आधी रात महिला वार्ड में सो रहे थे डॉक्टर, नर्से भर रही थीं खर्राटा
आधी रात जमशेदपुर के सरकारी अस्पतालों में क्या करते हैं डाक्टर और नर्स। जागरण पडताल के दौरान खुल गई पोल।
जमशेदपुर (जेएनएन)। झारखंड में नंबर वन होने का पुरस्कार पा चुके सदर अस्पताल में आधी रात पहुंचने वाले मरीज सिर्फ रेफर किए जाते हैं। कोई उन्हें झांककर भी नहीं देखता। इमरजेंसी में आधी रात आंख की डॉक्टर तैनात रहती है। उधर, कोल्हान के सबसे बड़े महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) अस्पताल के कई विभागों में ताला लटका मिला। जुगसलाई स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर महिला वार्ड में सो रहे थे। रविवार को आधी रात दैनिक जागरण की टीम ने जब इन अस्पतालों की पड़ताल की तो चौंकाने वाले मंजर सामने आए। सदर अस्पताल में रात 12 बजे पांच-छह मरीज आए। उन्हें बिना देखे ही एमजीएम अस्पताल जाने को कह दिया गया। वजह, इमरजेंसी में फिजिशियन, सर्जन की बजाय आंख की डाक्टर तैनात थी। यदि गलती से आप इंक्वायरी काउंटर की ओर चले गए तो डर जाएंगे, क्योंकि वहां घुप अंधेरा रहता है। सदर अस्पताल की रात्रिकालीन सेवा एक डाक्टर और दो नर्स के भरोसे चल रही थी। एमजीएम के वार्ड में 36 घंटे से नहीं आया कोई डॉक्टर : उधर, एमजीएम अस्पताल के इमरजेंसी में डॉक्टर-नर्स तो मौजूद मिले, पर बाकी सुविधाएं रामभरोसे थीं। मरीज के परिजन दवा से लेकर स्लाइन तक के लिए देर रात अस्पताल से बाहर दौड़ रहे थे। मरीजों का हाल इसी से समझा जा सकता है कि किसी भी वार्ड (हड्डी, सर्जरी, ईएनटी, गायनिक, मेडिकल आदि) में पिछले 36 घंटे से कोई डाक्टर नहीं आया। मरीजों ने बताया कि शनिवार को दोपहर 12 बजे के बाद रविवार रात तक उन्हें देखने कोई डॉक्टर नहीं आया। इमरजेंसी में भी बेड की कमी है, लिहाजा किसी का इलाज जमीन पर लिटाकर किया जा रहा था, तो किसी को बैठाकर। सदर अस्पताल से आई एक प्रसूता का इलाज जमीन पर बैठाकर किया गया। गायनिक वार्ड में एक ही बेड पर तीन महिलाएं बच्चों के साथ सो रही थी। रेलवे अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ताला : परसुडीह में रेलवे अस्पताल है, जो शुरू से इलाज के लिए तरस रहा है। रात को इमरजेंसी वार्ड में ताला लगा था। आवाज देने पर एक महिला ताला खोलने आई, पर उसने दोटूक कहा कि यहां क्यों आए हैं। यहां एक ही डॉक्टर और एक नर्स है। अस्पताल परिसर में अंधेरा पसरा हुआ था। सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं। पुलिस की कौन कहे, सिक्यूरिटी गार्ड तक नहीं थे। वहां से भी मरीजों को बिना देखे एमजीएम या टीएमएच जाने की सलाह दी जा रही थी। जुगसलाई सीएचसी के महिला वार्ड में सोए थे डॉक्टर : जुगसलाई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब जागरण की टीम पहुंची तो अस्पताल में सन्नाटा पसरा था। एक कमरे में तीन-चार नर्से सो रही थीं। वहीं डॉक्टर महिला वार्ड में गहरी नींद में सोए थे। आवाज सुनते ही बाहर निकले। गनीमत यही थी कि महिला वार्ड में कोई महिला नहीं थी। मानगो पीएचसी में रात को नहीं मिले डॉक्टर : मानगो स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के गेट पर रात को ताला लगा मिला। काफी देर तक आवाज देने के बाद एक व्यक्ति निकला। उसने कहा कि अगर मरीज को दिखाना है, तो ऊपर आइए। ऊपर जाकर 15 मिनट आवाज देने के बाद एक नर्स रेणुका आई। वह बोली मरीज को लाइए देख लेंगे। डाक्टर नहीं हैं। रात में कोई लेडी डाक्टर नहीं रहती। वैसे यहां डॉ. स्मिता की तैनाती है, पर वह दिन में ही रहती हैं।