12 सौ आबादी वाले झारखंड के इस गांव के हर घर में हैं इंजीनियर
ओडिशा सीमा पर मौजूद गुड़ाबांधा प्रखंड के कोइमा गांव के तकरीबन हर घर में इंजीनियर हैं। देश की नामी-गिरामी कंपनियों के अलावा अमेरिका, यूके और जर्मनी में भी यहां के इंजीनियर हैं।
जमशेदपुर [मुजतबा हैदर रिजवी]। ये गांव पूरी तरह साक्षर है। यही नहीं, गांव के तकरीबन हर घर में इंजीनियर हैं। देश की नामी-गिरामी कंपनियों के अलावा अमेरिका, यूके और जर्मनी में भी यहां के इंजीनियर हैं। गांव में दो पायलट भी हैं। बैंक मैनेजर समेत अन्य अधिकारियों की भरमार है। बात हो रही है ओडिशा सीमा पर मौजूद गुड़ाबांधा प्रखंड के कोइमा गांव की।
गांव के असीम कुमार सीट ओएनजीसी में इंजीनियर हैं। उन्होंने बीआइटी मेसरा से इंजीनिय¨रग की डिग्री हासिल की है। वो तीन महीने पहले तक असम के गुवाहाटी में तैनात थे। अब दिल्ली ट्रांसफर हो गया है। असीम पिता विजय कुमार सिविल सर्जन थे और पिछले साल कोडरमा से रिटायर हुए हैं। असीम के भाई अरुण कुमार आंध्रा बैंक में असिस्टेंट जनरल मैनेजर हैं। विराज कुमार भी ओएनजीसी में इंजीनियर हैं और नागपुर में तैनात हैं। बिराई सीट गेल में दिल्ली में इंजीनियर हैं। भावेष घोष जर्मनी में इंजीनियर है। प्रणव घोष अमेरिका में इंजीनियर हैं। कुल मिलाकर हर घर में सरकारी नौकरी करने वाले लोग हैं और गांव में वही रह रहे हैं जिन्हें खेती-बाड़ी देखनी है।
गांव के नीतीश हैं स्क्वाड्रन लीडर
गांव के विजय कुमार सीट के बेटे नीतीश कुमार भारतीय एयरफोर्स में स्क्वाड्रन लीडर हैं। वो कोलकाता में तैनात हैं। इसके अलावा, पुष्को कुमार सिंह भी पायलट हैं। वो कोलकाता में एयरपोर्ट अथारिटी आफिसर हैं।
गांव से 13 किमी दूर इंजीनियरिंग कॉलेज
कोइमा में इंजीनियरों की भरमार होने की वजह यहां से 13 किमी दूर ओडिशा के मयूरभंज जिले के झाड़पोखरिया कस्बे में सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज है। गांव के युवा इसी कॉलेज से पढ़ाई करते हैं। 1200 की आबादी वाले गांव के अभी 15-16 युवा इस इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे हैं। यही नहीं, कुछ युवक आदित्यपुर एनआइटी और बीआइटी मेसरा समेत अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज से भी पढ़ाई कर रहे हैं। झाड़ पोखरिया में आइटीआइ भी है। कोइमा गांव के युवा गांव में कोइमा मध्य विद्यालय से कक्षा आठ तक की पढ़ाई के बाद झाड़पोखरिया के सीमांत इंटर कॉलेज से हाई स्कूल और इंटर की भी पढ़ाई करते हैं।