अपनी जमीन पर बनवाया गुरुद्वारा, खुद के खर्चे से चलाते व्यवस्था
रामदसा भंट्टा गुरुद्वारा के निर्माण के पीछे एक दिलचस्प कहानी है।
गुरदीप राज, जमशेदपुर : रामदसा भंट्टा गुरुद्वारा के निर्माण के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। कहानी यह कि रामदास भंट्टा में आसपा-पास कोई गुरुद्वारा नहीं थी। इससे संगत को गुरुद्वारा जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। इसे देखते हुए बलवीर सिंह बल्ली के बेटे सतनाम सिंह ने उन्हें (बलवीर) को गुरुद्वारा बनाने का सुझाव दिया। इस सुझाव के बाद बलवीर सिंह ने खुद अपनी जमीन पर 2012 में गुरुद्वारा का निर्माण करा दिया। गुरुद्वारा का नाम गुरुद्वारा साहिब रामदास भंट्टा रखा गया।
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गुरुद्वारे की खास बात
- यह गुरुद्वारा शहर का पहला गुरुद्वारा है जहां सबसे पहले गुरुद्वारा हॉल में संगत के लिए एसी लगाया गया था।
- इस गुरुद्वारा के निर्माण के लिए किसी से आर्थिक मदद भी नहीं ली गई।
- इस गुरुद्वारा में कोई कमेटी नहीं है और यहां आने वाले गरीब गुरबों को कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटाया जाता।
- इस गुरुद्वारा की शरण में आने वाली गरीब बेटियों की शादी का खर्च में भी प्रधान बलवीर सिंह बल्ली उठाते हैं।
- चाहे व सिख की बेटी हो या गैर सिख की बेटी, यहां बेटियों के साथ किसी तरह के भेदभाव नहीं किया जाता।
- यह शहर का एक मात्र ऐसा गुरुद्वारा है जहां सिखों के दस गुरुओं का प्रकाश उत्सव का आयोजन होता है। ---------
गोलक के रुपयों का इस्तेमाल गरीबों के लिए
गुरुद्वारा के गोलक में जमा रुपये सीधे बैंक में जमा किए जाते हैं। गोलक की रकम गरीबों के इलाज, गरीब बेटियों की शादी व गरीब बच्चों की पढ़ाई में खर्च किए जाते हैं। जबकि गुरुद्वारा का पूरा खर्च अब भी खुद प्रधान बलवीर सिंह बल्ली अपने खर्चे पर करते हैं।
- बलवीर सिंह बल्ली, गुरुद्वारा के प्रधान