युवा संवाद में हेमंत सोरेन बोले, सीबीआई के भय से छोड़ दी थी इंजीनियरिंग की पढ़ाई
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि सीबीआई के डर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और उसके बाद राजनीति की राह पकड़ ली।
जमशेदपुर (जेएनएन)। झारखंड संघर्ष यात्रा के क्रम में कोल्हान प्रमंडल के पश्विमी सिंहभूम जिले के चाईबासा स्थित पिल्लई हॉल में रविवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन युवाओं से मुखातिब हुए। युवा संवाद कार्यक्रम में हेमंत ने अपने अनुभव बांटे। बताया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के डर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और उसके बाद राजनीति की राह पकड़ ली।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि जब वह बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआइटी) मेसरा में पढ़ते थे, तब उनके पिता शिबू सोरेन सांसद थे। उसी समय पीवी नरसिंह राव की सरकार को बचाने के लिए रिश्वत लेने का मामला सामने आया। उनके पिता समेत झामुमो के कई सांसद गिरफ्तार कर जेल में डाल दिए गए। इसके बाद शिबू सोरेन के निजी सचिव शशिनाथ झा के गायब होने का मामला भी आया और दोनों मामलों की सीबीआई जांच शुरू हुई। तब सीबीआई उन पर भी नजर रखने लगी। मेसरा स्थित हॉस्टल के अलावा क्लास में भी उन पर नजर रखी जाती थी। उनका कहीं आना-जाना भी मुश्किल हो गया था। वे बड़ी मुश्किल से साइकिल से रांची आना-जाना कर लेते थे। अंत में सीबीआई की निगहबानी की वजह से इस कदर भयभीत हो गए कि पढ़ाई अधूरी छोड़ दी।
मां ने दूसरों के खेतों में की धनरोपनी
राजनीति में आने वाली मुश्किलों की चर्चा के क्रम में हेमंत ने बताया कि उनके परदादा की हत्या कर दी गई थी। उनके पिता शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन शुरू किया तो गांव में रहना मुश्किल हो गया। बाद में झारखंड राज्य के लिए आंदोलन शिबू सोरेन ने शुरू किया और भूमिगत रहने की मजबूरी रही। उस दौर में मां रूपी सोरेन ने बड़ी मुश्किल से परिवार को संभाला। मां ने दूसरों के खेतों में धनरोपनी का काम भी किया।
युवाओं को किया जा रहा गुमराह
हेमंत ने युवाओं के सवाल के जवाब में राज्य सरकार को कठघड़े में खड़ा किया और कहा कि युवाओं को गुमराह करना केंद्र और झारखंड की सरकार का मुख्य काम है। सरकार युवाओं की चिंता का सिर्फ ढोंग करती है। उन्होंने कहा कि झारखंड मोमेंटम के आयोजन में सरकार का हिडेन एजेंडा था। इसी तरह स्किल इंडिया के नाम पर पूंजीपतियों के लिए सस्ते मजदूर तैयार किए जा रहे हैं। साजिश के तहत झारखंड के युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर पांच-छह हजार के वेतन पर दूसरे राज्यों में काम करने के लिए भेज दिया गया। सरकार को सही मायने में युवाओं के बेहतर भविष्य की चिंता होती तो स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था करती। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को भी राज्य में जान-बूझकर बेपटरी किया जा रहा है। स्कूल बंद किए जा रहे हैं और छात्रवृत्ति में कटौती की जा रही है।