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इस बार तीज में शुक्ल योग का उत्तम संयोग, जानिए कितना है फलदायक

इस बार हरितालिका तीज पर शुक्ल योग का उत्तम संयोग बन रहा है। यह अति फलदायक है। जानिए कब तीज मनाना है हितकारी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 07:39 AM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 09:54 AM (IST)
इस बार तीज में शुक्ल योग का उत्तम संयोग, जानिए कितना है फलदायक
इस बार तीज में शुक्ल योग का उत्तम संयोग, जानिए कितना है फलदायक

जमशेदपुर, जेएनएन। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को सुहागिनों के द्वारा सुख सौभाग्यदायिनी हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने सुख सौभाग्य की रक्षा के साथ मनोरथ सिद्धि हेतु करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को सर्वप्रथम पर्वतराज हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने हेतु किया था, जिससे उनका मनोरथ सिद्ध हुआ। उसके बाद से ही अखंड सौभाग्य एवं मनोरथ सिद्धि हेतु यह व्रत सुहागिन महिलाओं के द्वारा किया जाने लगा।

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इस व्रत में मुख्य रूप से भगवान शिव एवं माता पार्वती का पूजन विधि विधान के साथ करके हरितालिका तीज की पुण्य प्रदायिनी कथा का श्रवण किया जाता है। हस्त युक्त तृतीया उत्तम फलदायिनी मानी गई है। इस बार एक सितंबर रविवार को दिन में 11:21 बजे के उपरांत तृतीया तिथि प्रारंभ होगी, जो सोमवार दो सितंबर को दिवा 9:01 बजे तक रहेगी। हस्त नक्षत्र भी रविवार एक सितंबर को अपराह्नï 3:08 बजे से प्रारंभ होकर सोमवार दो सितंबर को अपराह्न 1:35 बजे तक रहेगी। इस प्रकार उदया तिथि में हस्त युक्त तृतीया का उत्तम संयोग रविवार दो सितंबर को मिल रहा है।

शुक्ल योग का उत्तम संयोग

इस बार तीज में शुभ योग तदुपरांत शुक्ल योग का उत्तम संयोग मिल रहा है। निर्णय सिंधु के अनुसार- 'भाद्र शुक्ल तृतीयायां हरितालिका व्रतं। तत्र परा ग्राह्या। मुहूत्र्त मात्र सत्त्वेपि दिने गौरीव्रतं परे। चतुर्थी सहिता या तु सा तृतीया फलप्रदा। द्वितीया योगे प्रत्यवायमाह।' इस प्रकार द्वितीया से युक्त तृतीया में व्रत वर्जित है। चतुर्थी युक्त तृतीया एवं हस्त नक्षत्र के संयोग से हरितालिका तीज विशेष पुण्यप्रदएवं मनोरथ सिद्धिप्रद है। अत: सोमवार दो सितंबर को हरितालिका तीज व्रत एवं पूजन करना शास्त्रोचित तथा उत्तम फलप्रदायक है।

पारण मंगलवार को

व्रत का पारण मंगलवार दो सितंबर को प्रात: 6:45 बजे से पूर्व चतुर्थी तिथि में करना उचित रहेगा। सोमवार को दिन में 9:01 बजे के उपरांत चतुर्थी तिथि लग जा रही है। सोमवार को ही चतुर्थी तिथि में चंद्रास्त रात्रि 8:41 बजे हो रहा है। भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का चंद्रमा देखना शास्त्र में निषिद्ध है। ऐसी शास्त्रीय मान्यता है कि इस दिन का चांद देखने से झूठा कलंक लगता है। जिस प्रकार की भगवान श्रीकृष्ण को स्मयंतक मणि की चोरी का झूठा आरोप लगा था। इसप्रकार सोमवार दो सितंबर को ही वैनायकी वरद श्रीगणेश चतुर्थी व्रत भी किया जाएगा। यदि भूलवश इस दिन चंद्र दर्शन हो जाए तो।। ओम नमो भगवते वासुदेवाय।। मंत्र का जप एक माला जप तथा श्लोक- सिंह: प्रसेनमवधीत सिंहो जाम्बवता हत:। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमत्तक:। का पांच बार पाठ करना श्रेयस्कर रहेगा।

।। शुभमस्तु।।

-पं. रमा शंकर तिवारी, ज्योतिषाचार्य 


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