जानिए, कैसे यहां बिना मिट्टी के तैयार हो रहे बीज से पौधे
लोगों ने एक चक्र में केवल पौधा बेच कर 16000 से 20,000 रुपये तक लाभ कमाया है।
सुधीर पांडेय, जमशेदपुर। नक्सल प्रभावित पूर्वी सिंहभूम जिले के गुड़ाबांदा प्रखंड में टाटा ट्रस्ट के साथ मिलकर सीआइएनआइ संस्था सब्जी चाराघर में बीज से स्वस्थ पौधे तैयार कर रही है। बीज से ये पौधे मिट्टी का प्रयोग किए बिना तैयार किए जा रहे हैं। संस्था पूर्वी सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित धालभूमगढ़ और गुड़ाबांधा के किसानों को इसका प्रशिक्षण भी दे रही है। बिना मिट्टी के बीज से पौधे तैयार करने का यह तरीका अनूठा तो है ही इससे भूमिहीन ग्रामीणों को स्वरोजगार भी मिल रहा है।
किसान अपने ही गांव में रहकर तथा अपने ही क्षेत्र के दूसरे किसानों को उत्पादित पौधे बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं तथा खरीद करने वाले किसानों का सब्जी उत्पादन बढ़ रहा है जिससे कृषि में उनका मुनाफा बढ़ा है। प्रायोगिक तौर पर गुड़ाबांदा प्रखंड की दो पंचायत फॉरेस्ट ब्लॉक एवं सिंहपुरा के माछभंडार तथा तरासपुर में एवं धालभूमगढ़ प्रखंड के दो पंचायतों मौदाशोली तथा जुगीसोल में यह चारा घर सफलतापूर्वक चल रहे हैं। एक चाराघर वर्गफीट में बना है। उत्पादन क्षमता एक चक्र में एक लाख दस हजार पौधा है। यहां पर बैगन, टमाटर, मिर्चा, बंधागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, करेला एवं अन्य लतर चारा उत्पादित हो रहे हैं। अन्य सब्जियों के उत्पादन की भी योजना है।
इस तरह बिना मिट्टी से तैयार होता है पौधा
संस्था से जुड़े सूरज मुमरू ने बताया कि हमलोग बाजार से बेहतर बीज खरीदकर लाते हैं। इसके बाद कॉकपिट में उसे डाल देते हैं। ऊपर से बायो फर्टिलाइजर डाला जाता है। तीन दिन में बीज अंकुरित हो जाता है। कॉकपिट में 20-25 दिन यह पड़ा रहता है। इस दौरान जरूरत के अनुसार यूरिया भी डाली जाती है। स्वस्थ्य पौध तैयार होने के बाद इसे खेतों में रोप दिया जाता है। इसमें मिट्टी का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता। बिना मिट्टी के बीज से तैयार पौधे स्वस्थ होते हैं। इनमें किसी तरह की बीमारी नहीं रहती।
बीज बेच कर कमा लिए 16000 से 20,000 रुपये
माछभंडार के किसान बैजनाथ हेम्ब्रम ने बताया कि बिना मिट्टी का इस्तेमाल किए बीज से जो पौधे तैयार हो रहे हैं वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। पहले अक्सर पौधों में कीड़े लग जाते थे। इससे काफी नुकसान उठाना पड़ता था। हम लोगों ने एक चक्र में केवल पौधा बेच कर 16000 से 20,000 रुपये तक लाभ कमाया है। वहीं तिलाबनी के किसान जगन्नाथ मुमरू ने बताया कि इस तकनीक से पौधे जल्दी तैयार होते हैं। समय बचने के साथ-साथ लागत खर्च भी कम हुआ है।
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