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गेंदा फूल उगाएं, गृहस्थी चमकाएं

यहां गली-गली खिल उठती है गेंदे की कली। पूर्वी सिंहभूम जिला में बिना किसी विशेष कृषि तकनीक के ही गेंदे की खूबसूरती चारों ओर नजर आती है। घरों से लेकर बड़े बागानों व बगीचों तक गेंदा के फूल खूबसूरती बिखेर रहे हैं। यहां की मिट्टी व जलवायु गेंदा के फूल के लिए अनुकूल मानी जाती है। बावजूद इसके पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से गेंदे के फूलों की सप्लाई होती है..

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 08:10 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 08:10 AM (IST)
गेंदा फूल उगाएं, गृहस्थी चमकाएं
गेंदा फूल उगाएं, गृहस्थी चमकाएं

मंतोष मंडल, घाटशिला

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यहां गली-गली, खिल उठती है गेंदे की कली। पूर्वी सिंहभूम जिला में बिना किसी विशेष कृषि तकनीक के ही गेंदे की खूबसूरती चारों ओर नजर आती है। घरों से लेकर बड़े बागानों व बगीचों तक गेंदा के फूल खूबसूरती बिखेर रहे हैं। यहां की मिट्टी व जलवायु गेंदा के फूल के लिए अनुकूल मानी जाती है। बावजूद इसके पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से गेंदे के फूलों की सप्लाई होती है। यहां सालों भर बड़े पैमाने पर कोलकाता से गेंदा के फूल आते हैं।

हालांकि कृषि विभाग की ओर से फूलों की खेती के लिए लगातार किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दारीसाई कृषि अनुसंधान केंद्र की ओर से पूर्वी सिंहभूम जिले के कई प्रखंडों में इच्छुक किसानों को गेंदे के फूल की खेती के लिए बीज उपलब्ध कराया गया है। संबंधित किसान अपने खेतों में धान व गेंहू की फसल के अलावा गेंदा फूल की खेती भी कर रहे हैं। कुछ किसान गेंदा फूल की खेती कर आर्थिक उपार्जन भी कर रहे हैं। किसानों के समक्ष बाजार की समस्या : गेंदा फूल की खेती में सबसे बड़ी समस्या स्थानीय बाजार है। कोलकाता से कई बड़े शहरों व राज्यों में गेंदा फूल की आपूर्ति की जाती है। परंतु यहां स्थानीय किसानों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या बाजार की है। मिट्टी व जलवायु गेंदा फूल की खेती के लिए अनुकूल : क्षेत्र की मिट्टी व जलवायु गेंदा फूल की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है। यहां की बलुई मिट्टी में पीएच मानक 5.5/6.5 है, जो गेंदा के फूल के लिए अनुकूल है। इसकी खेती जनवरी, जून-जुलाई व सितंबर-अक्टूबर के माह में की जा सकती है।

झारखंड की मिट्टी व जलवायु गेंदा के फूल की खेती के लिए अनुकूल है। किसान गेंदा फूल की खेती कर आर्थिक उपार्जन कर सकते हैं। हालांकि इसमें बाजार की समस्या है। कृषि अनुसंधान केंद्र के माध्यम से कई किसानों को गेंदा फूल के बीज उपलब्ध कराए गए हैं। विभागीय स्तर पर कार्यशाला के माध्यम से किसानों को प्रेरित व जागरूक किया जा रहा है।

- डा. आरती वीणा एक्का, कृषि वैज्ञानिक।


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