इलाज के लिए दर-दर भटक रही किडनी की रोगी
सालगाझुड़ी स्थित कालिंदी बस्ती निवासी संजय कालिंदी की बेटी 14 वर्षी
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सालगाझुड़ी स्थित कालिंदी बस्ती निवासी संजय कालिंदी की बेटी 14 वर्षीय अंजली कालिंदी किडनी रोग से ग्रस्त है। इलाज के लिए वह चार माह से भटक रही है। परिजन कभी रांची तो कभी जमशेदपुर का दौड़ लगा रहें हैं।
14 साल की किशोरी के साथ भी उसके परिजन दर-दर भटक रहे हैं। पीड़ित के पिता संजय कालिंदी बताते हैं कि उसके शरीर में सूजन होने पर सबसे पहले उसे खासमहल स्थित सदर अस्पताल ले जाया गया। वहां से एमजीएम रेफर कर दिया गया। यहां से सुविधा व किडनी रोग विशेषज्ञ नहीं होने की बात कहकर उसे रांची रिम्स रेफर कर दिया गया। वहां पर कुछ दिन तक भर्ती रही। इसके बाद दोबारा एमजीएम रेफर कर दिया गया। मंगलवार को किशोरी की स्थिति गंभीर हो गई। इसे देखते हुए चिकित्सकों ने दूसरे अस्पताल ले जाने की सलाह दी, जहां पर किडनी रोग के चिकित्सक मौजूद हो। इस दौरान उसके परिजन के पास ले जाने के लिए पैसे नहीं थे लेकिन किसी तरह उधारी लेकर किशोरी को मेडिट्रिना अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां जाने पर चिकित्सकों ने कहा कि मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के तहत बच्ची की इलाज निश्शुल्क हो सकता है। इसे सुनकर परिजन सिविल सर्जन कार्यालय गए लेकिन वहां जाने के बाद पता चला कि इस बीमारी (किडनी इंफेक्शन) को उस योजना में शामिल ही नहीं किया गया है। अब बच्ची के परिजन के सामने पहाड़ा टूट पड़ा है। पिता किसी तरह मजदूरी कर जीवन-यापन करते हैं।
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पांच लाख तक मिलती है मदद
जिनकी वार्षिक आमदनी अधिकतम 72,000 रुपये तक है या फिर बीपीएल कार्डधारी हैं, उन्हें झारखंड सरकार द्वारा इलाज के लिए पांच लाख रुपये तक की मदद दी जाती है। इसके लिए सिविल सर्जन के नेतृत्व में बैठक होती है और उसमें सहमती दी जाती है। गुर्दा प्रत्यारोपण जैसी गंभीर बीमारी के लिए पांच लाख रुपये तक देने का प्रावधान है। शेष बीमारियों के इलाज के लिए ढाई लाख तक की राशी उपलब्ध करायी जाती है। सरकार 85 बीमारियों का इलाज इस स्कीम के तहत करवाती है।
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प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में भी मेरी बच्ची का इलाज नहीं हो सका। ऐसे में अब मैं कहां जाऊं। मजदूरी करता हूं। इतने पैसे नहीं हैं कि बाहर इलाज कराने के लिए ले जाऊं। फिलहाल उधारी लेकर इलाज करा रहा हूं।
- संजय कालिंदी, पीड़ित के पिता
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पीड़ित को बेहतर से बेहतर चिकित्सा देने की कोशिश की गई। उसे आइसीयू में रखा गया था। मैं खुद देखने के लिए गया। पर, बच्ची की स्थिति गंभीर थी। हमारे यहां किडनी के डॉक्टर हैं नहीं, इसलिए दूसरे जगह ले जाने की सवाल दी गई।
- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम।
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