गरीब घर के लाडलों के भविष्य से खेल रहे शहर के सरकारी स्कूल
जमशेदपुर में सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहद खराब है। यहां पढ़ाई नहीं होती है। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है।
वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर : सोमवार को दैनिक जागरण की टीम ने जमशेदपुर शहर के तीन सरकारी स्कूलों का जायजा लिया। इस दौरान कई चौंकाने वाली बातें सामने आई। बुनियादी सुविधाओं के लिए सभी स्कूल तरस रहे हैं। जिला स्कूल बिरसानगर में छुट्टी होते ही शराबी अड्डाबाजी शुरू कर देते हैं। वहीं बंगाल मुस्लिम प्राथमिक विद्यालय, सीतारामडेरा में बच्चे कक्षा में और शिक्षक दफ्तर में मौजूद थे। जबकि उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय मछुआपाड़ा, मानगो में एक ही कमरे में बच्चे जूझते नजर आए। कुल मिला कर इन सरकारी स्कूलों में गरीब घर के लाडलों का भविष्य अंधकारमय नजर आया।
------ छुट्टी होते जिला स्कूल परिसर बन जाता शराबियों का अड्डा : जिला स्कूल यानी राजकीय उच्च विद्यालय बिरसानगर। प्रात: साढ़े सात बजे कक्षा नौ के छात्र संजय महतो व पांच मिनट बाद 10वीं की स्टूडेंट पार्वती महतो स्कूल पहुंचती हैं। 7:40 बजे चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी स्कूल का गेट खोलता है। उसके बाद धीरे-धीरे बच्चे आते गए। शिक्षिकाएं भी समय पर पहुंच गई। 7:50 बजे स्कूल के संकीर्ण बरामदे में प्रार्थना सभा प्रारंभ हुई। आठ बजे कक्षाएं प्रारंभ हो गई। मात्र दो कमरों में कक्षा नौ व दसवीं के स्टूडेंट पढ़ाई में लीन थे। प्रधानाध्यापिका ने साढ़े आठ बजे स्कूल में कदम रखा। सेहत ठीक नहीं होने के कारण विलंब होने की सफाई देते हुए इस स्कूल की कहानी बयां करने लगीं। कहा, यहां 13 साल से गणित और विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं। बावजूद बच्चे पढ़ रहे हैं। मैट्रिक परीक्षा पास भी कर रहे हैं। खेल मैदान नहीं है। शौच की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है। शौचालय में रनिंग वाटर की सुविधा नहीं है। एक चापाकल से प्यास बुझती है। यह चापाकल ओपेन टू ऑल है। 1989 में स्थापित स्कूल की अपनी जमीन है लेकिन चहारदीवारी नहीं है। भवन नहीं बनने के कारण दो कमरों में छात्र किसी तरह पढ़ाई करते हैं। दोपहर दो बजे स्कूल बंद होते ही यहां शराबियों का अड्डा जम जाता है। स्कूल के मुख्य गेट पर ही शराब की तीन बोतलें दिखाई पड़ीं। बरामदे व छत पर पत्थरों की भरमार है। ये पत्थर बाहरी युवक रोजाना फेंकते हैं।
दस में सिर्फ एक सरकारी शिक्षक पदस्थापित : यूं तो स्कूल में कुल दस शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, पर एक शिक्षक पदस्थापित है। नाम है एसएस एक्का। खुद प्रधानाध्यापिकाभी हैं। ¨हदी की शिक्षिका सुशीला देवी व अंग्रेजी की शिक्षिका सीमा कुमार यहां प्रतिनियुक्ति पर हैं। यहां तृतीय वर्गीय कर्मचारी मुंडाजी आइसीटी लैब चलाते हैं।
मेज पर प्रयोगशाला : इस स्कूल में चार बाइ पांच फीट की मेज है। इसी पर प्रयोगशाला है। छात्र कैसे इसका प्रयोग करते होंगे प्रश्न है? वैसे यहां विज्ञान के शिक्षक ही नहीं हैं। सो, प्रयोगशाला सिर्फ नाममात्र के लिए हैं।
