए हैं। बताते चलें कि पहले इन्हीं दो मामले को लेकर चुनाव की दो अलग-अलग तिथियां घोषित की गई थी। अब एक बार फिर ऐसी ही स्थिति बन गई है।
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यह सरासर धोखा है : भास्कर राव
अध्यक्ष पद के प्रत्याशी भास्कर राव ने कहा है कि राम मंदिर कमेटी का यह निर्णय सरासर गलत है और उनकी टीम के सदस्यों के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि चार जून को जो त्रिपक्षीय वार्ता हुई थी, उसमें स्पष्ट उल्लेख था कि अगर केस करने वाले तथा आरोप लगाने वाले माफीनामा दे देते हैं तो उन्हें चुनाव लड़ने और मतदान करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके अलावा भी कई शर्तों पर सभी एकमत हुए थे। ऐसे में दुर्गा, प्रभाकर, रमणा व सत्या राव को चुनाव न लड़ने देने की बात सामने आने के बाद अब हमें भी न्याय के लिए पदाधिकारियों का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वे इस मामले को लेकर सदस्यों के साथ एसडीओ से शीघ्र मिलेंगे तथा चार जून को हुए समझौते के अनुसार चुनाव कराने की मांग करेंगे।
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एसडीओ को पूर्व संयुक्त सचिव ने भेजा पत्र
बिष्टुपुर राम मंदिर में 5 अगस्त को प्रस्तावित चुनाव में चार पदाधिकारियों को मताधिकार नहीं करने देने की बात सामने आने के बाद राम मंदिर कमेटी के पूर्व संयुक्त सचिव एसवी दुर्गा प्रसाद ने देर शाम एसडीओ को पत्र समर्पित किया है। इस पत्र में चार जून को हुए समझौते की प्रति एसडीओ को उपलब्ध करायी गई है और इस आधार पर राम मंदिर का चुनाव कराने की मांग की गई है। इस चुनाव में प्रशासन की ओर से भी चुनाव पर्यवेक्षक नियुक्त करने की मांग की गई है। पत्र में स्पष्ट रूप से बताया गया अगर पूर्व के पदाधिकारियों व मंदिर समिति के बने क्वार्टर में रहने वाले लोगों को चुनाव में मताधिकार की अनुमति नहीं दी जाएगी तो यहां विधि व्यवस्था का खतरा उत्पन्न हो सकता है।