Move to Jagran APP

Grafting Technique: झारखंड में पहली बार ग्राफ्टिंग विधि से बैगन, टमाटर, मिर्च व शिमला मिर्च की होगी खेती

Grafting Technique झारखंड में पहली बार ग्राफ्टिंग विधि से बैगन टमाटर मिर्च व शिमला मिर्च की खेती होगी। जमशेदपुर के पिपला निवासी किसान वन बिहारी महतो खुद अपनी नर्सरी में तैयार कर रहे हैं ग्राफ्टिंग विधि से पौधे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 04:14 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 04:14 PM (IST)
Grafting Technique:  झारखंड में पहली बार ग्राफ्टिंग विधि से बैगन, टमाटर, मिर्च व शिमला मिर्च की होगी खेती
प्रगतिशील किसान वन बिहारी महतो अपने खेतों में 25 मजदूरों को सालों भर नौकरी देते हैं।

मनोज सिंह, जमशेदपुर : जमशेदपुर के पिपला निवासी किसान वन बिहारी महतो खुद अपनी नर्सरी में तैयार कर रहे हैं ग्राफ्टिंग विधि से पौधे। अब तक अपनी नर्सरी में उन्होंने बैगन, टमाटर, मिर्च व शिमला मिर्च का पौधा तैयार कर चुके हैं। बन बिहारी महतो कहते हैं कि वीएनआर 212 बैगन व अन्य सब्जी का बीज को उन्होंने बेंगलुरू से मंगवाए जबकि आस्ट्रेलिया से ग्रीन बेरी व आईस बेरी पपीता का बीज आस्ट्रेलिया से मंगाए गए। उन्होंने कहा कि नर्सरी में लगाए गए पौधा का एक माह होने के बाद अब ग्राफ्टिंग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ग्राफ्टिंग करने के 21 दिन बाद खेत में रोपने का काम करेंगे।

loksabha election banner

ग्राफ्टिंग किए बैगन का पौधा होगा 10 फीट ऊंचा

किसान वन बिहारी महतो ने बताया कि ग्राफ्टिंग विधि से तैयार किए जा रहे बैगन का पौधा 10 फीट ऊंचा होगा और लगातार दो साल तक फल देगा। उन्होंने बताया कि एक पौधा कम से कम 30 किलो फल का उत्पादन करेगा। वन बिहारी महतो ने बताया कि वह छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर गए थे। वहां जानकारी मिली कि ग्राफ्टिग विधि से बैगन की खेती हो रही है। उन्होंने खेत में जाकर देखा और समझकर वापस जमशेदपुर आए। इसके बाद उन्होंने खुद अपने खेत में 2000 पौधे का नर्सरी तैयार कर लिए।

क्या होती है ग्राफ्टिंग विधि

इस संबंध में पूछने पर जिला उद्यान पदाधिकारी मिथलेश कालिंदी ने बताया कि साधारण पौधे उथले जड़ वाले होते हैं, लेकिन ग्राफ्टिंग विधि से इनकी जड़ें गहरी होती है। इसके लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। बैगन का पौधा कीटों और रोगों के लिए अति संवेदनशील होता है। इसलिए इस विधि को अपनाया जाता है। उन्होंने बताया कि विदेशों में अधिकतर ग्राफ्टिंग विधि से ही अधिकांश सब्जियाें के फसल का उत्पादन होता है। उन्होंने बताया कि ग्राफ्टिंग तकनीकि वह विधि है जिसमें दो अलग-अलग पौधों के कटे हुए तनों को लेते हैं। इसमें एक जड़ सहित और दूसरा बिना जड़ वाला होता है। दोनों को इस तरह से एक साथ लाया जाता है कि दोनों तने संयुक्त हो जाते हैं और एक ही पौधे के रूप में विकसित होते हैं। जिला उद्यान पदाधिकारी मिथलेश कालिंदी ने बताया कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत किसान वन बिहारी महतो को सरकारी सहायता भी प्रदान की गई है।

25 मजदूरों को देते हैं सालों भर नौकरी

प्रगतिशील किसान वन बिहारी महतो ने बताया कि वह अपने खेतों में 25 मजदूरों को सालों भर नौकरी देते हैं। उन्होंने बताया कि जब खेती पूरी तरह खत्म हो जाती है तो कम से कम 5 मजदूर को रखते ही हैं। उन्होंने बताया कि गांव से लोग बाहर कमाने के लिए जाते थे, वैसे लोगों को वह खुद रोजगार देकर बाहर जाने से रोक लिया। उन्होंने कहा कि मकसद है कि लोगों को रोजगार देना और पर्यावरण का संरक्षित रखने में अपना योगदान देना।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.