इन राज्यों में दिल देने की हसरतें रह जातीं अधूरी, जानिए क्या है खास वजह
दिल देनेवालों की कमी नहीं है लेकिन झारखंड सहित छह राज्यों में समस्या दिल प्रत्यारोपण की सुविधा नहीं होना है। सुविधा होने से दिल के मरीजों को बचाया जा सकता है।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। लोगों में दिल देने की तमन्ना तो बढ़ी है लेकिन झारखंड सहित छह राज्यों में इसे लेने की सुविधा ही नहीं है। इस समस्या को देखते हुए पांच पूर्वी राज्य एक रोटो (ऑर्गन शेयरिंग नेटवर्क) के तहत आए हैं। इसमें ओडिशा, सिक्किम, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल शामिल हैं। कोलकाता के एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज में रोटो कार्यालय बनाया गया है।
हृदय प्रत्यारोपण के इच्छुक मरीजों को यहां रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। यहीं मरीज के वजन, हाइट, ब्लड ग्रुप व अन्य मेडिकल जांच होती है। डोनर मिलते ही मरीज को बुला लिया जाता है। हॉस्पिटल की टीम डोनर तक हवाई जहाज से पहुंचती है। ब्रेन डेथ घोषित मरीज का दिल निकालकर उसे ग्रीन कॉरीडोर बनाकर लाया जाता है। फिर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
चार घंटे बाद दिल हो जाता बेकार
चार घंटे के अंदर दिल नहीं पहुंचाने पर बेकार होने की आशंका बढ़ जाती है। कोलकाता के रवींद्र नाथ टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक हॉस्पिटल, अपोलो, फोर्टिज और बीएमए बिरला में भी हृदय प्रत्यारोपण होता है। झारखंड में हर वर्ष करीब 1500 लोगों को हृदय प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है। वहीं देश में हर साल 50 हजार लोगों को इसकी जरूरत है। भारत में दस लाख लोगों में करीब 0.03 लोग ही अंगदान करते हैं। स्पेन में यह दर प्रति दस लाख 34 अंगदान है। हृदय प्रत्यारोपण पर 11 से 13 लाख रुपये खर्च आता है।
जमशेदपुर के तीन अस्पतालों में जल्द शुरू होगा अंग दान
शहर के तीन अस्पतालों ने अंग दान के लिए आवेदन दिया है। इसमें ब्रह्मानंद अस्पताल, टाटा मुख्य अस्पताल व टाटा मोटर्स अस्पताल शामिल है। अभी तक किसी को अनुमति नहीं मिली है। लाइसेंस के बाद ही यहां लोग अंग दान कर सकेंगे। यदि यह शुरू हो जाए तो दूसरे मरीजों की जान बचाई जा सकती है। झारखंड में एक भी अस्पताल एनटीओआरसी (नन ट्रांसप्लांट ऑर्गन रेट्राइबल सेंटर) से रजिस्टर्ड नहीं है, जहां लोग अंग दान कर सकें। यह सुविधा शुरू होने के बाद यहां से दिल सहित अन्य अंग कोलकाता ले जाकर उसे दूसरे मरीजों में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
पूर्वी भारत में देवघर निवासी युवक में पहला प्रत्यारोपण
18 मई 2018 को पूर्वी भारत का पहला हृदय प्रत्यारोपण देवघर के युवक में हुआ था। 40 वर्षीय इस युवक का नाम दिलचंद सिंह है। वह देवघर के सोनारायठाढ़ी गांव का निवासी है। दिलचंद सिंह को बेंगलुरु के वरुण बीके का हृदय लगाया गया है। कोलकाता के फोर्टिस हॉस्पिटल में मरीज का हृदय प्रत्यारोपण किया गया था। पूर्वी व उत्तर पूर्वी भारत में ऐसा पहली बार हुआ जब चार्टर प्लेन के जरिए दूसरे राज्य से जिंदा हृदय लाकर प्रत्यारोपित किया गया। दिलचंद ने फोर्टिस अस्पताल में अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। उसके बाद पूर्वी भारत के आठ और लोगों का हृदय प्रत्यारोपण किया गया।
तीन अगस्त 1994 में भारत में शुरू हुआ हृदय प्रत्यारोपण
कार्डियोमायोपैथी जिसमें हार्ट फेल्योर हो जाता है। वैसे मरीजों को हार्ट ट्रांसप्लांट किया जाता है। भारत में पहला हृदय प्रत्यारोपण तीन अगस्त 1994 को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सर्जन पी. वेणुगोपाल ने किया था। इस सफल सर्जरी में 20 सर्जन ने योगदान दिया। 59 मिनट में यह सर्जरी की गई। यह सर्जरी देवी राम की हुई थी। सर्जरी के बाद 15 साल तक जीवित रहे। इससे पहले हृदय प्रत्यारोपण के लिए विदेश जाना पड़ता था। एक डोनर आठ लोगों की जान बचा सकता है। वहीं 50 लोगों में उसके ट्श्यू को इस्तेमाल किया जा सकता है।
- डॉ. संतोष गुप्ता, हृदय रोग विशेष, ब्रह्मानंद अस्पताल।
दो साल के दौरान 300 हृदय प्रत्यारोपण
वर्ष 2016 व 2017 में भारत में लगभग 300 हृदय प्रत्यारोपण हुआ। इसकी तुलना में 2015 और 1994 के बीच केवल 350 प्रत्यारोपण हुआ। यानी दो वर्षो में देश में हृदय प्रत्यारोपण की संख्या में दस गुना वृद्धि हुई है। वर्तमान में भारत में 78 केंद्र हैं, जो हृदय प्रत्यारोपण करते हैं। पूरे भारत में 1300 काउंसलर प्रशिक्षित किए हैं जो ब्रेन डेड मरीजों के परिवार को अंग दान के लिए मार्गदर्शन करते हैं।
- डॉ. ललित कपूर, हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जन, रवींद्र नाथ टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक हॉस्पिटल।
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