Covid19 : लॉकडाउन में खुलकर हुई कालाबााजारी, पांच का मास्क 50 में बिका Jamshedpur News
Covid19. कोरोना संक्रमण के कारण किए गए लॉकडाउन में व्यापार खेल शिक्षा से लेकर सभी गतिविधियां ठप थीं। यदि कुछ नहीं बंद था तो वह है कालाबाजारी।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। कोरोना संक्रमण के कारण किए गए लॉकडाउन में व्यापार, खेल, शिक्षा से लेकर सभी गतिविधियां ठप थीं। यदि कुछ नहीं बंद था तो वह है कालाबाजारी। जो खुलकर की गई। वो चाहे पहले राशन व अन्य जरूरत की सामग्री में हो या फिर इस महामारी से लोगों के बचाने वाले सबसे जरूरी मास्क की।
कालाबाजारी करने वालों के शब्द कोश में इंसानियत नहीं है। बच्चा मरे या बुजुर्ग इन्हें तो बस मोटी कमाई से मतलब। ऐसे लोगों ने मौके का भरपूर लाभ उठाते हुए थोक में मिला पांच रुपये की कीमत वाला मास्क 50 रुपये तक बेचा। जमशेदपुर में लगभग एक लाख मास्क दो माह में बिके। लाखों का खेल हुआ। सामान्य दिनों मे 2 व 3 प्लाई के सर्जिकल मास्क चिकित्सक ही उपयोग करते थे लेकिन, कोरोना की वजह से आम लोग भी इसका इस्तेमाल करने लगे है। सर्जिकल मास्क पहले तो कपड़े के बनते थे। आज भी बहुत से वरिष्ठ डॉक्टर कपड़े के बने मास्क ही पहनते हैं, लेकिन प्लास्टिक के नॉन वोवन कपड़े से बने थ्री प्लाई के सर्जिकल मास्क बहुत प्रचलन में हैं। ये प्लास्टिक के नान वोवन सर्जिकल मास्क बनाने में जो बीच का कपड़ा है वो है मैटबलौन, जब से कोरोना का मामला चला है तब से इस मैटबलौन कपड़े की कीमतें 500 रुपये किलो से बढ़ के 6000 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं। पहले ये डिस्पोजेबल सर्जिकल मास्क 100 रुपये में 100 मिलते थे। मतलब एक रुपये प्रति मास्क।
सौ रुपये का पैकेट पांच हजार तक बिका
मार्च के अंत व अप्रैल के मध्य तक डिस्पोजेबल सर्जिकल मास्क के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। लोगों ने लाइन लगाकर 100 मास्क के पैकेट पांच हजार रुपये तक में खरीदे, लेकिन अब फिर से इसकी कीमतें कम हो गई हैं। खास बात ये है कि 99 फीसद निर्माता आज मैटबलौन कपड़े की लेयर नहीं डाल रहे हैं। केवल नॉन वोवन कपड़े की ही सफेद लेयर डाल कर ज्यादा आमदनी की ओर देखने लगे हैं। ये प्लास्टिक के सर्जिकल मास्क बहुत ही कष्ट देते हैं और इनमें सांस घुटने लगती है। दोबारा प्रयोग न हो पाने के कारण इनको एक बार प्रयोग करके फेंकना पड़ता है, जो अपने आप में भी एक बहुत बड़ी समस्या है।
अभी 15 से 20 रुपये में बिक रहा मास्क
मार्च, अप्रैल माह की तुलना में मई में मास्क की खपत घटी है। ऐसे में मास्क की कीमत में भी कमी आई है। अब दवा दुकानों पर 15 से 20 रुपये में मास्क की ब्रिकी हो रही है, जो लॉकडाउन के दौरान 50 रुपये तक हो रही थी। बढ़ती कालाबाजारी को देखते हुए सरकार ने टू प्लाई व थ्री प्लाई मास्क की कीमत खुदरा में आठ से 10 रुपये तय किया है।
- इस मुश्किल घड़ी में सभी को एक साथ देश के साथ खड़ा होने की जरूरत है। यह समय कमाने का नहीं है बल्कि लोगों की मदद करने का है। मास्क की बढ़ते कालाबाजारी की वजह से ही सरकार को इसकी कीमत तय करनी पड़ी।
- जितेंद्र सिंह, केंद्रीय सचिव, फर्मासिस्ट फाउंडेशन।
- अधिक कीमत पर मास्क की ब्रिकी होने की सूचना मुझे नहीं मिली। पूरे लॉकडाउन के दौरान हमारे पास मास्क का स्टॉक भरपूर था। अभी भी है। यदि कोई ज्यादा कीमत ले रहा है तो गलत है।
- कमल अग्रवाल, अध्यक्ष, केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन, जमशेदपुर।