छिपाएं नहीं, ठीक हो जाते मिर्गी के 70 प्रतिशत मरीज
जासं जमशेदपुर ग्रामीण क्षेत्रों में मिर्गी को लेकर अब भी जागरूकता की कमी है। पहले तो लोग
जासं, जमशेदपुर : ग्रामीण क्षेत्रों में मिर्गी को लेकर अब भी जागरूकता की कमी है। पहले तो लोग इस बीमारी को छिपाते हैं, इसके बाद ओझा-गुणी के चक्कर में फंस जाते हैं। तब-तक बीमारी बढ़ जाती है। अंतिम समय में वे चिकित्सक के पास पहुंचते हैं। जबकि चिकित्सकों का कहना है कि समय पर इलाज कराने वाले 70 प्रतिशत मरीज ठीक हो जाते हैं।
मिर्गी को डाक्टरी भाषा में एपिलेप्सी कहते हैं। देश में हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है। इसके माध्यम से पीड़ित व उनके स्वजनों को जागरूक किया जाता है। अब भी लोग मिर्गी का दौरा आने पर चप्पल सुंघाते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए।
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मिर्गी क्या है
शहर के न्यूरो फिजिशियन डा. एमएन सिंह ने बताया कि मिर्गी एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें मरीज के दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होने लगती हैं। दिमाग में गड़बड़ी होने के कारण व्यक्ति को बार-बार दौरे पड़ने लगते हैं। इस दौरान मरीज अपना दिमागी संतुलन खो देता है, जिससे उनका शरीर लड़खड़ाने लगता है। इसके साथ ही और भी मिर्गी के कई लक्षण हैं।
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मिर्गी मरीज बरतें यह सावधानी
- पर्याप्त नींद लें।
- शराब व नशीली दवाओं का सेवन कभी नहीं करें।
- साइकिल या फिर मोटरसाइकिल चलाते समय हेलमेट का प्रयोग अवश्य करें।
- तेज चमकती रोशनी से बचें।
- टीवी और कंप्यूटर के आगे ज्यादा देर तक नहीं बैठें। इससे दौरा आता है।
- तनाव नहीं लें। यह खतरनाक है।
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मिर्गी के लक्षण
- शरीर का अकड़ जाना।
- अचानक गिर जाना।
- बेहोश हो जाना।
- मुंह से झाग आना।
- होंठ या जीभ काट लेना।
- आंखों के आगे अंधेरा छा जाना।
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कोट ::
मिर्गी के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव है। 70 प्रतिशत मरीज सिर्फ दवा के माध्यम से ठीक हो जाते हैं। ओझा-गुणी के चक्कर में फंसकर मरीज बीमारी को बढ़ा लेते हैं। अगर किसी को मिर्गी की शिकायत हैं तो उसका इलाज कराएं।
- डा. एमएन सिंह, न्यूरो फिजिशियन