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अस्पतालों में बंद हुआ आधार कार्ड बनना, दौड़ रहे मां-बाप

अस्पतालों में अब जन्म से पांच साल तक के बच्चों का अधार कार्ड नहीं बन

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 07:59 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 10:16 PM (IST)
अस्पतालों में बंद हुआ आधार कार्ड बनना, दौड़ रहे मां-बाप
अस्पतालों में बंद हुआ आधार कार्ड बनना, दौड़ रहे मां-बाप

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अस्पतालों में अब जन्म से पांच साल तक के बच्चों का आधार कार्ड नहीं बन सकेगा। कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम, सदर सहित सभी नर्सिग होम में आधार कार्ड बनना बंद हो गया है। इससे मां-बाप को बैंक व डाकघर में दौड़ लगानी पड़ रही है। इसके बावजूद भी आधार कार्ड बनने की गारंटी नहीं है।

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सरकार का सख्त निर्देश था कि सभी अस्पतालों में नवजात बच्चों का आधार कार्ड बनाने के लिए विशेष शिविर लगाए जाएंगे। यह शिविर शुरू होकर कुछ दिन तक चला भी लेकिन बाद बंद हो गया। इससे अभिभावकों में आक्रोश है। उनका कहना है कि जब आधार कार्ड को हर काम में अनिवार्य कर दिया गया है तो उसे बनवाने में कोताही क्यों की जा रही है। अस्पतालों में असानी से बच्चों का आधार कार्ड बन जाता था, अब उन्हें वापस भेज दिया जा रहा है। आधार कार्ड नहीं होने से बच्चों का स्कूलों में दाखिला सहित अन्य कार्यो में परेशानी हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिस एजेंसी को सरकार ने ठेका दी थी उसका कार्यकाल खत्म हो गया है। फिलहाल किसी एजेंसी को ठेका नहीं मिला है।

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लाइन में 100 से अधिक व्यक्ति, बन रहा सिर्फ 20 का ही

बिष्टुपुर स्थित प्रधान डाकघर का आंकड़ा देखा जाए तो आधार कार्ड बनवाने के लिए रोजाना 100 से अधिक लोग पहुंच रहे हैं। यहां रोजाना आधार कार्ड सिर्फ 25 लोगों का ही बन रहा है। शेष लौट जा रहे हैं। यहां आधार कार्ड बनवाने के लिए शहर भर से लोग पहुंच रहे हैं। वहीं डिमना रोड स्थित ग्रामीण बैंक में लोगों की भीड़ उमड़ रही है।

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तीन माह से बंद है आधार कार्ड बनना

अस्पतालों में आधार कार्ड बनना तीन माह से बंद है। एमजीएम अस्पताल में रोजाना 60 से अधिक नवजात बच्चे व बड़े का आधार कार्ड बनाया जाता था। वहीं सदर अस्पताल में 20 लोग का बनता था।

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सदर अस्पताल में पहले आधार कार्ड बनाने के लिए शिविर लगाया जाता था। यह शिविर सप्ताह में तीन दिन लगता था। अब एजेंसी का कोई भी कर्मचारी नहीं आता। इससे लोगों को बैंक या डाकघर भेज दिया जाता है।

- डॉ. वीणा सिंह, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल।


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