137 में मात्र 70 स्टूडेंट रोजाना आते हैं : नामांकित 137 में औसतन 70 स्टूडेंट रोजाना आते हैं। नहीं आने वाले स्टूडेंट को लाने के लिए शिक्षकों के पास समय ही नहीं, क्योंकि ऐसे ही इस स्कूल में शिक्षकों की कमी है। प्राचार्य एसएस एक्का के अनुसार, विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं। विद्यालय की अपनी जमीन है पर चहारदीवारी और भवन नहीं हैं। किसी तरह यह विद्यालय चल रहा है। बस नाम के लिए जिला स्कूल है। कहते हैं छात्र
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पढ़ाई तो किसी तरह कर लेते हैं। विज्ञान के शिक्षक नहीं रहने के कारण हमें ट्यूशन लेना पड़ता है। खेल सुविधा नहीं है। यहां भवन की कमी है।
- संजय महतो, छात्र, कक्षा नवम शौचालय में पानी लेकर जाना पड़ता है। शिक्षिकाएं पढ़ाने में खूब मेहनत करती हैं। लेकिन अन्य व्यवस्थाएं पूरी तरह नगण्य हैं। प्रार्थना भी हम सही से नहीं कर पाते हैं। खेलने-कूदने का कोई साधन नहीं है।
- पार्वती महतो, छात्रा, कक्षा दशम
यहां बिना शिक्षक के ही पढ़ रहे थे बच्चे : सुबह के 9:20 बजे जागरण टीम वर्ष 1923 में स्थापित बंगाल मुस्लिम प्राथमिक विद्यालय पहुंची। वहां एक कमरे में चौथी कक्षा के बच्चे बैठे थे। कोई भी शिक्षक कुर्सी पर बैठा या कक्षा में मौजूद नहीं था। बच्चे बिना शिक्षक के ही कक्षा में मस्ती कर रहे थे। यहां नामांकित 90 बच्चों में 69 ही मौजूद थे। भवन जर्जर तो है, पर स्कूल प्रबंधन तोड़ नहीं पा रहा है। जिला शिक्षा विभाग ने तोड़ने का आदेश दे रखा है। इस भवन में जिम चलता है और कुछ दबंगों का कब्जा है। स्कूल प्रबंधन खाली नहीं करा पा रहा। स्कूल के पास पर्याप्त भवन है, पर छात्रों की संख्या कम है। तीन सरकारी शिक्षिकाएं तथा एक पारा शिक्षक कार्यरत है। प्रभारी प्रधानाध्यापिका मेरियन एक्का व पारा शिक्षक मनोहर शर्मा कार्यालय में बैठे मिले। दो शिक्षिकाएं बिंदु कुमारी व विद्यावती छुट्टी पर थीं। स्कूल में शौचालय गंदा था।
कोट -- स्कूल में शिक्षण व्यवस्था ठीक है। होम वर्क दिया जाता है। बच्चों को लिखने का कार्य देकर हम कार्यालय में बैठकर अन्य कार्य निष्पादन कर रहे थे। जर्जर भवन को तोड़ने के लिए विभाग की ओर से आदेश प्राप्त है।
- मेरियन एक्का, प्रधानाध्यापिका
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एक ही कमरे में नर्सरी से लेकर पांचवीं तक पढ़ाई : जागरण टीम सुबह साढ़े दस बजे मानगो स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय मछुआपाड़ा पहुंची। यहां एक कमरे में कक्षा नर्सरी से पांचवीं तक की पढ़ाई हो रही थी। स्कूल में दो ही कमरे हैं। एक में बच्चे पढ़ते हैं। दूसरे में मिड डे मील रखा जाता है। बच्चों को पढ़ाने का तरीका विचित्र है। पहले नर्सरी के बच्चों को एक राउंड एक घंटा अक्षर ज्ञान दिया जाता है। इसके बाद कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों को कुछ भी लिखने के लिए दे दिया जाता है। रोज रोज यही होता है। यहां दो पारा शिक्षिकाएं कार्यरत हैं। इसमें से एक शिक्षिका शाहीन बच्चों को लिखने का कार्य देकर दफ्तर का काम निष्पादित कर रही थीं। दूसरी पारा शिक्षिका उर्मिला देवी कहीं गई हुई थीं। विद्यालय में 63 बच्चे नामांकित हैं। सोमवार को 50 बच्चे ही आए थे। यहां के स्टूडेंट को पास के जल संसाधन विभाग के परिसर में उगी झाड़ियों में शौच के लिए जाना होता है।