जमशेदपुर, विश्वजीत भट्ट। Daftar Daftar झारखंड में निजाम बदलने के बाद नये मुखिया ने घोषणा कर दी है कि खजाना खाली है। बड़ी हद तक ये हकीकत भी है और इस पर श्वेत पत्र जारी करने का एलान भी हुआ है। अभी पिछले गुरुवार को सूबे की राजधानी में ‘माल’ (राजस्व) वसूली करने वाले तमाम महकमों के छोटे-बड़े हाकिम बुलाए गए। इसमें मुखिया की ओर से दो टूक कह दिया गया कि सूबा चलाने के लिए ज्यादा से ज्यादा ‘नगदऊ’ चाहिए। इसलिए सभी विभाग और हाकिम रेस हो जाएं। कोताही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो लापरवाही बरतेगा, वो नपेगा। ये तय है। फरमान लेकर तमाम विभागों के छोटे-बड़े हाकिम जिले में लौटे हैं। तब से लेकर सभी इस जुगत में लगे हैं कि नगदऊ कैसे आए। जिला परिवहन पदाधिकारी कार्यालय के हाकिम को अब तक कुछ भी नहीं सूझ पाया है, वो खूब माथा पीट रहे हैं कि कैसे होगी इस ‘नगदऊ’ की वसूली?
अब हांके नहीं जाएंगे हाकिम
सूबे में नई सरकार बनी है। मंत्रिमंडल का विस्तार खरमास के बाद होगा। उपायुक्त कार्यालय का वातावरण पूरा ‘रिलैक्स’ है। सबब ये कि पिछली सरकार में सब हांके-हंफाए जा रहे थे। बदलाव की बातें फिजा में तैर रही हैं। जिनका वक्त पूरा हो गया है वे तैयार भी हैं। लेकिन, जिनका वक्त पूरा नहीं हुआ है वे इधर-उधर होने को लेकर आशंकित हैं। क्योंकि निजाम बदलने पर भारी तादाद में इधर-उधर होता है। काम-काज अभी बहुत जोर नहीं पकड़ पाया है। मंथर गति से चल रहा है। सबसे बड़े वाले हाकिम हर रोज नये-नये ग्रामीण इलाकों का दौरा कर रहे हैं। अपना ज्ञान बढ़ाने और गांवों की हालत और परेशानियां जानने के लिए। जबकि तमाम हाकिमों का मन और चित्त स्थिर नहीं है। बहरहाल, इस बात को लेकर सभी आश्वस्त नजर आ रहे हैं कि अब छोटे हों या बड़े, हाकिम हांके नहीं जाएंगे। इत्मीनान से काम होगा, हल्लेबाजी नहीं।
खुद भर रहे हैं फीडबैक, बढ़ा ले रहे रेटिंग
शहर के तीनों नगर निकायों में स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 चल रहा है। सब अपने-अपने तरीके से जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं। इसमें शहर की आम जनता रेटिंग देती है कि तीनों नगर निकाय क्षेत्रों में सफाई की व्यवस्था कैसी है। रेटिंग देने के लिए लोगों को अपने मोबाइल पर स्वच्छ सर्वेक्षण एप डाउनलोड करके यह फीडबैक देना होता है कि आपके क्षेत्र में हर दिन झाड़ लगता है कि नहीं? कचरा रोज उठता है कि नहीं? लेकिन, इसमें जमशेदपुर अक्षेस खूब भांजी मार रहा है। शनिवार को ही अक्षेस के लोग जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज में गए। बारी-बारी छात्रओं का नाम और मोबाइल लिया। जो फीडबैक छात्रओं को देना था, वह खुद अक्षेस के कर्मचारियों ने दे दिया। छात्रएं जब तक कुछ समझ पातीं, तक तक उनका फीडबैक एप पर दर्ज हो गया। इस तरह अक्षेस के कर्मियों ने खुद ही फीडबैक भर कर खुद ही अपनी रेटिंग खूब बढ़ा ली।
सहमी है खाकी, किसकी चलेगी मर्जी
नई सरकार बनने के बाद अभी गत शुक्रवार को गाड़ियों की जांच-पड़ताल के लिए सड़क पर खाकी टीम उतरी। दो-चार गाड़ियों की धर-पकड़, जांच-पड़ताल ही कर पाई थी राज्य में कि सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी सड़क पर आ गए। पूरी दबंगई से पुलिस को जांच पड़ताल से रोक दिया। बोले- पुलिस की ज्यादती नहीं चलेगी। ये जनता की सरकार है। नौकरशाहों की नहीं। यहां जनता की मर्जी चलेगी, नौकरशाहों की नहीं। पुलिस अपना डंडा बांध ले। सरकार ने अभी गाड़ियों की जांच-पड़ताल का हुक्म नहीं दनदनाया है। और, ऐसा भी हो सकता है कि इस तरह का कोई फरमान आए ही नहीं। इसलिए पुलिस वाहन जांच के नाम पर आम अवाम को परेशान मत करे। वर्ना..। जिले की खाकी इस बात को लेकर हलकान है कि किसकी मर्जी चलेगी। वरीय पुलिस अधीक्षक कार्यालय के हाकिमों की या झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं की। अफसर ऊहापोह में हैं।