महंगा हुआ इलाज, ओपीडी में 200 व ऑपरेशन में 4500 रुपये अधिक मांगी जा रही फीस Jamshedpur News
कोरोना ने जमशेदपुर में इलाज महंगा कर दिया है। पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेट (पीपीई) किट के नाम पर मरीजों से 100 से लेकर 4500 रुपये तक अधिक लिया जा रहा है।
जमशेदपुर,अमित तिवारी। कोरोना ने जमशेदपुर में इलाज महंगा कर दिया है। पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंंट (पीपीई) किट के नाम पर मरीजों से 100 से लेकर 4500 रुपये तक अधिक लिया जा रहा है। बिष्टुपुर स्थित मेडिका अस्पताल के ओपीडी में अगर आप किसी डॉक्टर से दिखाने जाते हैं तो प्रति मरीज 200 रुपये अधिक जमा कराया जा रहा है। आप नए मरीज हैं तो 150 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस और 500 रुपये डॉक्टर फीस अलग से देना होगा।
इसी तरह तामोलिया स्थित ब्रह्मानंद नारायणा अस्पताल के ओपीडी में चिकित्सकों की फीस 600 से बढ़ाकर 800 रुपये कर दी गई है। वहीं इनडोर में प्रति मरीज 1400 रुपये अधिक लिया जा रहा है। इसके साथ ही बेड चार्ज व जांच दर की राशि भी बढ़ाई गई है। साकची स्थित लाइफलाइन नर्सिग होम में भी चिकित्सकों की फीस में 100 से 200 रुपये का इजाफा किया गया है। इसके अलावा और भी कई चिकित्सकों ने अपनी फीस बढ़ा दी है। चिकित्सकों के अनुसार, कुछ अस्पतालों में ऑपरेशन के दौरान 4500 रुपये तक अधिक लिया जा रहा है। उनका तर्क है कि ऑपरेशन के दौरान चार-पांच लोगों की टीम होती है, जिसमें सभी के लिए पीपीई किट अनिवार्य है। एक ऑपरेशन के बाद वह किट बर्बाद हो जाती है। फिर दूसरे मरीज के ऑपरेशन में दूसरे किट की जरूरत पड़ती है। इसे देखते हुए ऑपरेशन चार्ज बढ़ाया गया है।
खर्च बचाकर दें मरीजों को राहत
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) महिला विंग की अध्यक्ष डॉ. वनिता सहाय ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सभी डॉक्टरों से सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि वेबिनार, कंसर्ट, एक्सपर्ट मीटिंग्स, एक्सपर्ट टॉक आदि पर पैसा खर्च न करें। खर्च बचाकर मरीजों को राहत दी जा सकती है।
कोविड-19 लड़ाई में डॉक्टरों की आवश्यकता सूची
एन-95 मास्क, पीपीई किट, इंफ्रारेड थर्मामीटर, पल्स ऑक्सीमीटर, सर्जिकल मास्क, डिस्पोजेबल दस्ताने, हैंड सैनिटाइजर, सतह कीटाणुनाशक क्लीनर, स्वचालित बीपी मशीन, इलेक्ट्रॉनिक स्टेथोस्कोप, फेस शील्ड, डिस्पोजेबल प्लास्टिक के दस्ताने।
ये कहते आइएमए अध्यक्ष
अपने आप को सुरक्षित रखते हुए सभी तरह के मरीजों की जान बचाना हमारी प्राथमिकता है। मरीजों की सेवाएं जारी रखने के लिए डॉक्टरों को किट की आवश्कता होती है। लेकिन, मरीजों की आर्थिक स्थिति भी देखनी होगी। वह हमारे ही भाई-बंधु हैं। इसलिए ऐसा रास्ता निकालें, कि किसी को परेशानी नहीं हो।
- डॉ. उमेश खां, अध्यक्ष, आइएमए