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कोविड घर की उम्र हुई 75 दिन..न थके, न रुके, बस चलते जाना है

रविवार को महात्मा गांधी मेमोरियल क(एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के वायरोलॉजी लैब का 75 दिन पूरे हो गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 10:00 AM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 10:00 AM (IST)
कोविड घर की उम्र हुई 75 दिन..न थके, न रुके, बस चलते जाना है
कोविड घर की उम्र हुई 75 दिन..न थके, न रुके, बस चलते जाना है

अमित तिवारी, जमशेदपुर :

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देश में आई महामारी में अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए मन में सेवाभाव लिए संक्रमित मरीजों के लिए जब कुछ कर गुजरने का जज्बा हो। तो हर परेशानी बौनी नजर आने लगती है। उससे निपटना आसान हो जाता है। बस ये प्रण लिए कि दिक्कतों से घबराकर न थकेंगे, न रुकेंगे, बस चलते जाना है। ये हौसला, हिम्मत व जज्बा झारखंड के पहले कोविड-19 जांच घर में काम करने वाले कर्मचारियों का है। रविवार को महात्मा गांधी मेमोरियल क(एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के वायरोलॉजी लैब का 75 दिन पूरे हो गए। संडे हो या मंडे प्रतिदिन ये 17 से 18 घंटे काम कर रहे हैं। यानी 1275 घंटे में प्रदेश के करीब 12000 लोगों की जांच पूरी हुई है। सुबह आठ से रात 12 बजे तक जांच रिपोर्ट तैयार हो रही है। परिवार से ज्यादा कर्मचारियों का समय लैब में ही बीत रहा है, इसलिए वायरोलॉजी लैब का नाम बदलकर कोविड घर रख दिया गया है।

राज्य में सबसे पहले कोविड जांच घर की शुरुआत 11 मार्च को एमजीएम में हुई। इसके बाद रांची रिम्स व धनबाद में शुरू हुई। एमजीएम में पहले दिन 30 नमूने की जांच हुई थी, जो बढ़कर अब 580 तक पहुंच गई इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने झारखंड में एमजीएम को ही क्वालिटी कंट्रोल लैब बनाई है।

छह कर्मचारी व एक मशीन से हुई थी कोविड घर की शुरुआत :

कोविड जांच घर की शुरुआत छह कर्मचारी व एक पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) मशीन से हुई थी, लेकिन अब बढ़कर तीन पीसीआर मशीन व 35 कर्मचारी हो गए है। इसमें डॉक्टर, साइंटिस्ट, टेक्नीशियन, डाटा ऑपरेटर सभी शामिल हैं। माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. रीता चौहान कहती है कि सबसे खास बात यह है कि सभी कर्मचारी समय से पूर्व ही ड्यूटी पर चले आते है। कर्मचारियों की ईमानदारी को मैं सलाम करती हूं।

सात चरणों में हो रही जांच :

पहला चरण : सुबह आठ बजे नमूना बॉक्स खोलकर अलग-अलग किया जाता है। इसके बाद टैगिंग की जाती है।

दूसरा चरण : सुबह नौ बजे नमूना को आरएनए एक्सट्रेशिन के जरिए किया जाता है। इसमें कोशिकाओं का परीक्षण मशीन से होता है।

तीसरा चरण : 11 बजे से नमूना की मास्टर मास्टर मिक्िसग और लोडिंग शुरू होती है। इसके बाद जांच शुरू होती है।

चौथा चरण : 12.30 बजे से एक बजे के बीच पीसीआर प्रक्रिया। इसमें डीएनए जांच होती है। दो से तीन घंटे लग जाते है। जांच शाम करीब चार बजे तक चलती है।

पांचवा चरण : पिछले चार चरणों की जांच के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है। अब तक की जांच में रिजल्ट निगेटिव आता है तो जांच रोक दी जाती है।

छठा चरण : पॉजिटिव केस को कंफर्मेशन टेस्ट किया जाता है। इसके बाद रिपोर्ट इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) को भेजी जाती है।

सातवां चरण : आइसीएमआर से जांच रिपोर्ट आने के बाद उन्हें कंपाइल कर सूचीबद्ध किया जाता है।

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