गर्भ रोकने की वजह से बढ़ रहा ब्रेस्ट कैंसर
अमित तिवारी, जमशेदपुर हाल के दिनों में ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। इसका
अमित तिवारी, जमशेदपुर
हाल के दिनों में ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। इसका कारण गर्भ निरोधक दवाओं की भूमिका व देर से विवाह होना है। कॅरियर बनाने की चाह में अब लोग देर से विवाह कर रहे हैं। विवाह के बाद महिलाएं गर्भ निरोधक दवाओं का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रही हैं। ब्रेस्ट कैंसर के इजाफा में यह एक मुख्य कारण है। इसका खुलासा ब्रह्मानंद अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित कुमार की रिपोर्ट में हुआ है।
एस्ट्रोजन नामक हारर्मोन बढ़ना खतरनाक : रिपोर्ट के अनुसार मासिक धर्म में तरह -तरह की गड़बड़ियां ब्रेस्ट कैंसर में इजाफा कर रही है। कुछ महिलाओं को 14 वर्ष से पहले मासिक आ जाता है। कुछ का 50 वर्ष की आयु के बाद भी यह जारी रहता है। कुछ में यह लगातार रहता है। ऐसी स्थिति में दवाओं के माध्यम से गर्भ रोकने का घातक परिणाम निकलकर सामने आया है। अविवाहित महिला या फिर वो विवाहित महिलाएं जो गर्भ रोकने की दवा ले रही हों उनमें एस्ट्रोजन नामक हारर्मोन बढ़ जाता है। उम्र 40 के आस-पास यह हारर्मोन काफी सक्रिय रहता है। इस दौरान यदि किसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर होता है तो उसपर दवा भी बेअसर साबित होती है और वह कम समय में ही दम तोड़ देती है।
हर साल 80 से 100 महिलाएं हो रही शिकार : रिपोर्ट के अनुसार जमशेदपुर में हर साल एक हजार से अधिक महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के शिकार हो रही है। इसमें आठ से दस फीसद (80 से 100) ऐसी महिलाएं होती हैं जो गर्भ रोकने के लिए दवा का इस्तेमाल करती हैं। आधुनिकता की दौर में युवतियां एक तो शादी देर से कर रही है और उसमें भी बच्चा देर से चाहती हैं। ऐसे में वह गर्भ रोकने की दवा का इस्तेमाल करती हैं, जो घातक साबित हो रहा है। रिपोर्ट में यह भी देखा गया है कि 30 की उम्र के बाद जिन महिलाओं को पहला बच्चा हुआ है उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका अधिक रहती है। भारत में 18 में एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा रहता है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
- ब्रेस्ट में गांठ या असामान्य मोटापा।
- ब्रेस्ट व हड्डियों में पीड़ा।
- त्वचा में असामान्य घाव।
- बांह में दर्द रहना।
- वजन कम होना।
'अपनी मर्जी से गर्भ निरोधक दवा नहीं खाने चाहिए। इससे ब्रेस्ट कैंसर के रोगी बढ़ रहे हैं। महिलाएं सबसे अधिक ब्रेस्ट कैंसर की ही शिकार होती हैं। समय पर बीमारी की पहचान होने से इसका इलाज संभव है।'
- डॉ. अमित कुमार, कैंसर रोग विशेषज्ञ, ब्रह्मानंद अस्पताल।