गुल्ली-डंडा खेलने वालों को बनाया क्रिकेटर
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अविभाजित बिहार क्रिकेट टीम के कप्तान केवीपी राव ने 1987 से 1994 क
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अविभाजित बिहार क्रिकेट टीम के कप्तान केवीपी राव ने 1987 से 1994 के बीच प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 250 विकेट लिए और तीन बार दस-दस विकेट अपने नाम किए। ये तो सिर्फ बानगी है। केवीपी जैसे जमशेदपुर के सैकड़ों खिलाड़ियों को क्रिकेट का ककहरा सिखाने वाले 80 वर्षीय श्यामा प्रसाद दासगुप्ता उर्फ गोरा दा आज भी उनके आंखों का तारा हैं। शनिवार को साकची के धालभूम क्लब में गोरा दा को पूर्व क्रिकेटरों ने सम्मानित किया।
पुराने दिनों को याद करते हुए पूर्व रणजी क्रिकेटर व वर्तमान में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) में प्रशासक की भूमिका निभाने वाले केवीपी राव बताते हैं कि बचपन में हम गलियों में गुल्ली-डंडा खेला करते थे। गोरा दा की नजर हम पर पड़ी और हमें क्रिकेट खेलने को प्रेरित किया। वे कहा करते थे, गुल्ली-डंडा भी कोई खेल है, क्रिकेट खेलो क्रिकेट। आज हम जिस मुकाम पर हैं, उसका सारा श्रेय गोरा दा को जाता है। गोरा दा अपने पैसे से मैट खरीदा और हम खिलाड़ियों को क्रिकेट का ककहरा सिखाना शुरू किया। 1975 में जमशेदपुर जिमखाना नाम से पहला क्रिकेट क्लब खुला। रणजी क्रिकेटर केवीपी राव, निशिकात मोहंती, डलिया राव सहित कई क्रिकेटरों ने गोरा दा से प्रशिक्षण लिया था। टाटा स्टील में कार्यरत गोरा दा 1975 में साकची में 15 लड़कों को जुटाकर एक टीम बनायी थी और उन्हें अपने खर्चे पर प्रशिक्षण देना आरम्भ किया था। पहले ही सीजन में जमशेदपुर जिमखाना चैंपियन बना ए डिवीजन लीग में पहुंच गया। इस अप्रत्याशित उपलब्धि से गोरा दा अचानक सुर्खियों में आ गए। अब तो जमशेदपुर जिमखाना में जूनियर क्रिकेटरों की लंबी लाइन लगने लगी। 1977 में ही गोरा दा को बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) ने कोच बना दिया। गोरा दा के चेलों ने बिहार स्टेट स्कूल, अंडर 22, यूनिवर्सिटी, व्ही जी ट्राफी और रणजी ट्रॉफी में परचम लहराने लगे।
सम्मान समारोह में पूर्व क्रिकेटर व कोच कानू चक्रवर्ती, एके सेनगुप्ता, आशीष सिन्हा, मृणाल दा, अशोक घोष सहित अन्य लोग मौजूद थे।