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पौष्टिक भोजन की बात छोडि़ए, पेट भरना मुश्किल

कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए तमाम योजनाएं संचालित हो रही हैं। लेकिन उनकी भी स्थिति कुपोषित ही है। अब कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल को ही देख लीजिए। यहां पर एक दर्जन से अधिक कुपोषित मरीज भर्ती हैं। उनके लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। पौष्टिक आहार तो छोड़ ही दीजिए सामान्य भोजन पर भी आफत है। यह स्थिति सिर्फ एमजीएम के ही नहीं बल्कि कोल्हान के सभी सरकारी अस्पतालों की है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 07:43 AM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 07:43 AM (IST)
पौष्टिक भोजन की बात छोडि़ए, पेट भरना मुश्किल
पौष्टिक भोजन की बात छोडि़ए, पेट भरना मुश्किल

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए तमाम योजनाएं संचालित हो रही हैं। लेकिन उनकी भी स्थिति 'कुपोषित' ही है। अब कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल को ही देख लीजिए। यहां पर एक दर्जन से अधिक कुपोषित मरीज भर्ती हैं। उनके लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। पौष्टिक आहार तो छोड़ ही दीजिए, सामान्य भोजन पर भी आफत है। यह स्थिति सिर्फ एमजीएम के ही नहीं बल्कि कोल्हान के सभी सरकारी अस्पतालों की है।

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एमजीएम में भोजन के लिए प्रति मरीज रोजाना सिर्फ पचास रुपये ही मिलते हैं। इसी में नाश्ता से लेकर खाना और गैस तक की व्यवस्था करनी होती है। जबकि मंहगाई लगातार बढ़ रही है।

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सामान्य मरीजों के लिए 120 व कुपोषित के लिए 170 रुपये की जरूरत

अस्पताल प्रबंधन के अनुसार मंहगाई के इस दौर में 50 रुपये में मरीजों को पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है। सामान्य मरीजों के लिए 120 रुपये व कुपोषित के लिए 170 रुपये की जरूरत है। इसे बढ़ाने को लेकर विभाग को कई बार पत्र लिखा गया। इसपर अबतक अमल नहीं हो सका है। जबकि रांची रिम्स में प्रति सामान्य मरीजों के लिए 120 रुपये उपलब्ध कराया जाता है। एक ही प्रदेश के दो मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में ऐसा अंतर सवाल खड़ा कर रहा है। हालांकि, रिम्स में भी कुपोषित मरीजों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है।

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छह साल पूर्व मिलता था पनीर, खीर व तीन दिन मुर्गा

छह साल पूर्व मांसाहारी व शाकाहारी मरीजों के लिए अलग से व्यवस्था थी। लेकिन, मंहगाई बढ़ते ही मेनू में कटौती कर दी गई। इसके बाद से अबतक बढ़ोतरी नहीं हो सकी है। पहले का मेनू देखा जाए तो शाकाहारी मरीजों को सामान्य भोजन के साथ-साथ सप्ताह में दो दिन पनीर व खीर दिया जाता था। अब नहीं मिलता है। साथ ही अंडा व केला में भी कटौती की गई। मांसाहारी मरीजों को सप्ताह में तीन दिन मुर्गा मिलता था। अब सिर्फ सोमवार को ही मुर्गा मिलता है। पहले बुधवार व शुक्रवार को भी मिलता था। इसके साथ ही सरसों तेल व मसाला में भी 50 फीसद कटौती की गई है। शाम का नाश्ता तो बिल्कुल ही बंद कर दिया गया। पहले चाय के साथ बिस्कुट दिया जाता था।

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फिलहाल मरीजों को मिलने वाला भोजन

- सुबह नाश्ता : दूध (250ग्राम), अंडा एक, केला एक व ब्रेड चार पीस।

- दोपहर का भोजन : चावल (200ग्राम), दाल (60ग्राम), सब्जी (200 ग्राम)।

- शाम का नाश्ता : बंद हो गया है।

- रात का भोजन : रोटी चार पीस, सब्जी (200ग्राम) व दाल (60 ग्राम)।

नोट :: सोमवार को मांसाहारी मरीजों को मुर्गा मिलता है। शाकाहारी मरीजों के लिए कुछ भी व्यवस्था नहीं है।


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