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लकड़ी बेचकर गुजर बसर करने वाले का बेटा पदलोचन बना टॉपर

संवाद सूत्र, पटमदा : लकड़ी बेचकर गुजर बसर करने वाले के बेटे पदलोचन हांसदा ने झारखंड अधिवि

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Jun 2018 07:05 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jun 2018 07:05 PM (IST)
लकड़ी बेचकर गुजर बसर करने वाले का बेटा पदलोचन बना टॉपर
लकड़ी बेचकर गुजर बसर करने वाले का बेटा पदलोचन बना टॉपर

संवाद सूत्र, पटमदा : लकड़ी बेचकर गुजर बसर करने वाले के बेटे पदलोचन हांसदा ने झारखंड अधिविद्य परिषद की 12वीं विज्ञान की परीक्षा में पूर्वी सिंहभूम जिले में नौवें स्थान प्राप्त कर बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। वह आगे चलकर इंजीनियर बनना चाहता है, जिसके लिए वह तैयारी कर रहा है। फिलहाल वह अपने ननिहाल में रहकर पढ़ाई लिखाई कर रहा है।

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पदलोचन मूल रूप में बोड़ाम प्रखंड के डागडुंग गांव का रहने वाला है। उसके पिता शकर हांसदा और माता पार्वती हांसदा लकड़ी बेचकर गुजर बसर करते हैं। वह छह भाई-बहन में एकलौता भाई है। गांव में पढ़ाई की सुविधा नहीं होने के कारण वह तीन साल की उम्र में ननिहाल आ गया। उसके बाद से लेकड़ों में ही रहकर पढ़ाई कर रहा है। उसके मामा पूर्णचंद्र टुडू खेती कर परिवार चलाते हैं।

पदलोचन हांसदा ने बताया कि पांचवीं तक की पढ़ाई प्राथमिक विद्यालय लेकड़ो से की। उसके बाद आठवीं तक की पढ़ाई मध्य विद्यालय खेडुआ से की। उसने बताया कि मैट्रिक की परीक्षा उत्क्रमित उच्च विद्यालय गोबरघुसी से 2016 में 75.6 प्रतिशत अंक लाकर उत्तीर्ण हुआ। इंटर की पढ़ाई के लिए एसएस प्लस टू स्कूल पटमदा में नामांकन कराया। उसके बाद उसका चयन आकाक्षा कोचिंग के लिए हो गया। वह टाटानगर के स्टेशन के पास कीताडीह में 800 रुपये किराया देकर रहा और पढाई की। उसने बताया कि पैसे का अभाव होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी।

साढ़े आठ घंटे स्वाध्याय से मिली सफलता : पदलोचन ने बताया कि सुबह चार से सुबह पांच बजे तक पढ़ाई करने के बाद नित्यक्रिया से निवृत्त होकर कोचिंग के लिए निकल जाता था। सुबह 7 बजे से 11 बजे तक आकांक्षा कोचिंग में पढ़ाई के बाद घर लौटकर खाना बनाता था। उसके बाद दिन में एक बजे से शाम छह बजे तक पढाई करता था। कुछ देर तक घूमना के बाद शाम 7.30 बजे से रात के 11 बजे तक पढाई करता है। उसने बताया कि जेईई मेन की परीक्षा में 15003 रैंक आया है। जेईई एडवास के रिजल्ट का इंतजार कर रहा है।

सफलता का श्रेय परिजन व गुरुजन को दिया : पदलोचन ने सफलता का श्रेय नानी, मामा-मामी औक माता-पिता को दिया। उसने कहा कि मेरी सफलता में नानी का विशेष योगदान है। उसने कहा कि गुरुजन का विशेष शुक्रगुजार हूँ, जिन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया। एसएस प्लस टू के प्रधानाध्यापक एसएस दास ने पदलोचन हांसदा को उसकी सफलता पर बधाई दी है।


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